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कॉलेज चलो अभियान पर वीडियो कॉन्फ्रेंस में होगा मंथन

locationउज्जैनPublished: May 29, 2019 10:05:43 pm

Submitted by:

Lalit Saxena

उच्च शिक्षा के न्यायालीन प्रकरणों पर होगी चर्चा

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उज्जैन. आचार संहिता हटने के बाद ही उच्च शिक्षा विभाग तेजी से प्रवेश प्रक्रिया और कॉलेजों की संबद्धता, निरंतरता प्रक्रिया में जुट गया है। प्रवेश प्रक्रिया समय पर पूरी होने के बाद ही सत्र की शुरुआत समय पर हो पाएगी। इसके लिए गुरुवार को वीडियो कॉन्फ्रेंस के माध्यम से विभाग के अधिकारी, कॉलेज प्राचार्य, विवि अधिकारियों से चर्चा कर अब तक की स्थिति की समीक्षा की जाएगी। इस दौरान अब तक की तैयारियों पर चर्चा होगी। इसी के साथ न्यायालीन प्रकरणों में उलझा उच्च शिक्षा विभाग प्रकरणों की स्थिति पर भी चर्चा करेगा। विभाग सबसे ज्यादा विश्वविद्यालयों के प्रकरणों से परेशान है। मामलों में सीधे हस्ताक्षेप नहीं कर पाने के बावजूद न्यायालय में पार्टी बना देता है। विभाग की तरफ से अब निर्देश हैं कि न्यायालय में स्ववित्तीय पाठ्यक्रमों में मानदेय संबंधी प्रकरणों में आयुक्त व प्रमुख सचिव को न्यायायल में पार्टी नहीं बनाया जाए।

कॉलेज चलो अभियान की जानकारी

वीडियो कॉन्फ्रेंस में कॉलेज चलो अभियान की समीक्षा होगी। प्रवेश प्रक्रिया के लिए सभी कॉलेजों में हेल्प डेस्क बनाई जाएगी। इसी के साथ जिला स्तर पर भी एक अधिकारी की नियुक्ति की जाएगी। प्रवेश के लिए पहले सभी कॉलेजों की संबद्धता व निरंतरता के प्रकरणों का निपटारा होना है। साथ ही शासकीय महाविद्यालय का वेबसाइट पर सत्यापन संबंधी कार्य की समीक्षा की जाएगी। विभाग की तरफ से सभी विश्वविद्यालय को स्नातक और स्नातकोत्तर स्तर पाठ्यक्रम के रिजल्ट जून माह से पहले घोषित किए जाने के निर्देश दिए गए हैं। विक्रम विवि प्रशासन तेजी से रिजल्ट देने की कार्रवाई कर रहा है, लेकिन अभी स्थिति एेसी नहीं है कि जून तक पूरा काम पूरा कर लिया जाए। समीक्षा बैठक में रिजल्ट संबंधी जानकारी भी मांगी गई।

विवि के भी पेंशन संबंधी प्रकरण

उच्च शिक्षा विभाग सबसे ज्यादा परेशान न्यायालय में लंबित पेंशन प्रकरणों से है। इस प्रकरणों में कई बार भुगतान संबंधी आदेश हो गए हैं, लेकिन पैसा देने के मामले में विवि और शासन एक-दूसरे पर पल्ला झाड़ते हैं। इस खींचतान में प्रकरण और उलझते हैं। विक्रम विवि के भी एक सैकड़ा से अधिक पेंशन प्रकरण न्यायायल में लंबित थे। इन सभी प्रकरणों को अतिरिक्त संचालक ने तेजी से निपटा दिया। हालांकि अभी भी एक-दो प्रकरण बचे हुए हैं।

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