उज्जैनPublished: Jun 27, 2018 07:30:15 pm
Lalit Saxena
पटेल पर हत्या का आरोप है, और वह गत ढाई वर्ष से फरार चल रहा था।
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नागदा. आखिरकार भाजपा पार्षद विजय पटेल ने बुधवार को न्यायालय में आत्मसमर्पण कर दिया है। पटेल पर हत्या का आरोप है, और वह गत ढाई वर्ष से फरार चल रहा था।
कोर्ट ने बचाव पक्ष के वकील की दलील सुनने के बाद आरोपी पार्षद को १४ दिन की न्यायायिक हिरासत में खाचरौद उपजेल भेज दिया है। घटना २० दिसंबर २०१५ को रास्ते को लेकर दो पक्षों में खूनी संघर्ष हो गया था। जिसमें करणसिंह गुर्जर (६३) नामक व्यक्ति की मौत हो गई थी। वहीं पांच अन्य घायल हो गए थे। मामले में बिरलाग्राम पुलिस ने विजय पटेल सहित ११ लोगों पर हत्या एवं हत्या के प्रयास का मामला दर्ज किया था। आरोपियों में तीन महिलाएं व एक नाबालिग का भी नाम था। जिन्हें कोर्ट से जमानत मिल चुकी है।
यह था विवाद
बायपास रोड स्थित शासकीय भूमि के समीप हीरालाल गुर्जर की कृषि भूमि है। शासकीय जमीन पर बाउंड्रीवॉल बनाने के लिए प्रशासन व पुजारी की जमीन के आसपास गड्ढे खोद दिए है। इस पर ही हीरालाल गुर्जर ने आपत्ति ली थी। इस दौरान पुजारी के परिजनों व गुर्जर में विवाद हुआ था। बाद में अतिरिक्त तहसीलदार ने मौके पर पहुंचकर जमीन का सीमांकन कर जमीन को शासकीय घोषित किया था। लेकिन एक दिन बाद ही दोनों पक्षों में विवाद और बढ़ गया। देखते ही देखते दोनों पक्षों की ओर से दर्जनों लोग एकत्रित हो गए और एक दूसरे पर हमला कर दिया। हमले में करणसिंह की मौत हो गई, वहीं मृतक के पिता हीरालाल गुर्जर व दो पुत्र सचिन व चेतन घायल हो गए।
कांग्रेस ने लगाया ध्यानकर्षण
न्यायालय द्वारा भाजपा पार्षद को धारा ३०२ का आरोपी ठहराए जाने के बाद भी स्थानीय पुलिस द्वारा गिरफ्तारी नहीं करने पर कांग्रेस ने ध्यानाकर्षण लगाकर विधानसभा में जानकारी मांगी गई थी, जिससे पुलिस पर विजय पटेल की गिरफ्तारी को लेकर दबाव था। यही कारण है कि भाजपा पार्षद को कोर्ट के समक्ष उपस्थित होकर सरेंडर करना पड़ा।
पुलिस की जांच में मिल चुकी है क्लिन चिट
करणसिंह हत्या मामले में भाजपा पार्षद विजय पटेल की भूमिका को लेकर स्थानीय पुलिस द्वारा जांच भी की गई थी, जांच अधिकारी तत्कालीन सीएसपी संतोष भदौरिया ने अपनी रिपोर्ट में आरोपी पार्षद को क्लिन चिट दे चुके थे। पुलिस की रिपोर्ट में घटना के समय विजय पटेल के मौके पर मौजूद नहीं रहने की पुष्टि कर दी गई थी। लेकिन स्थानीय एडीजे कोर्ट ने पुलिस की रिपोर्ट को मानने से इंकार करते हुए आरोपी पार्षद को हत्या का अभियुक्त करार देते हुए स्थायी वारंट जारी कर दिया था। लिहाजा भाजपा पार्षद को न्यायालय में सरेंडर करना पड़ा है।