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लॉक डाउन में घर की चीजों से बनाए रंग…एक कलाकार, दो अनूठी खूबी…विदेश में भी बनाई पहचान

locationउज्जैनPublished: Apr 30, 2020 08:33:10 pm

Submitted by:

Lalit Saxena

Ujjain News: – रंगों की दुकानें बंद हैं, तो घर में बना लिए रंग, नृत्य में है अंतरराष्ट्रीय ख्याति

Colors made from household items in lock down

Ujjain News: – रंगों की दुकानें बंद हैं, तो घर में बना लिए रंग, नृत्य में है अंतरराष्ट्रीय ख्याति

उज्जैन. कोरोना महामारी के चलते लॉक डाउन के बीच कलाकार कला सृजन में जुटे हुए हैं। शहर का एक ऐसा कलाकार जो अभावों में भी अपनी कला को निखारने में पीछे नहीं हैं। ये कलाकार है कुलदीप दुबे, जिन्होंने एक ऐसा ही नवाचार किया है। कुलदीप एक अंतरराष्ट्रीय स्तर के नृत्यकार होने के अलावा अच्छे चित्रकार भी हैं। कुलदीप ने बताया कि उनके पास रंग खत्म हो चुके हैं। लॉकडाउन की वजह से घर से बाहर नहीं जा सकते और रंगों की दुकानें भी बंद है। इसलिए उन्होंने घर में उपलब्ध सामग्री से ही रंग तैयार कर लिए।

चंदन और कोयले से बना लिए रंग
कुलदीप दुबे ने बताया नीले रंग के लिए नील, पीले रंग के लिए हल्दी, लाल रंग के लिए कुंकू, काले रंग के लिए काजल व कोयला और नारंगी रंग के लिए चंदन आदि सामग्री का उपयोग किया। घर में बनाए इन्हीं रंगों से चित्र बनाने में जुट गए। लॉकडाउन के भीतर उन्होंने रूई के फोहे से इन रंगों के माध्यम से अलग-अलग कई चित्र तैयार कर लिए। जिसमें देव नृत्य से दानव दमन, खेत में बच्चे को गोद में लिए बैठी मां, राधा-कृष्ण सहित अन्य चित्र आकषज़्क हैं। इसके अलावा उन्होंने पुरातत्वविद् और भीमबेटका की गुफाओं के खोजकर्ता पद्मश्री विष्णुश्रीधर वाकणकर की 4 मई को आने वाली जयंती पर उनका भी एक चित्र पुजापे की सामग्री के रंगों से तैयार किया है।

लॉक डाउन में प्रकृति भी कर रही नृत्य
उज्जैन के नृत्य कलाकारों में कुलदीप दुबे एक ऐसा नाम है, जिन्हें लंदन में रहकर नृत्य गुरु पद्मश्री प्रताप पंवार से सीखने का अवसर मिला। दुबे ने बताया मुझे वहां पर लोक नृत्य का प्रशिक्षण देने का, लोकनृत्य कथक की प्रस्तुति के साथ बड़े उत्सव में संगत करने का, 4५ दिन लंदन में गुरुजी के साथ रहने का अवसर मिला, तो मैं धन्य हो गया। दुबे ने वर्तमान हालात पर कहा कि भारत विश्व गुरु रहा है। लॉक डाउन में ही कला के माध्यम से घर-घर से रचनात्मक गतिविधियां हो रही हैं, जिसमें से एक कला नृत्य भी है। कई उपकरण, इंटरनेट, सोशल मीडिया के माध्यम से कलाकार नृत्य से अपनी ऊर्जा व ज्ञान संचार कर रहे हैं, जिससे वे शारीरिक मानसिक समस्याओं से कहीं न कहीं बचे हुए हैं। कोरोना जंग में हमारा पूरा ब्रह्मांड, प्रकृति भी निरन्तर नृत्य कर रही है। आकाश प्रदूषण मुक्त है, धरती सुसज्जित है, नदियों का जल निर्मल हो रहा है, पशु-पक्षियों को आजादी सी लग रही है, हम घरों में रुके हैं, किंतु सूर्य, चंद्र, पृथ्वी, नभ, तारे, समीर, बादल, आदि सभी अपनी लय-ताल अनुसार नृत्य कर रहे हैं रुके नहीं हैं।

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