करणी सेना ने मंगलवार सुबह 11 बजे टावर चौक पर सांसद चिंतामणि मालवीय का पुतला फूंका। करणी सेना के प्रदेश संगठन मंत्री रिंकू झाला ने बताया कि सांसद की आपत्तिजनक टिप्पणी को लेकर जिले की हर तहसील और हर ब्लॉक में पुतला दहन किया गया है। जातिगत आरक्षण के विरोध आगामी 16 सिंतबर को नानाखेड़ा से सामाजिक न्याय परिसर तक रैली निकाली जाएगी। पिछड़ा ,अल्पसंख्यक और सपाक्स वर्ग भी इस रैली में शामिल रहेंगे। मंगलवार को ग्वालियर में रैली निकाली गई है, जिसमें 50 हजार से अधिक सदस्य आरक्षण के विरोध शामिल रहे हैं। हम हर गांव और घर-घर जाकर लोगों में जातिगत आरक्षण के विरोध में जागरूकता फैलाने का प्रयास कर रहे हैं। 6 सिंतबर को बंद के आह्वान को समर्थन दिया गया है। इसके लिए व्यापारिक संगठनों से बातचीत की जा रही है।
सपाक्स ने कलेक्टर को सौंपा ज्ञापन
सांसद के विवादित बयान के विरोध में सपाक्स संगठन ने भी कलेक्टर को राष्ट्रनति के नाम संबोधित ज्ञापन सौंपा। सपाक्स अध्यक्ष डॉ. निर्दाेष निर्भय ने बताया कि ज्ञापन सौंपकर सांसद के प्रति विरोध दर्ज करवाया गया है। सांसद के विवादित बोल का वीडियो और अन्य दस्तावेज सहित सर्वाेच्च न्यायालय के मुख्य न्यायाधीश को शिकायत की जाएगी।
पुतले की अंतिम यात्रा निकाली
पानबिहार. करणी सेना के सदस्यों ने कागदीकराडिया रोड से बस स्टैंड तक सांसद चिंतामणि मालवीय के पुतले की अंतिम यात्रा निकाली व नारेबाजी कर पानबिहार बस स्टैंड पर पुतला दहन किया। करणी सेना के सदस्यों ने बताया कि सांसद मालवीय ने सुप्रीम कोर्ट जैसी संवैधानिक संस्था का विरोध किया है। सांसद ने वैधानिक पद पर रहते हुए देश के सर्वोच्च न्यायालय के निर्णय को गलत साबित करने का प्रयास किया है। साथ ही सुप्रीम कोर्ट में भी आरक्षण की वकालत की है, जो गलत है। इसी तरह घट्टिया में भी प्रदर्शन किया गया।
यह बोले थे सांसद
सांसद चिंतामणि मालवीय ने भाजपा के अनुसूचित जाति-जनजाति मोर्चा कार्यकर्ताओं को संबोधित करते हुए कहा था कि सुप्रीम कोर्ट में एससी-एसटी वर्ग का कोई जज नहीं है, इसलिए हमारे खिलाफ फैसले आते हैं। साथ ही उन्होंने यह भी कहा था किसी का बाप भी आरक्षण को खत्म नहीं कर सकता। इसका वीडियो सोशल मीडिया पर वायरल हुआ था।
झा की सांसद को नसीहत, बयानबाजी से बचना चाहिए
सांसद चिंतामणि मालवीय के विवादित बोल पर मंगलवार को शहर आए प्रभात झा ने कहा कि जनप्रतिनिधि सभी वर्ग का प्रतिनिधित्व करते हंै। उन्हें संवेदनशील मुद्दों पर इस तरह की बयानबाजी से बचना चाहिए, एेसा मेरा व्यक्तिगत तौर पर मानना है। हालांकि वे बोले कि मैंने उनका (सांसद का) वीडियो नहीं देखा। सभ्य समाज के लिए सभी वर्ग मंे संतुलन जरूरी है, यदि किसी के हाथ लंबे व पैर छोटे कर दिए जाएं तो वह व्यक्ति चल नहीं सकता। इसी तरह सामाजिक व्यवस्थाएं भी हैं। इस मामले पर मीडिया से सुहास भगत से भी चर्चा करना चाहा लेकिन उन्होंने चर्चा से ही किनारा कर लिया।