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गर्मी से राहत के लिए मंदिरों में होंगे कुछ ऐसे जतन

locationउज्जैनPublished: May 07, 2019 11:18:00 am

Submitted by:

Lalit Saxena

वैशाख मास में भगवान कृष्ण को शीतलता प्रदान करने के लिए अक्षय तृतीया से अनेक जतन किए जाते हैं।

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उज्जैन. वैशाख मास में भगवान कृष्ण को शीतलता प्रदान करने के लिए अक्षय तृतीया से अनेक जतन किए जाते हैं। इसी क्रम में मंगलवार को अक्षय तृतीया से इस्कॉन मंदिर में चंदन यात्रा का आयोजन किया जाएगा। ठाकुरजी की दिनचर्या भी बदलेगी। भगवान के भोग, शृंगार से लेकर आरती तक का क्रम ऋ तु के अनुसार होगा। महाकाल मंदिर और अन्य शिवालयों में वैशाख प्रतिप्रदा से मिट्टी के कलशों से भगवान के शीश पर शीतल जलधारा प्रवाहित की जा रही है।

भगवान को गर्मी नहीं लगे
भरतपुरी स्थित इस्कॉन मंदिर में मंगलवार से 21 दिवसीय चंदन यात्रा की शुरुआत होगी। पीआरओ राघव पंडित दास ने बताया भगवान को गर्मी नहीं लगे, इसलिए चंदन का लेपन किया जाएगा। चन्दन यात्रा के दौरान मंगलवार से प्रथम 7 दिन तक अर्चा विग्रह और दर्शन विग्रह दोनों को चंदन से लेप करेंगे। प्रथम 7 दिनों दर्शन आरती का समय प्रात: 8.30 रहेगा। शेष 14 दिन तक अर्चा विग्रहों पर चन्दन लेप होगा और आरती का समय प्रात: 7.25 रहेगा।

फव्वारे लगाए जाएंगे

शहर के पुष्टिमार्गीय मंदिरों में भगवान को गर्मी से राहत के लिए उनके सामने फव्वारे लगाए जाएंगे। सफेद फूल और मोती के आभूषण से शृंगार होगा। जरी के बजाए सफेद वायल के वस्त्र धारण कराए जाएंगे। भोग में शीतल सामग्री परोसी जाएगी। आरती के दीपक में बाती की संख्या भी कम हो जाएगी। ठाकुरजी की हवेली में गर्म हवा का प्रवेश रोकने के लिए खिड़की व दरवाजों पर खस की पट्टी लगाई जाएगी।

गोपाल मंदिर में भगवान को चंदन
गोपाल मंदिर में गोपालजी को मस्तक पर चंदन लगाया जाएगा। सूत्री वस्त्र की पोशाक पहनाई जाएगी। शृंगार में मोगरे के फूलों का उपयोग होगा। भोग में भी माखन, मिश्री आदि शीतल सामग्री का उपयोग होगा। गर्मी में भक्तों को भी शीतलता प्रदान करने के लिए भी इंतजाम किए हैं।

सांदीपनि आश्रम में ध्वज बदलेगा
श्रीकृष्ण की शिक्षा स्थली सांदीपनि आश्रम में अक्षय तृतीया पर ठाकुरजी की दिनचर्या के साथ मंदिर का ध्वज भी बदलेगा। पुजारी पं. रूपम व्यास ने बताया अक्षय तृतीया पर ठाकुरजी को सूती वस्त्र धारण कराए जाएंगे। मस्तक पर चंदन तथा केसरिया भात का भोग लगाया जाएगा। मंदिर की परंपरा अनुसार इस दिन शिखर पर नया ध्वज लगेगा। आषाढ़ी पूर्णिमा और अक्षय तृतीया पर शिखर का ध्वज बदलने की पुरानी परंपरा है।

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