मंगलवार को मेला कार्यालय में सांसद मालवीय की अध्यक्षता में हुई जिला समन्वय एवं निगरानी समिति (दिशा) की बैठक में सफाई व्यवस्था का मुद्दा छाया। सांसद मालवीय ने कहा, एेसी शिकायतें मिली हैं कि कचरा कलेक्शन के लिए नियुक्त कंपनियों ने कम कर्मचारी रखे हैं और उन्हें कम वेतन देकर शोषण कर रहे हैं। शेष राशि दूसरों की जेब में जा रही है। उन्होंने कंपनियों द्वारा कर्मचारियों के वेतन की राशि सीधे उनके बैंक खाते में ट्रांसफर नहीं करने पर आपत्ति ली। निगमायुक्त प्रतिभा पाल ने इसे कंपनी की व्यक्तिगत व्यवस्था बताया तो सांसद ने विरोध करते हुए कहा, यह व्यक्तिगत व्यवस्था नहीं है, शासन ने ई-पैमेंट व्यवस्था के निर्देश दिए हैं। इसलिए वेतन ई-पैमेंट से ही होना चाहिए। सांसद ने शहर की सफाई व्यवस्था पर भी सवाल उठाते हुए कहा, कचरा पेटी नियमित खाली नहीं हो रही हैं। फूड जोन के बाहर कचरा पेटी से पूरे क्षेत्र में बदबू फेल रही है। महाकाल मंदिर के सामने भी गंदगी फैली रहती है। कचरा निष्पादन केंद्र की भी जांच होना चाहिए क्योंकि एेसी शिकायतें मिल रही हैं कि वजन अधिक करने के लिए कचरा गाड़ी में मिट्टी भर ली जाती है। हमने प्रत्येक घर पर टैक्स बढ़ा दिया है, शासन से करोड़ों रुपए आ रहे हैं फिर भी हम रैंकिंग में १७ नंबर पर पहुंच गए हैं। मामले में मॉनिटरिंग बढ़ाएं।
घाटों पर न सफाई, न जनसुविधा
बैठक में सांसद ने शिप्रा के प्रमुख घाटों पर गंदगी होने और जरूरी जनसुविधा की कमी को लेकर भी नाराजगी जताई। उन्होंने कहा, शिप्रा स्नान के लिए दूरदराज से श्रद्धालु आते हैं लेकिन उन्हें घाट न सफाई मिलती है और नहीं पेयजल, सुविधाघर, चेंजिंग रूम की फेसिलिटी। आवश्यक व्यवस्था के लिए निगमायुक्त को निर्देशित किया। बता दें कि शिप्रा के घाटों के दुदर्शा का मु्द्दा पत्रिका द्वारा लगातार प्रमुखता से उठाया जा रहा है।
अवार्ड की बात छोड़ो, डॉक्टर तो मिलते नहीं
राष्ट्रीय स्वास्थ्य मिशन की समीक्षा के दौरान शुरुआत में ही सीएमएचओ डॉ. राजू निदारिया ने जिले को अवार्ड मिलने की जानकारी दी। इस पर कलेक्टर ने उन्हें टोकते हुए कहा, अवार्ड की बात छोड़ा, प्रोग्रेस रिपोर्ट बताआे। अस्पताल की हालत देखें क्या हो रही है, डॉक्टर तक तो मिलते नहीं है। सांसद ने भी डायलिसीस मशीन बंद होने, माधवनगर अस्तपताल में कर्मचारियों द्वारा ही इलाज के लिए मना कर देने, ऑपरेशन व्यवस्था बिगडऩे आदि पर आपत्ति ली।
शिक्षा विभाग की कार्यप्रणाली पर नाराजगी
सांसद ने शिक्षा विभाग की कार्यप्रणाली पर भी खासी नाराजगी जताई। उन्होंने पहला मुद्दा एक निजी स्कूल द्वारा भाषायी अल्पसंख्यक के आधार पर आरटीई से मुक्त होने पर उठाया। शिक्षा अधिकारी संजय गोयल ने अल्पसंख्यक आयोग की गाइडलाइन व अन्य तर्ग दिए तो सांसद ने कहा, आपने क्या किया, विभाग ने आपत्ति क्यों नहीं ली। इसके बाद सांसद ने निजी स्कूलों द्वारा निर्धारित दुकान से पुस्तक, ड्रेस, बस्ते आदि खरीदने का दबाव बनाने का मुद्दा उठाते हुए कलेक्टर को कार्रवाई का कहा। डीईओ ने धारा १४४ लागू होने की जानकारी दी तो सांसद ने कहा, अभिभावकों को इसका क्या लाभ मिला, कितने स्कूलों पर कार्रवाई हुई। छात्रावास में सर्पदंश की घटना का हवाला देते हुए सांसद ने पलंग की व्यवस्था के निर्देश दिए।