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थायरॉइड से बच्चों का पढ़ाई में नहीं लगता मन, शरीर विकास होता है प्रभावित

locationउज्जैनPublished: May 25, 2023 01:43:32 am

Submitted by:

rajesh jarwal

विश्व थॉयराइड दिवस आज: १० से २० वर्ष तक बच्चों के बदलाव पर रखें ध्यान, महिलाओं में दस गुना अधिक होता है खतरा

Children don't feel like studying due to thyroid, body development is affected
विश्व थॉयराइड दिवस आज: १० से २० वर्ष तक बच्चों के बदलाव पर रखें ध्यान, महिलाओं में दस गुना अधिक होता है खतरा
उज्जैन. टीन एजर्स बच्चे का अचानक पढ़ाई में मन नहीं लगना, हाइट रुकना या शारीरिक विकास प्रभावित होने लगता है तो इसे सामान्य न मानें। यह बदलाव थायरॉइड ग्रंथि के ठीक से कार्य नहीं करने के कारण हो सकता है। इसलिए जरूरी है कि १० से २० वर्ष तक के बच्चों में हो रहे बदलाव पर विशेष ध्यान रखा जाए क्योंकि बच्चा या अभिभावक जब तक समस्या की जड़ तक पहुंचते हैं ग्रंथि का विकार काफी बढ़ चुका होता है।
अनुवांशिक या हार्मोन बदलाव के अलावा अव्यवस्थित लाइफ स्टाइल और खानपान के कारण थायरॉइड की समस्या आम हो रही है। गुरुवार को विश्व थायरॉइड दिवस है। इसे मनाने का मुख्य उद्देश्य ही लोगों को इस समस्या के प्रति जागरूक करना है। विश्व थायरॉइड दिवस पर पत्रिका की एक रिपोर्ट।
थायरॉइड होने का खतरा पुरुषों की तुलना में महिलाओं को दस गुना अधिक रहता है। आम लक्षणों के साथ ही माहवारी अनियमित होने की समस्या होती है। कई मामलों में इनफर्टिलिटी का कारण बनता है। गर्भवती को थायरॉइड होने से गर्भ में पल रहे बच्चे में भी शारीरिक या मानसिक विकार का खतरा हो सकता है।
हायपर थायरॉइड के लक्षण
वजन कम होना, घबराहट, थकान, सांस फूलना, कम नींद आना, अधिक प्यास लगना, दुबला होना, हाइपोथायराइडिज्म , वजन बढऩा, थकान, अवसाद, मानसिक तनाव, बालों का पतला होना, झडऩा। त्वचा का रूखा और पतला होना
क्या है थायरॉइड
सांस की नली के ऊपर थायरॉइड तितली के आकार का एक ग्लैंड होता है। थायराइड ग्लैंड टी3, टी4 हार्मोन बनाती है। ये हार्मोन शरीर के मेटाबॉलिज्म को बढ़ाता है और शरीर में सेल्स को कंट्रोल करता है। यह दो प्रकार के होते हैं हायपो थाइरॉइड व हाइपर थाइरॉइड। थायराइड हार्मोन में कमी से हाइपोथायरायडिज्म (अचानक वजन बढऩा) होता है। थायराइड हार्मोन के बढऩे से हाइपरथायरायडिज्म होता है।
सिर के बाल से लेकर पांव के नाखून तक असर
थायरॉइड की समस्या होने की कोई उम्र नहीं है। कुछ केस में जन्म से बच्चे में थाइरॉइड ग्रंथी नहीं होने या ठीक से कार्य नहीं करने की समस्या देखी गई है। आम तौर पर १० से २० वर्ष की उम्र थायरॉइड संबंधित समस्या होने का खतरा रहता है। थायरॉइड के कारण व्यवहार में चिडचिड़ापन या डिप्रेशन जैसा बदलाव भी आता है, इसलिए परिजनों को पीडि़त की मनोस्थिति समझकर उनका सहयोग करना चाहिए। थायरॉइड कोई ऐसी बीमारी नहीं है जिसका उपचार असंभव या जटिल हो। इसलिए पीडि़त घबराएं नहीं। सामान्य उपचार व दिनचार्य और खानपान संयमित करने से समस्या दूर की जा सकती है।
- डॉ. अभ्युदय वर्मा, एंडोक्राइनोलोजिस्ट
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