कैलाश प्रस्थान कर गए बाबा
मान्यता के अनुरूप भगवान महाकाल, गोपालजी को सृष्टि का कार्यभार सौंपकर पुन: कैलाश की ओर प्रस्थान कर गए। हर साल बैकुंठ चतुर्दशी पर निकाली जाने वाली भगवान की सवारी शनिवार रात 11 बजे निकाली जाती है। ये लगातार दूसरा साल है, जब बाबा महाकाल की सवारी साधारण तरीके से निकली।
68 साल में पहली बार नहीं लगेगा सांची मेला
वही 68 साल के इतिहास में यह पहला मौका होगा जब सांची में मेला का आयोजन नहीं होगा। कोरोना संक्रमण की वजह से परंपरा टूट गई है। वर्ष 1952-53 में तत्कालीन प्रधानमंत्री पंडित जवाहरलाल नेहरु ने सांची स्थित स्तूप परिसर में भगवान बुद्ध के शिष्यों के अस्थिकलशों की पूजन और मेला का आयोजन शुरू किया था। इस बार मेले का आयोजन नहीं किया जाएगा। केवल प्रतीकात्मक रूप से अस्थिकलशों की पूजन की जाएगी।
374 साल में पहली बार बटेश्वर मेला नहीं
मुरैना के पोरसा के लगे उत्तरप्रदेश की बाह तहसील के तीर्थ स्थल बटेश्वर में हर साल नवंबर में लगने वाला वार्षिक मेला 374 साल के इतिहास में पहली बार नहीं लगा है। यह मेला 1646 से लगता आ रहा है। कोरोना संक्रमण की वजह से यह फैसला लिया गया है कि पहली बार बटेश्वर मेला नहीं लगेगा।