जीत नहीं पाने से भाजपा खेमा चिंतित
बहुमत होने के बावजूद अध्यक्ष पद पर जीत नहीं पाने से भाजपा खेमा चिंतित है। अधिकांश लोग इसे अंदरूनी खींचतान का नतीजा मान रहे हैं। वहीं एक बड़े तबके का मानना है कि पदाधिकारियों व जनप्रतिनिधियों में तालमेल नहीं होने से ये स्थिति बन रही है। चुनाव में हार के बाद जनपद पंचायत के भवन में भाजपा नेताओं के चेहरे उतरे हुए नजर आए, कैसे आरोपों से बचा जाए सब इसकी जुगत में थे।
जिलाध्यक्ष के इस्तीफे की उठने लगी मांग
पहले तराना जनपद, फिर विस चुनाव में मिली हार और अब जिला पंचायत में जीती बाजी हाथ से फिसलने के बाद अब पार्टी जिलाध्यक्ष श्याम बंसल की कार्यप्रणाली सवालों में आ गई है। पार्टी के ही कार्यकर्ता सोशल मीडिया पर उनके इस्तीफे की मांग उठाने लगे हैं। अपने दूसरे कार्यकाल में बंसल का अब तक का ये सबसे खराब परफारर्मेंस है। बता दें कि विस चुनाव के बाद तराना के एक भाजपा कार्यकर्ता ने खुलकर बंसल को लेकर बयानबाजी कर दी थी, जिसका वीडियो भी वायरल हुआ था।
पोस्ट पर इस तरह की प्रतिक्रिया आई
महामंत्री जी एक संभाग स्तर व दूसरा जिला स्तर का पदाधिकारी बदल दो। अन्यथा बड़ा खमियाजा लोकसभा चुनाव में।
बहादुरसिंह राठौर, भाजपा नेता
सत्ता के समय गवारों, प_ावाद, चमचागिरी और नासमझ जनाधार विहिन को पद बांटे, खमियाजा सामने है।
अशोक देवड़ा, भाजपा नेता
दक्षिण का सौदा है जिला पंचायत – सोनू कछावा,
अभी मुगाल्ते में है उज्जैन शहर का शीर्ष नेतृत्व संघ और भाजपा दोनों।
डॉ. सुशील खण्डेलवाल,
– तराना में भी लुटिया डुबाने वाले यही है। –राहुल सिंह बैस
इन गद्दारों के कारण छोटे कार्यकर्ताओं की उपेक्षा होती है
संजू माली, भाजपा कार्यकर्ता