आखिर क्यों हुआ बवाल
महत्वपूर्ण बात यह है कि बडऩगर की एसडीएम एकता जायसवाल का छोड़ दिया गया है और तहसीलदार विवेक सोनकार का नाम बडऩगर तहसीलदार होने के नाते नहीं बल्कि खाचरौद तहसीलदार के नाते लिया गया है। बताया जाता है तहसीलदार बडऩगर द्वारा उत्कृष्ट कार्य करने वाले अधिकारियों, कर्मचारियों की सूची 19 जनवरी को ही एडीएम कार्यालय भेज दी गई थी।
चपरासियों से कम आंका गया इनका कार्य
एडीएम कार्यालय के पूरे स्टाफ को उत्कृष्ट कार्य का पुरस्कार दिया जा रहा है, जिसमें सभी प्यून शामिल हैं जब कि एसडीएम के कार्यों को एडीएम के चपरासियों से कम आंका गया है।
पटवारियों को भी मिला पुरस्कार
खाचरौद के सभी पटवारियों को सोयाबीन की फसल गिरदावरी मोबाईल एप पर शीघ्र करने का उत्कृष्ट कार्य मानकर पुरस्कार दिया जा रहा है। जबकि उन्हें 15 अगस्त तथा विक्रम कीर्ति मंदिर में कलेक्टर द्वारा दो बार पुरस्कृत किया जा चुका है। बडऩगर के पटवारियों द्वारा 20 जनवरी तक गेहूं चने की फसल गिरदावरी मोबाईल एप पर पूर्ण करने वाले पटवारियों को पुरस्कार से वंचित कर दिया गया है। पुरस्कार वितरण मेें एकता जायसवाल व विवेक सोनकर शामिल नहीं होंगे। पुरस्कार में बडऩगर तहसील का एक भी राजस्व पटवारी नहीं है।
मियाद के सप्ताहभर बाद भी भोपाल नहीं गई जांच रिपोर्ट
उज्जैन. पीएचई के पानी टंकी व स्टैंड घोटाले को लेकर नगरीय प्रशासन विकास विभाग भोपाल द्वारा बैठाई गई जांच की रिपोर्ट बनाने में समिति लेतलाली कर रही है। ३ जनवरी को जारी पत्र में संचालनालय ने १५ दिनों में बिंदूवार जांच रिपोर्ट मांगी थी, लेकिन अब तक इसकी रिपोर्ट तैयार नहीं हो सकी। इसकी बड़ी वजह जांच समिति में शामिल अधिकारियों की इस काम में रुचि नहीं होना है। संचालनालय के प्रमुख अभियंता प्रभाकांत कटारे की आेर से जारी पत्र में मामले की जांच के लिए निगम एसई हंसकुमार जैन, नगरीय प्रशासन विकास विभाग संभाग उज्जैन ईई प्रदीप निगम, उपायुक्त योगेंद्र पटेल को शामिल कर जांच कमेटी गठित की थी। समिति को टंकी खरीदी, भुगतान, सामान वापसी सहित अन्य तथ्यों संबंधित रिपोर्ट प्रस्तुत करना थी।