इससे पहले कब-कब बना यह संयोग
पं. व्यास के अनुसार विक्रम संवत 1879, 1898, 1917, 1936, 1955, 2020, 2039, 2058 के बाद अब 20७७ में यह संयोग बन रहा है। इसमें एक मास की अधिकता रहेगी, जिससे इस वर्ष चातुर्मास पांच माह का रहेगा। वास्तव में देवशयन का अर्थ तात्विक रूप से इस समय में सूर्य की किरणें दक्षिण दिशा से आती हैं। दक्षिण आसुरी दिशा कही जाती है, इन दिनों में दक्षिणायन में आसुरी शक्तियां जाग्रत रहती हैं और देव शक्तियां सुप्त अवस्था में हो जाती हैं। इसी कारण से शुभ कार्य नहीं किए जाते हैं। इसीलिए साधु-संत, जैन संन्यासी, मुनि आदि एक जगह रुककर चातुर्मास करते हैं और धार्मिक ग्रंथों का पाठन, कथा-भागवत, सत्संग-कीर्तन आदि करते हैं।
दक्षिणायन का क्रम आरंभ
– 20 जून से दक्षिणायन का क्रम आरंभ हो चुका है।
– देवशयनी एकादशी 1 जुलाई को है, इसी दिन से चातुर्मास आरंभ होगा।
– अधिकमास की अवधि 18 सितंबर से 1७ अक्टूबर तक रहेगी।
– देवप्रबोधिनी एकादशी 25 नवंबर को होगी।
एक-एक माह आगे बढ़ जाएंगे पर्व-त्योहार
पं. व्यास ने बताया कि अधिकमास के कारण हमारे व्रत-त्योहार व पर्व एक-एक माह आगे बढ़ जाएंगे। श्राद्ध पक्ष 17 सितंबर को समाप्त होगा। लेकिन नवरात्रि एक माह बाद यानी 17 अक्टूबर से आरंभ होगी। दशहरा 25 अक्टूबर को आएगा। दीपावली 14 नवंबर को मनाई जाएगी।