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लापरवाही या लाड.. 14 वर्ष से छोटे बच्चों को गाड़ी पकड़ा रहे माता-पिता, 1 वर्ष की 38 दुर्घटनाओं में 8 की मृत्यु, 33 घायल

locationउज्जैनPublished: Jun 17, 2022 12:58:16 pm

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atul porwal

– ना मां-बाप सतर्क ना पुलिस कर रही कार्रवाई, आरटीओ भी नहीं दे रहे ध्यान, वर्ष २०२१ में हुई ३८ हादसों में 3 बालक पांच बालिकाओं की मौत के साथ 20 बालक 13 बालिकाएं घायल

Behud or Sundari.. At the age of 14, besides being beautiful, the wife

Behud or Sundari.. At the age of 14, besides being beautiful, the wife

अतुल पोरवाल@उज्जैन.
चौदह वर्ष से कम उम्र में अपने नाबालिग बच्चों से माता-पिता का इतना लाड भी ठीक नहीं कि उन्हें सड़क पर दौड़ाने के लिए गाड़ी थमा दें। इस उम्र में परिवहन विभाग से लर्नर लाइसेंस भी नहीं बन सकता है, जिससे नियम विरूद्ध ‘लाडÓ का खामियाजा कई माता-पिता भुगत रहे हैं। यातायात थाने के अनुसार 1 जनवरी 2021 से 31 दिसंबर 2021 के बीच उज्जैन शहर में 14 वर्ष से कम उम्र वाले बच्चों के 38 हादसे दर्ज किए गए, जिनमें 8 की मौत हो गई। यही नहीं इन हादसों में 33 बच्चे घायल भी हुए। बावजूद इसके ना तो मां-बाप का लाड़ कम पड़ रहा है और ना ही पुलिस कार्रवाई कर रही है। इधर यदा-कदा सड़कों पर कार्रवाई करने वाला परिवहन विभाग भी आंखें मुंदे बैठा है। बता दें कि इस शैक्षणिक सत्र के स्कूल शुरू हो चुके हैं, जिसमें फिर कई नाबालिग गाडिय़ां दौड़ाते नजर आने लगे हैं। लगातार हो रही दुर्घटनाओं से भी सबक नहीं लेने वाले पालक लापरवाही कर अपने भविष्य(बच्चों) के साथ खिलवाड़ कर रहे हैं।
यह है लर्नर लाइसेंस लायसेंस का नियम और उम्र
1. लर्नर लाइसेंस प्राप्त करने के लिए लाइसेंस बनवाने की कम से कम आयु 16 वर्ष है, जिसके लिए मोटर बगैर गेयर वाली साइकल का आवेदन किया जा सकता है। इसके लिए उनको अपने माता पिता/अभिभावक की सहमति की आवश्यकता होती है।
2. गेयर वाले वाहन चलाने के लिए नया लर्नर लाइसेंस 18 वर्ष की उम्र से पहले नहीं बनवाया जा सकता है।
लाइसेंस बनवाने के जरूरी दस्तावेज
लर्नर लाइसेंस में आवेदन के साथ निवास एवं आयु प्रमाण पत्र के लिए इनमें से कोई भी दस्तावेज संलग्न करना जरूरी है।
– आधार कार्ड
– मतदान परिचय पत्र
– जीवन बीमा पॉलिसी
– पासपोर्ट
– जन्म प्रमाण पत्र
– विदेशी नागरिक की स्थिति में निवास प्रमाण पत्र के साथ भारत में वैधानिक उपस्थिति का प्रमाण।
केवी के बाहर खड़ी रहती है बच्चों की गाडिय़ां
नियमानुसार बगैर ड्रायविंग लाइसेंस वाले बच्चों को केंद्रीय विद्यालय में वाहन लाना प्रतिबंधित है। स्कूल परिसर में इनके वाहन प्रवेश पर प्रतिबंध है, लेकिन स्कूल परिसर के बाहर खड़े रहने वाले वाहनों पर प्राचार्य या स्कूल स्टाफ का ध्यान नहीं। केवी के जवाबदारों का कहना है कि स्कूल परिसर में उन्हीं बच्चों को वाहन लाने की अनुमति है, जिनके पास ड्रायविंग लाइसेंस और पालक का अनुमति पत्र हो। लेकिन स्कूल के बाहर खड़े विद्यार्थियों के वाहनों पर उनका कोई जवाब नहीं मिला।
हमारी कार्रवाई सतत रूप से जारी रहती है। सड़कों पर वाहन दौड़ाते नाबालिग बच्चों को पकड़ते हैं तो उनके मात या पिता को बुलाकर हिदायत भी देते हैं। स्कूलों में जाकर वहां के स्टाफ व बच्चों से भी बात करते हैं। मां-बाप को भी सतर्क रहना चाहिए, क्योंकि इसमें नुकसान उनका ज्यादा है।
पवन बागड़ी, ट्रेफिक थाना प्रभारी
हम तो अपने स्तर पर कार्रवाई और जनजागरण अभियान चलाते रहते हैं, लेकिन नाबालिग बच्चों को गाड़ी सौंपने में मां-बाप का रोल बड़ा है। यातायात सुरक्षा सप्ताह, माह के अलावा स्कूलों में कैंप, जनजागरण रैली जैसे आयोजन के बाद भी कोई नहीं समझे तो दुर्घटनाओं में मरने वाले या घायल बच्चों से तो सबक लेना चाहिए। बच्चों का जीवन बचाने में संयुक्त प्रयास की आवश्यकता है।
संतोष मालवीय, आरटीओ
सरकारी स्कूलों में तो साइकल वाले बच्चे आते हैं, प्राइवेट स्कूलों में आते हैं गाडिय़ों वाले बच्चे। स्कूल परमिशन के नियमों में इन्हें भी हिदायत है, लेकिन अधिकांश स्कूलों में पालन नहीं हो रहा है। माता-पिता को भी अपने बच्चों के भविष्य पर ध्यान देना चाहिए।
गिरीश तिवारी, एडीपीसी, जिला शिक्षा कार्यालय
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