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भोपाल रोड पर जामगोद में आर्टिजन कंपनी द्वारा बांस के उत्पाद बनाए जा रहे हैं। यहां बांस से बनने वाले उत्पाद देवास ही नहीं बल्कि देश-विदेश तक भेजे जा रहे हैं। इससे बांस के उत्पादों से जिले को एक अलग ही पहचान मिल रही है वहीं लोगों को रोजगार भी मिल रहा है। महिलाओं के ५ स्वसहायता समूहों का कंपनी से अनुबंध किया गया है जो बांस की पैदावार होने के बाद कंपनी को बांस उपलब्ध कराएंगे। साथ ही अन्य समूहों के भी अनुबंध कराने की तैयारी की जा रही है। इससे महिलाओं को बांस बेचने के लिए कहीं दूसरी जगह जाने की जरूरत नहीं होगी।
पांच समूहों का हुआ है आर्टिजन कंपनी से अनुबंध
भोपाल रोड पर जामगोद में आर्टिजन कंपनी द्वारा बांस के उत्पाद बनाए जा रहे हैं। यहां बांस से बनने वाले उत्पाद देवास ही नहीं बल्कि देश-विदेश तक भेजे जा रहे हैं। इससे बांस के उत्पादों से जिले को एक अलग ही पहचान मिल रही है वहीं लोगों को रोजगार भी मिल रहा है। महिलाओं के ५ स्वसहायता समूहों का कंपनी से अनुबंध किया गया है जो बांस की पैदावार होने के बाद कंपनी को बांस उपलब्ध कराएंगे। साथ ही अन्य समूहों के भी अनुबंध कराने की तैयारी की जा रही है। इससे महिलाओं को बांस बेचने के लिए कहीं दूसरी जगह जाने की जरूरत नहीं होगी।
प्रति एकड़ 1.40 लाख रुपए मुनाफा होने की उम्मीद
पिछले साल बारिश के सीजन में जिले में बांस का रोपण किया गया था। इनकी देखरेख से लेकर सिंचाई तक का जिम्मा महिलाओं को सौंपा गया है। हर महिला को एक एकड़ की जिम्मेदारी सौंपी गई है। जिला पंचायत सीईओ प्रकाशसिंह चौहान के अनुसार तीन साल बाद समूहों को मुनाफा मिलने लगेगा। हमें उम्मीद है कि प्रति एकड़ 1.40 हजार रुपए मुनाफा होगा। वर्तमान में पौधों की देखरेख व सिंचाई के लिए महिलाओं को मनरेगा के तहत मजदूरी करने के पर 193 रुपए प्रतिदिन भुगतान किया जा रहा है। 100 दिन तक उन्हें रोजगार भी मिल रहा है।
पिछले साल बारिश के सीजन में जिले में बांस का रोपण किया गया था। इनकी देखरेख से लेकर सिंचाई तक का जिम्मा महिलाओं को सौंपा गया है। हर महिला को एक एकड़ की जिम्मेदारी सौंपी गई है। जिला पंचायत सीईओ प्रकाशसिंह चौहान के अनुसार तीन साल बाद समूहों को मुनाफा मिलने लगेगा। हमें उम्मीद है कि प्रति एकड़ 1.40 हजार रुपए मुनाफा होगा। वर्तमान में पौधों की देखरेख व सिंचाई के लिए महिलाओं को मनरेगा के तहत मजदूरी करने के पर 193 रुपए प्रतिदिन भुगतान किया जा रहा है। 100 दिन तक उन्हें रोजगार भी मिल रहा है।
बांस से बन रहे हैं विभिन्न प्रॉडक्ट
जिले के जामगोद में बांस से विभिन्न उत्पाद बनाने के लिए आर्टिजन कंपनी ने प्लांट डाला है। यहां बांस से फर्नीचर सहित अन्य उत्पाद बनाए जा रहे हैं। नवरात्रि के दौरान कंपनी ने माता टेकरी पर प्रसाद वितरित करने के लिए बांस से तैयार पैकेट उपलब्ध कराए थे।
जिले के जामगोद में बांस से विभिन्न उत्पाद बनाने के लिए आर्टिजन कंपनी ने प्लांट डाला है। यहां बांस से फर्नीचर सहित अन्य उत्पाद बनाए जा रहे हैं। नवरात्रि के दौरान कंपनी ने माता टेकरी पर प्रसाद वितरित करने के लिए बांस से तैयार पैकेट उपलब्ध कराए थे।
शनिवार को तीन जगहों पर किया बांस का रोपण
बांस की खेती से ज्यादा से ज्यादा महिलाएं जुड़ सके इसलिए शनिवार को जिले के कानकुंड, गुर्जर बापच्या, जामगोद में बांस के पौधों का रोपण किया गया। इनकी भी जिम्मेदारी महिलाओं को सौंपी गई। इसमें 10 हजार पौधे वनविभाग, 10 हजार रेवेन्यू विभाग ने उपलब्ध कराए। वहीं शहरी क्षेत्र में पांच हजार पौधे नगर निगम के माध्यम से लगाए गए। इन सभी की भी जिम्मेदारी महिलाओं को सौंपी गई है।
बांस की खेती से ज्यादा से ज्यादा महिलाएं जुड़ सके इसलिए शनिवार को जिले के कानकुंड, गुर्जर बापच्या, जामगोद में बांस के पौधों का रोपण किया गया। इनकी भी जिम्मेदारी महिलाओं को सौंपी गई। इसमें 10 हजार पौधे वनविभाग, 10 हजार रेवेन्यू विभाग ने उपलब्ध कराए। वहीं शहरी क्षेत्र में पांच हजार पौधे नगर निगम के माध्यम से लगाए गए। इन सभी की भी जिम्मेदारी महिलाओं को सौंपी गई है।
हर समूह में 10 से 12 महिलाएं
जिले में बनाए गए 21 स्वसहायता समूहों में 10 से 12 महिलाएं काम कर रही है। बांस की खेती से जुडऩे के बाद उन्हें रोजगार भी मिल रहा है और तीन साल बाद जब कंपनी उनसे बांस खरीदेगी तो अच्छा मुनाफा भी होगा।
जिले में बनाए गए 21 स्वसहायता समूहों में 10 से 12 महिलाएं काम कर रही है। बांस की खेती से जुडऩे के बाद उन्हें रोजगार भी मिल रहा है और तीन साल बाद जब कंपनी उनसे बांस खरीदेगी तो अच्छा मुनाफा भी होगा।
