उज्जैनPublished: Nov 11, 2019 12:51:08 am
Ashish Sikarwar
शहर के प्रमुख चौराहों पर पुलिस, मंडी एवं वन के 60 जवान तैनात, दूसरे दिन भी निकाला फ्लैग मार्च
शहर के प्रमुख चौराहों पर पुलिस, मंडी एवं वन के 60 जवान तैनात, दूसरे दिन भी निकाला फ्लैग मार्च
बडऩगर. अयोध्या पर फैसला आने के दूसरे दिन भी शहर में शांति है। एहतियात के तौर पर प्रमुख चौराहों पर पुलिस, मंडी एवं वन विभाग के 60 जवान 24 घंटे तैनात हैं। पुलिस ने रविवार को भी फ्लैग मार्च निकाला। एसडीएम, तहसीलदार, एसडीओपी, थाना प्रभारी सुरक्षा व्यवस्था का जायजा लेते रहे।
एसडीएम एकता जायसवाल व थाना प्रभारी दिनेश प्रजापति ने बताया रविवार को नगर के प्रमुख बाजार सामान्य रूप से खुले नजर आए। हालांकि पुलिस कहीं भी भीड़ एकत्र नहीं होने दे रही है। दो वाहनों पर तीन सवारी नजर आते ही रोका जा रहा है। सोशल मीडिया पर निगरानी अब भी जारी है। आतिशबाजी प्रतिबंधित है। पुलिस का कहना है धारा 144 के तहत किसी भी प्रकार का जुलूस, जलसा, रैली, डीजे, बैंड, सभा के आयोजन पर प्रतिबंध है। उल्लंघन करने वालों पर कार्रवाई होगी।
मुस्लिम समाज ने पेश की सांप्रदायिक सौहार्द की मिसाल
मुस्लिम समाज ने सांप्रदायिक सौहार्द की अनूठी मिसाल पेश करते हुए रविवार को ईद-मिलादुन्नबी का पर्व सादगी से मनाया। युवाओं ने एकता का उदाहरण पेश करते हुए शासकीय अस्पताल बडऩगर में मरीजों व परिजनों को फल, बिस्किट बांटे। साथ ही शहर काजी नासीरुद्दीन के निवास पर पहुंच पुष्पमाला से स्वागत किया। रईस कुरैशी, मोहसीन खान, यूसुफ खान, जबैरुद्दीन, आबिद शेख, इमरान मिर्जा, सबी काजी, शकीलुद्दीन, तनवीर आलम, सलमान अत्तारी, आदिल शेख, बबलू कुरैशी, वाहिद शेख मौजूद थे।
अयोध्या फैसले में सब्र का फल मीठा ही नहीं अमृत तुल्य : निराले बाबा
उन्हेल. सब्र का फल मीठा होता है। समूचे भारत ने अनेक वर्षों तक अपने सब्र को दिल में थाम के रखा। परिणाम अमृततुल्य मिला। अयोध्या का फैसला भगवान श्रीराम की मर्यादा को देखते हुए मर्यादित हुआ। जिस स्थान पर रामलला का प्राकट्य हुआ संपूर्ण भारत चाहता था कि मंदिर वही बने, परंतु न्यायाधीश की घोषणा का इंतजार था।
यह बात समन्वय मिशन के प्रेरक व आचार्य प्रवर डॉ. दिव्यानंद सूरीश्वर महाराज (निराले बाबा) ने रविवार को कही। उन्होंने कहा भगवान श्रीराम का जीवन कर्तव्य परायणता का अभूतपूर्व उदाहरण है। मर्यादाओं का चारों युगों में आदर्श स्थापित करने का प्रेरणा पुंज कहलाए, जिसके कारण मर्यादा पुरुषोत्तम कहलाए। पुत्र, शिष्य और राजा के रूप में उन्होंने मर्यादा तो बनाई ही थी परंतु परमात्मा की मर्यादा का एकमात्र उदाहरण भगवान श्रीराम हैं।