पत्रिका ने जब शालिग्राम होस्टल मनिवासरत विद्यार्थियों से बात की तो वे सामूहिक रूप से इस शुल्क वृद्धि का खुलकर विरोध करते रहे। लेकिन जब व्यक्तिगत रूप से उनके नाम पर विरोध प्रकाशित करने की बात आई तो वे शिक्षा के भविष्य को लेकर डर गए। उनका कहना था कि हमारा व्यक्तिगत नाम प्रकाशित होगा तो शिक्षक या प्रबंधन हमें फेल भी कर सकता है।
होस्टल की दर एक साथ दो गुना से अधिक बढ़ाने जाने का विरोध जताने में पत्रिका से चर्चा के साथ अपनी बात रखने की कोशिश में मुकुल उपाध्याय, चेतन राजपूत, अस्कंध त्रिपाठी, आयुष सिंह चौहान, सागर मेहरा, प्रणव सोनी, सत्यम उपाध्याय, ज्ञान सिंह राजपूत, आलोक सिंह, तुषार गंगराड़े, प्रियांशु मालवीय, लोकेश पंवार, आदर्श कौरव आदि छात्र उपस्थित रहे।
क्या कहते हैं कार्यपरिषद सदस्य
मुझे पत्रिका के समाचार से ज्ञात हुआ कि होस्टल का शुल्क एक साथ दो गुना से अधिक कर दिया है। छात्रों पर एक साथ इतना बोझ ठीक नहीं है। शुल्क वृद्धि कुछ प्रतिशत के आधार पर होना चाहिए थी। परिषद के माध्यम से चर्चा करेंगे।
-सचिन दवे, कार्यपरिषद सदस्य