scriptvideo : उज्जैन के बाद यहां हादसे का इंतजार, बच्चों की जान से रोज होता खिलवाड़…. | Classroom in the Old Building, Probability of an Accident | Patrika News

video : उज्जैन के बाद यहां हादसे का इंतजार, बच्चों की जान से रोज होता खिलवाड़….

locationउज्जैनPublished: Jul 03, 2018 09:41:32 pm

Submitted by:

Lalit Saxena

शिक्षा विभाग ने भवन को माना जर्जर, बावजूद लगती है कक्षा

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कमलेश वर्मा@नागदा। शहर से पांच किमी दूर स्थित शासकीय बालक प्रावि किसी भी समय जमींदोज हो सकता है। शिक्षा विभाग द्वारा दो वर्ष पूर्व ही भवन को डिस्मेंटल कर नवीन भवन निर्माण करने के निर्देश जारी किए जा चुके हैं, लेकिन शिक्षकों की लापरवाही का आलम यह है, कि जर्जर भवन में बच्चों को की कक्षाएं ली जा रही हैं। विडंबना यह है, कि शासकीय आदेश के बावजूद शिक्षकों द्वारा बच्चों की जान के साथ खिलवाड़ क्यों किया जा रहा है। इतना ही नहीं विद्यालय के शिक्षकों द्वारा बच्चों को मध्याह्न भोजन जर्जर छत के नीचे ही करवाया जाता है। सवाल पूछे जाने पर शिक्षकों का तर्क है, कि बच्चों की कक्षा पंचायत भवन में ली जाती है और मध्याह्न भोजन पुराने भवन में करवाया जाता है। कारण रसोई जर्जर भवन में मौजूद होना है। शिक्षा विभाग द्वारा भवन को जर्जर घोषित किए जाने के बाद बच्चों की कक्षा पंचायत भवन में तो लगा दिया गया, लेकिन वहां ब्लैक बोर्ड लगाना भूल गए।

उज्जैन में हो चुका है हादसा
उज्जैन में सोमवार को दोपहर के समय शासकीय कन्या माध्यमिक विद्यालय पानदरीबा की छत की गैलरी की दीवार गिरने से 5 छात्राएं घायल हो गईं। घायल छात्राओं को इलाज के लिए जिला अस्पताल में भर्ती करवाया गया है। छात्राएं मध्यांतर के दौरान छत पर कबड्डी खेल रही थीं। इसी दौरान गैलरी की दीवार के सपोर्ट पर वह खड़ी हो गईं, जिस पर दीवार गिर गई। ठेकेदार ने बगैर पिलर के ही दीवार तान दी थी। इसके अलावा दीवार का निर्माण भवन निर्माण के बाद किया गया था। जिस वजह से दीवार कमजोर थी।

कक्षा में बोर्ड ही नहीं, कैसे हो पढ़ाई
स्कूल भवन को जर्जर घोषित किए जाने के बाद से विद्यालय के बच्चों को समीप स्थित पंचायत भवन में बैठने की अनुमति दे दी गई। लेकिन शिक्षा विभाग के अफसरों ने पंचायत में बोर्ड लगाना जरुरी नहीं समझा। कुछ लापरवाही शिक्षा विद्यालय प्रभारियों की भी है, विद्यालय के शिक्षकों ने भी ब्लैक बोर्ड की मांग करना विभाग से जरुरी नहीं समझा। परेशानी यह है, कि जिस कक्षा से बोर्ड नदारद हो उस कक्षा में बच्चे पढ़ाई किस प्रकार करते होंगे। विद्यालय में एक प्रभारी व एक अध्यापक पदस्थ है। उक्त दोनों व्यक्तियों ने ब्लैक बोर्ड लगाए जाने के लिए शासकीय स्तर पर कोई प्रयास करना उचित नहीं समझा।

डिस्मेंटल किए जाने के आदेश, लेकिन खुलता है ताला
शिक्षकों की लापरवाही का नमूना तब उजागर होता है, कि विद्यालय भवन को जर्जर घोषित किया गया है। लेकिन शिक्षक प्रभारी शिक्षक प्रतिदिन स्कूल का ताला खोलते है। बैठने के लिए कुर्सियां भी लगाते हैं। बकायदा बच्चों को भोजन भी करवाते हैं, लेकिन सवाल पूछे जाने पर बात से मुकरते हुए यह तर्क देते हैं, कि रसोई के लिए अन्यत्र स्थान नहीं है। आला अफसरों के पाले में गेंद डाले हुए शिक्षकों का तर्क है, कि कई बार लिखित आवेदन दिए जा चुके हैं, लेकिन बजट का अभाव होने से नवीन भवन नहीं बन पा रहा।

झूठ बोलने से नहीं चूके शिक्षक
शासकीय प्रावि में कुल ४५ बच्चे पंजीकृत हैं। शिक्षकों द्वारा जर्जर भवन में बच्चों की कक्षा मंगलवार को ली गई। स्कूल भवन के जर्जर हालत की जानकारी जुटाते समय पत्रिका टीम जर्जर एक कक्षा में गई। कक्षा में चार बच्चों के स्कूल बेग व ब्लैक बोर्ड पर त, थ, द, ध, न अंकित दिखाई दिए। शिक्षक से पूछे जाने पर सफेद झूठ बोल दिया गया, कि यहां बच्चों की कक्षा नहीं ली गई। बच्चे मध्याह्न भोजन कर रहे थे। यह बात गले नहीं उतरती। कारण शिक्षक चंचल बैरागी व रमेशचंद्र वाडेला द्वारा जर्जर भवन को खोला ही क्यों गया। और जब विभाग द्वारा भवन को क्षतिग्रस्त मानते हुए पंचायत भवन में कक्षा लगाए जाने के आदेश है, तो रसोई की व्यवस्था अन्यत्र क्यों नहीं की गई। उक्त शिक्षकों द्वारा स्वयं बताया गया कि कुछ वर्ष पूर्व विद्यालय की दीवार से लगा आंगनवाड़ी भरभराकर गिर गया था।

दीवारों के कौनों में आई दरारें
शासकीय प्रावि रोहलखुर्द भवन इस कदर जर्जर हो गया है, कि सभी कक्षाओं की दीवारों में दरार पड़ गई है। इतना ही नहीं बारिश के दिनों में भवन कभी भी टूट कर गिर सकता है। विद्यालय प्रधान अध्यापक चंचल बैरागी का कथन है, कि दो वर्ष पूर्व ही भवन के निर्माण के लिए विभाग को सूचना दी गई थी। जवाब स्वरूप विभाग द्वारा भवन को जर्जर मानते हुए बच्चों को पंचायत भवन में पढ़ाए जाने के निर्देश जारी किए गए।

इनका कहना –
जर्जर भवन की लिखित शिकायत मुख्यालय को की जा चुकी है। विभाग ने भवन को डिस्मेंटल करने के आदेश दिए हैं, नवीन भवन कब बनेगा यह बता पाना मुश्किल है। शायद बजट का अभाव निर्माण में देरी का कारण। डिस्मेंटल घोषित भवन में बच्चे मध्याहन भोजन करते हैं। बच्चों की कक्षाएं पंचायत भवन में ली जाती हैं।
– चंचल बैरागी, प्रधान अध्यापक, शा. बालक प्रावि

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