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रिश्वतखोर पटवारी पहुंचा सलाखों के पीछे

locationउज्जैनPublished: Nov 15, 2019 12:18:18 am

Submitted by:

anil mukati

विशेष कोर्ट ने सुनाई सजा, चार साल की सजा, नामांतरण के लिए मांगे थे छह हजार रुपए, तीन हजार की रिश्वत लेते हुए लोकायुक्त ने किया था गिरफ्तार

रिश्वतखोर पटवारी पहुंचा सलाखों के पीछे

विशेष कोर्ट ने सुनाई सजा, चार साल की सजा, नामांतरण के लिए मांगे थे छह हजार रुपए, तीन हजार की रिश्वत लेते हुए लोकायुक्त ने किया था गिरफ्तार

उज्जैन. जमीन नामांतरण के बदले में रिश्वत लेना एक पटवारी को भारी पड़ा है। लोकायुक्त से संबंधित भ्रष्टाचार के मामले में विशेष न्यायालय में विशेष न्यायाधीश अलका दुबे ने बडऩगर तहसील के पटवारी विजयपाल सिंह को भ्रष्टाचार निवारण अधिनियम की धारा 7 एवं 13 में चार-चार वर्ष सश्रम कारावास एवं दोनों धाराओं में कुल चार हजार रुपए के अर्थदंड से दंडित किया गया।
लोकायुक्त संगठन की ओर से विशेष लोक अभियोजक मनोज कुमार पाठक ने बताया कि प्रकाश यादव निवासी ग्राम कारौद ने 19 फरवरी 2016 को लोकायुक्त एसपी उज्जैन को शिकायत कर बताया था कि नामांतरण कार्यवाही के लिए तहसील बडऩगर के हलका नम्बर 18,19 के पटवारी विजयपाल सिंह द्वारा उससे छह हजार रुपए की रिश्वत मांगी जा रही है। शिकायत की तस्दीक वाइस रिकॉर्डर के माध्यम से की गई। इसमें आरोपी विजयपाल द्वारा रिश्वत मांगना स्पष्ट पाया गया। इसके बाद लोकायुक्त पुलिस ने पटवारी को रंगेहाथ पकडऩे की योजना बनाई। लोकायुक्त निरीक्षक बसंत श्रीवास्तव ने 23 फरवरी 2016 को बडऩगर में सिविल कोर्ट के सामने आरोपी पटवारी विजयपालसिंह को प्रकाश यादव से रिश्वत के तीन हजार रुपए लेते हुए रंगे हाथों गिरफ्तार कर लिया। कार्रवाई के दौरान आरोपी पटवारी के हाथ धुलवाए गए, तो हाथ गुलाबी हो गए। विवेचना में अपराध प्रमाणित पाए जाने पर लोकायुक्त संगठन द्वारा आरोपी के विरुद्ध अभियोग पत्र 6 मार्च 2017 को न्यायालय में प्रस्तुत किया गया। यहां आरोपी पटवारी को सजा सुनाई।
भ्रष्टाचार की जड़ें समाज में गहरी
विशेष न्यायालय की ओर से अपने निर्णय में टिप्पणी की गई कि भ्रष्टाचार एक ऐसा दावानल है, जिसकी जडं़े समाज में काफी गहरी हंै। नैतिक मूल्यों के ह्रास के कारण वह ऐसा विकराल रूप लेता जा रहा है, जिसकी प्रचंड दावागनि में समाज की उन्नति, प्रगति और विकास के भस्म होने की संभावना है। समाज और देश की प्रगति के लिए भ्रष्टाचार पर अंकुश लगाना आवश्यक है। इसके दूरगामी दुष्परिणामों को रोकने के लिए न्यायालय को ऐसे अपराधों के प्रति कड़ा रुख ही अपनाना चाहिए।
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