आचार संहिता की वजह से शाम के कार्यक्रम नहीं होंगे
जत्रा में दिनभर दर्शन-पूजन के बाद शाम को धार्मिक-सांस्कृतिक कार्यक्रमों का आयोजन भी किया जाता है, लेकिन इस वर्ष लोकसभा चुनाव की आचार संहिता की वजह से शाम के कार्यक्रम नहीं होंगे। प्रात: पंचामतृ अभिषेक के बाद घी, सिन्दूर और वर्क से शृंगार करने के बाद गणेशजी की आरती की जाएंगी। भक्तों को मंदिर के गर्भगृह में प्रवेश नहीं दिया जाएगा। बाहर से ही श्रद्धालु भगवान चिंतामण गणेश के दर्शन करेंगे। गणेश मंदिर के पुजारी शंकर गुरु ने बताया कि चैत्र में गेहूं-चने की फसल पक जाती है। किसानों के यहां धान के भंडार भर जाते हैं। किसान नया धान बाजार में बेचने से पहले भगवान चिंतामण गणेश के दरबार में चढ़ाने आते हैं। यह परंपरा पुरानी है, कालांतर में इसने जत्रा का रूप ले लिया है। इसके अलावा अनेक श्रद्धालु मनोकामना के लिए भी जत्रा में शामिल होते हैं। पहली जत्रा 27 मार्च, दूसरी 03 अप्रैल, तीसरी 10 अप्रैल तथा चौथी 17 अप्रैल को है। गुरु ने बताया कि चैत्र मास भगवान गणपति की आराधना के लिए विशेष माना गया है। इस माह के प्रत्येक बुधवार को भक्त चिंतामण गणेश के दर्शनों के लिए मंदिर आते हैं। मंदिर के आसपास मेला भी लगता है। मालवी बोली में इसे जत्रा कहा जाता है। ज्योतिषाचार्यों के अनुसार चिंतामन गणेश मंदिर में चेती जत्रा लगने की परंपरा पुरानी है।
नवरात्रि मेले की तैयारी, मनोरंजन के लिए आए झूले
6 अप्रेल को घटस्थापना के साथ नवरात्रि मेले का होगा शुभारंभ
शाजापुर. 6 अप्रेल से शुरू होने वाली चैत्र नवरात्रि को लेकर माता मंदिरों में तैयारियां शुरू हो चुकी हैं। शहर में लगने वाले 15 दिनी मेले की तैयारी भी जोरों पर हैं। मेले में लगने वाले झूलों का शहर में आना शुरू हो गया है। मेला प्रांगण में अनेकों बड़े झूले आ चुके हैं, जिनका फीटिंग का कार्य चल रहा है। झूले संचालकों द्वारा चिह्नित जगहों पर झूले लगाए जा रहे हैं।
चैत्र नवरात्रि से हिंदू नववर्ष की शुरुआत भी होगी। नवरात्रि को लेकर शहर व आसपास माता मंदिरों में रंगाई व पुताई का काम शुरू हो गया है। चैत्र नवरात्रि पर शहर में 15 दिनी भव्य मेला लगता है। इसमें दूरदराज से व्यापारी शामिल होते हैं। मेला प्रांगण में डिस्को झूला, बे्रक डांस, मौत का कुआं, चकरी झूला, नाव झूला सहित विभिन्न मनोरंजन के साधन पहुंचने लगे हैं। ताकि मेला शुरू होने से पहले इनका फीटिंग कार्य हो सके। बता दें कि मां राजराजेश्वरी मंदिर में लगने वाले मेले में प्रतिदिन हजारों लोग पहुंचते है। यहां 9 दिनों तक होने वाली माता की विशेष आरती में भी हजारों लोग शामिल रहते हैं। जो मां राजराजेश्वरी के दर्शन के साथ ही मेले का भी आनंद उठाते हैं।