11 हजार लीटर सोयाबीन का तेल लगेगा..हर दीए में 15 मिली लीटर रहेगा
महाशिवरात्रि पर्व पर क्षिप्रा नदी के तट पर करीब 12 लाख दीपक जलाए जाएंगे। इन दीयों में करीब 11 हजार लीटर तेल की खपत होगी। इसके लिए खाद्य विभाग की ओर से टेंडर जारी किए गए हैं। इन दीपक को सोयाबीन को तेल डाला जाएगा। हर दीए में करीब 15 मिली लीटर तेल रहेगा। इतने तेल से यह दीपक करीब 15 से 30 मिनट तक रोशन होते रहेंगे। वहीं दीपों के लिए रूई की मोटी बाती रहेगी जो एक बार जलने के बाद एकदम से नहीं बुझेगी। एक दीए की कीमत करीब 70 से 80 पैसे आंकी जा रही है।
बड़े पुल से लालपुल तक रोशन होंगे घाट, 200 दीपों की क्लस्टर रहेगा
दीपोत्सव को मुख्य आयोजन क्षिप्रा नदी के दोनों घाटों पर होगा। बड़े पुल से लेकर लालपुल तक नदी के दोनों घाटों की ओर 12 लाख दीपक लगाए जाएंगे। इसके लिए घाटों पर सफेद बॉक्स बनाए गए हैं। इन बॉक्सों में करीब 200 से 500 दीपक रखे जाएंगे। दरअसल इसके पीछे इन दीपों को एकसाथ तुरंत जलाया जा सकेगा। इसके लिए घाटों की सफाई को भी अंतिम रूप दिया जा रहा है।

महाकाल मंदिर, टॉवर व मंगलनाथ मंदिर में लगेंगे 2 लाख दीपक
दीपों की रोशनी से अकेला क्षिप्रा तट ही रोशन नहीं होगा। बल्की शहर व अन्य बड़े मंदिर भी जगमग होंगे। दीपोत्सव की इस श्रृंखला में महाकाल मंदिर, टॉवर और मंगलनाथ मंदिर में भी लगाए जाएंगे। इसमें टॉवर पर पेट्रोप पंप एसोसिएशन द्वारा करीब 1 लाख दीपक लगाने की योजना है। वहीं महाकाल मंदिर, मंगलनाथ, कालभैरव में भी मंदिर समिति की ओर से दीपक लगाए जाएंगे।
5 हजार लोग जुटेंगे दीप जलाने, 10 मिनट में रोशन होंगे
12 लाख दीपों को जलाने के लिए करीब पांच हजार लोग लगेंगे। प्रशासन इतने सारे लोगों के इंतजाम के लिए स्कूल व कॉलेजों के साथ गुरुवार को बैठक भी करने जा रहा है। 18 व 19 फरवरी तक इतने लोग एकत्र हो जाएंगे , फिर प्रशिक्षण भी दिया जाएगा। प्रशासन की योजना है कि 200 दीपक जलाने के लिए एक व्यक्ति लगेगा। इन दीपों को लकड़ी की मशाल जलाकर जलाया जाएगा। प्रयास है कि दीपक 10 मिनट पहले जलाना शुरू किया जाएगा।

शाम 7 बजे से रोशनी बिखेरेंगे दीपक
क्षिप्रा तट सहित शहर के तीन स्थानों पर दीपक शाम 7 बजे जलना शुरू होंगे। प्रशासन की योजना है कि इन्हें शाम 7 बजे जला दिया जाए। यह दीपक करीब 15 से 30 मिनट तक जलते रहेंगे। कम से कम दीपक 15 मिनट तक जले इसक तरह इन्हें तैयार करेंगे। चूंकि दीपक एक क्लस्टर के रूप में रखे जाएंगे, ऐसे में अगर हवा के कारण कुछ दीपक बुझते हैं, तो इसका पता भी नहीं चल पाएगा।
अयोध्या में हुए 11 लाख दीपों के रोशन करने का भी रेकार्ड तोड़ेगे
महाकाल की नगरी में हो महाशिवरात्रि पर हो रहे दीपोत्सव अयोध्या की तर्ज पर हो रहा है। अयोध्या में पिछले पांच वर्षों से दीपावली के समय सरयु नदी पर दीप जलाएं जा रहे हैं। यहां 2017 में राम की पैड़ी पर दीपोत्सव कार्यक्रम शुरू हुआ था और सबसे पहले करीब 1,80,000 दीये जलाए गए थे। वर्ष 2018 में 3,01,152 फिर 2019 में 5,50,000 फिर 2020 में 5,51,000 जलाए गए थे। वर्ष 2021 में करीब 12 लाख दीपक अयोध्या में जलाए गए थे। यह अपने आप एक विश्व रिकार्ड था। उज्जैन मेे करीब 14 लाख दीपक जलाने की योजना है। ऐसे में अयोध्या को रेकॉर्ड भी टूटने की संभावना है।

घर-मंदिरों में भी सामाजिक संस्थाएं व संगठन करेंगे रोशन
दीपोत्सव का यह आयोजन अकेले प्रशासन ही नहीं शहर के लोग, सामाजिक व धार्मिक संगठन भी अपनी भूमिका निभाएंगे। योजना यह है कि लोग महाशिवरात्रि पर्व पर अपने घर, मंदिरों में भी दीपक लगाएंगे। इसके लिए कई सामाजिक व धार्मिक संगठन आगे भी आए हैं। यह संगठन आयोजन को लेकर जागरुकता फैला रहे हैं तो लोगों को दीपक लगाने के लिए प्रेरित भी कर रहे हैं।
करीब 14 लाख दीपक लगाए जाएंगे
महाशिवरात्रि पर्व पर शहर में करीब 14 लाख दीपक लगाए जाएंगे। इसमें अकेले 12 लाख दीपों से क्षिप्रा नदी तट रोशन होंगे। दीपों के लिए करीब 11 हजार लीटर तेल, दीप व बाती की खरीदी की प्रक्रिया शुरू कर दी है। क्षिप्रा तट पर ही 5 हजार लोग दीप जलाएंगे। वहीं महाकाल मंदिर, टॉवर, मंगलनाथ व कालभैरव मंदिर पर करीब दो लाख दीप जलेंगे। यह शहर का उत्सव है, इसमें सभी की सहभागिता से सफल बनाएंगे।
- आशीषसिंह, कलेक्टर