ये बोले धर्मगुरु….
सनातन धर्म में बताए गए नियम और अन्य संस्कार हमारे लिए बहुत प्रमुख हैं, लेकिन जीवन पर यदि कोई संकट मंडरा रहा हो, तो उसके लिए समय के अनुसार चलना ही श्रेष्ठ रहता है। पर्व-त्योहारों पर अधिक भीड़ न हो, एकसाथ यह हम सबको मिलकर संकल्प लेना चाहिए, ताकि संक्रामक रोग से हम लड़ सकें। – महंत विनीत गिरी महाराज, महानिर्वाणी अखाड़ा।
आगामी 24 मार्च को भूतड़ अमावस्या का पर्व होगा। इस दिन लाखों की तादात में ग्रामीण व शहरवासी क्षिप्रा स्नान के लिए पहुंचते हैं। इन दिनों कोरोना वायरस के प्रभाव को देखते हुए कम से कम भीड़ रखने की बात प्रशासन द्वारा कही जा रही है। ऐसे में शहर में आकर पुण्य सलिला मां क्षिप्रा में स्नान करने आने की बजाए जो जहां है, वहीं से तीर्थ स्थल का आह्वान करें। उन्हें वही पुण्य फल प्राप्त होगा। – ज्योतिर्विद पं. आनंदशंकर व्यास।
तीर्थ स्थलों पर अधिक भीड़भाड़ न लगाएं, क्योंकि अधिक संख्या में श्रद्धालुओं के आने से यहां संक्रमण का खतर बढ़ जाएगा। इसलिए बाहरी श्रद्धालु शहर न आएं। – पं. नारायण उपाध्याय, धर्माधिकारी तीर्थ पुरोहित शंकराचार्य परंपरा
समय के साथ चलने में ही सबकी भलाई है। जो लोग इस बात को नहीं मानते, वे आने वाले समय में खुद तो परेशान होते ही हैं, अन्य के लिए भी परेशानी का सबब बनते हैं। इसलिए जीवन रहा तो देव दर्शन और पुण्य स्नान बाद में भी होता रहेगा। जागरुक रहें, सतर्कता बरतें और अपने आसपास सफाई रखें। – परमहंस डॉ. अवधेशपुरी महाराज।