उज्जैनPublished: Nov 17, 2019 09:11:03 pm
Shailesh Vyas
पीएचडी थीसिस की चोरी पर अंकुश लगाया जाएगा। शोध-प्रबंध की जांच अभी प्लेगरिज्म, उरकुंड सॉफ्टवेयर के जरिए हो रहीं थी। अब इसकी जांच के लिए नया साफ्टवेयर उपयोग में लाया जाएगा।
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उज्जैन.पीएचडी थीसिस की चोरी रोकने के लिए यूनिवर्सिटी ग्रांट कमीशन (यूजीसी) अब टर्निटिन सॉफ्टवेयर का उपयोग करेगा। फिलहाल थीसिस की जांच के लिए सॉफ्टवेयर उरकुंड के जरिए प्लेगरिज्म का उपयोग किया जा रहा है। इसमें भाषा को पढऩे की दिक्कत है। पीएचडी में शोध सामग्री की चोरी पर नजर रखने के साथ साहित्य की चोरी रोकने के लिए और कड़े कदम लने का निर्णय किया है। अब थीसिस की जांच में सॉफ्टवेयर टर्निटिन और ऐसे कई अन्य सॉफ्टवेयर का उपयोग करने का निर्णय लिया है। यूजीसी का मानना है कि एक व्यक्ति के पीएचडी थीसिस का दूसरों द्वारा गलत तरीके से इस्तेमाल अपने सिद्धांतों की पूर्ति की प्रवृत्ति पर रोक लगाने के लिए अन्य सॉफ्टवेयर का उपयोग करना आवश्यक हो गया है। जिनकी थीसिस में सामग्री की चोरी मिलेगी तो पीएचडी की थीसिस निरस्त कर दी जाएगी।
प्लेगरिज्म उरकुंड साफ्टवेयर से होती है जांच
विश्वविद्यालयों में फिलहाल पीएचडी थीसिस की जांच के लिए प्लेगरिज्म उरकुंड सॉफ्टवेयर तैयार किया है। सभी विश्वविद्यालयों में थीसिस जमा होने के पहले इसी से जांच होती है। इसके जरिए छात्र से लेकर गाइड तक थीसिस की जांच मुफ्त में होती हैं। यदि शोधार्थी ने थीसिस में उपयोग साहित्य सामग्री की कहीं से नकल/चोरी की होगी तो यह सॉफ्टवेयर पकड़ लेता है, लेकिन इसमें भाषा की दिक्कत सामने आ रही है। अंग्रेजी को लेकर कोई परेशानी नहीं है। विक्रम विवि के परिप्रेक्ष्य में बात करें तो हिन्दी के शोध की जांच में परेशानी आती है। जानकारों का कहना है कि हिन्दी के शोध में कई शब्द अन्य भाषा से जुड़े होने के कारण जांच ठीक तरीके से नहीं होती है। इस स्थिति में साहित्य की नकल पकडऩे में परेशानी होती है। हालांकि विक्रम विवि हिन्दी भाषा के शोध प्रस्तुत होने के साथ शोधार्थी से इस बात का शपथ-पत्र लिया जाता है कि शोध में नकल मिलने पर पीएचडी की थीसिस निरस्त कर दी जाए।
साहित्यिक चोरी है अपराध
पीएचडी थीसिस के लिए साहित्यिक चोरी अपराध है। शोध में नकल साबित होने पर साहित्यिक चोरी करने वाले को 6 माह से 3 साल की जेल या 50 हजार से 3 लाख रुपए तक जुर्माना अथवा दोनों हो सकते हैं।
यह है साहित्य की नकल/चोरी
किसी के द्वारा शोध-प्रबंध में पूर्व में हुए अन्य शोध से टेक्स्ट, फोटो, डेटा, पैराग्राफ शोध के मूल विचार (आइडिया) को हूबहू अपने शोध में शामिल कर देना साहित्य नकल/चोरी कहलाता है। शोधार्थी आपने शोध में पूर्व के शोध के किसी हिस्से का हवाला देकर शामिल कर सकता है, लेकिन अगर वह इसे बगैर किसी हवाले/संदर्भ के अपनी शोध में शामिल कर लेता है तो इसे साहित्य नकल/चोरी की श्रेणी में माना जाता है।
इनका कहना
पीएचडी शोध में साहित्य नकल/चोरी की जांच के लिए प्लेगरिज्म उरकुड सॉफ्टवेयर का उपयोग किया जाता हैं। अब जांच के लिए नए टर्निटिन सॉफ्टवेयर की प्रक्रिया चल रही है।
डॉ. आरके अहिरवार, छात्र कल्याण संकाय अध्यक्ष, विक्रम विश्वविद्यालय।