अपने हाथों से कराया भगवान को स्नान
भगवान को स्नान कराने के लिए सप्त सागर, कोटितीर्थ कुंड, राधा कुंड तथा देश की पवित्र नदियां गंगा, जमुना, शिप्रा आदि का जल लाया गया। मंदिर में कोई भेद किए बिना भगवान को स्नान कराने की व्यवस्था थी। इसमें आम भक्तों में पुरुषों ने धोती तथा महिलाओं को साड़ी पहन कर अपने हाथों से भगवान को स्नान कराया।
भगवान पड़ेंगे बीमार, 15 दिन चलेगा उपचार
पीआरओ राघव पंडित दास ने बताया धार्मिक मान्यता के अनुसार भगवान को स्नान कराने से वे बीमार हो जाते हैं। स्नान यात्रा के अगले 15 दिन मंदिर के पुजारी भगवान को काढ़ा आदि औषधि अर्पित कर उपचार करेंगे। इस दौरान भगवान एकांतवास करेंगे। आम दर्शन का सिलसिला बंद रहेगा। केवल पुजारी भगवान की सेवा अर्चना करेंगे।
रथ यात्रा 4 जुलाई को
आषाढ़ शुक्ल द्वितीया पर 4 जुलाई को जगन्नाथ रथ यात्रा निकलेगी। स्वस्थ होने के बाद भगवान जगन्नाथ, बलभद्र व बहन सुभद्रा के साथ रथ पर सवार होकर भक्तों को दर्शन देने निकलेंगे। शाम 4 बजे बुधवारिया से रथ यात्रा शुरू होगी। भक्त रस्सियों के सहारे भगवान का रथ खीचेंगे। यह यात्रा नगर के प्रमुख मार्गों से होकर पुन: इस्कॉन मंदिर पहुंचकर संपन्न होगी।
इस्कॉन मंदिर में प्रतिदिन होता है अनूठा शृंगार
देवास रोड स्थित इस्कॉन मंदिर में प्रतिदिन अनूठा शृंगार किया जाता है। पर्व, त्योहार व अन्य अवसरों पर यहां देश-विदेश के अनेक भक्त आते हैं। सुबह-शाम आरती, कीर्तन, नृत्य और महापूजा आदि की जाती है। मृदंग की थाप पर भक्त नाचते-झूमते नजर आते हैं। साथ ही प्रतिमाओं का मनोहारी शृंगार किया जाता है।