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चातुर्मास : 19 साल बाद बन रहा संयोग…व्रत-त्योहार बढ़ेंगे एक माह आगे

locationउज्जैनPublished: Jun 24, 2020 11:55:45 am

Submitted by:

Lalit Saxena

Ujjain News: इस बार चातुर्मास चार नहीं, बल्कि पांच माह का, देवशयन का रहस्य भी छुपा है इसमें, वर्षा ऋतु से दक्षिणायन होंगे सूर्य

Chaturmas: Coincidence after 19 years ... festival

Ujjain News: इस बार चातुर्मास चार नहीं, बल्कि पांच माह का, देवशयन का रहस्य भी छुपा है इसमें, वर्षा ऋतु से दक्षिणायन होंगे सूर्य

उज्जैन@ललित सक्सेना. इस बार चातुर्मास चार नहीं, बल्कि पांच माह का होगा, जिसमें भगवान पांच महीने विश्राम करेंगे। यह संयोग 19 साल के बाद बनने जा रहा है। इस दौरान विवाह आदि मांगलिक कार्य नहीं होंगे। वर्षा ऋतु से सूर्य दक्षिणायन होंगे। इसके चलते सारे व्रत, त्योहार और पर्व एक माह के लिए आगे बढ़ जाएंगे। ज्योतिर्विद पं. आनंदशंकर व्यास ने बताया हर साल वर्षा ऋतु के आरंभ से सूर्य का दक्षिणायन आरंभ होता है। उसके बाद देवशयनी से चातुर्मास की शुरुआत मानी जाती है। इस बार देवशयनी एकादशी 1 जुलाई को आ रही है। चातुर्मास के दौरान समस्त मांगलिक कार्य, विवाह, गृह प्रवेश, नया वाहन-मकान आदि नहीं खरीदे जाएं, इन पर रोक लग जाएगी। आषाढ़ शुक्ल एकादशी (देवशयनी) से कार्तिक शुक्ल एकादशी (देवप्रबोधिनी) पर्यंत समय को ही चातुर्मास कहा जाता है। इस बार आश्विन मास अधिक होने से पांच मास का चातुर्मास होगा। इस तरह से भगवान पांच मास तक शयन करेंगे।

इससे पहले कब-कब बना यह संयोग
पं. व्यास के अनुसार विक्रम संवत 1879, 1898, 1917, 1936, 1955, 2020, 2039, 2058 के बाद अब 20७७ में यह संयोग बन रहा है। इसमें एक मास की अधिकता रहेगी, जिससे इस वर्ष चातुर्मास पांच माह का रहेगा। वास्तव में देवशयन का अर्थ तात्विक रूप से इस समय में सूर्य की किरणें दक्षिण दिशा से आती हैं। दक्षिण आसुरी दिशा कही जाती है, इन दिनों में दक्षिणायन में आसुरी शक्तियां जाग्रत रहती हैं और देव शक्तियां सुप्त अवस्था में हो जाती हैं। इसी कारण से शुभ कार्य नहीं किए जाते हैं। इसीलिए साधु-संत, जैन संन्यासी, मुनि आदि एक जगह रुककर चातुर्मास करते हैं और धार्मिक ग्रंथों का पाठन, कथा-भागवत, सत्संग-कीर्तन आदि करते हैं।

दक्षिणायन का क्रम आरंभ
– 20 जून से दक्षिणायन का क्रम आरंभ हो चुका है।
– देवशयनी एकादशी 1 जुलाई को है, इसी दिन से चातुर्मास आरंभ होगा।
– अधिकमास की अवधि 18 सितंबर से 1७ अक्टूबर तक रहेगी।
– देवप्रबोधिनी एकादशी 25 नवंबर को होगी।

एक-एक माह आगे बढ़ जाएंगे पर्व-त्योहार
पं. व्यास ने बताया कि अधिकमास के कारण हमारे व्रत-त्योहार व पर्व एक-एक माह आगे बढ़ जाएंगे। श्राद्ध पक्ष 17 सितंबर को समाप्त होगा। लेकिन नवरात्रि एक माह बाद यानी 17 अक्टूबर से आरंभ होगी। दशहरा 25 अक्टूबर को आएगा। दीपावली 14 नवंबर को मनाई जाएगी।

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