1990 से कर रहे हैं निर्माण
1990 से रावण निर्माण में जुटे जोशी अब बिरलाग्राम स्थित खेल परिसर के लिए भी रावण का निर्माण करते हैं। खास बात यह है, कि रावण का मुखौटा कौन सी आकृति का देना है। यह दशहरे के दो दिन पूर्व तय किया जाता है। उक्त निर्णय रहवासियों की चर्चा के आधार पर किया जाता है। निर्माण टीम में जोशी के पुत्र भी शामिल हैं। वह भी पिता से रावण निर्माण का हुनर सीख रहे हैं।
सूती कपड़े और बांस से बनता है रावण
शहर में दो स्थानों पर रावण दहन कार्यक्रम होता है। प्रमुख दहन कार्यक्रम सुभाष मार्ग स्थित दशहरा मैदान में आयोजित होता है। खास बात यह है, कि इस बार रावण निर्माण नवरात्र के आरंभ के पूर्व यानी करीब 15 दिन पूर्व किया गया है। जोशी रावण निर्माण में पारंपरिक वस्तुओं का उपयोग करते हैं। रावण के शरीर को आकर देने के लिए बांस का प्रयोग किया जाता है।
वस्त्रों के निर्माण में आटे की लाई (गोंद) का प्रयोग किया जाता है। आटे की लाई का प्रयोग किए जाने के पीछे उद्देश्य रावण की पवित्रता बनाए रखना है। जोशी का मनाना है, कि भले ही रावण निर्माण रहवासियों के लिए मनोरंजन के लिए किया जाता है। लेकिन दहन के पूर्व पूजन किया जाना है। इसलिए निर्माण में रेडीमेड सामग्री का प्रयोग नहीं किया जाता।
प्रशंसा से मनोबल बढ़ता है
मेरे द्वारा शहर व अन्य शहरों के लिए 1990 से रावण बनाया जा रहा है। निर्माण में 15 से 20 दिन का समय लगता है। हालांकि रावण जलने पर बुरा तो लगता है, लेकिन आकर्षक रावण देखकर लोगों द्वारा की गई प्रशंसा से मनोबल बढ़ता है।
सोहन जोशी, रावण निर्माणकर्ता