तीन बत्ती चौराहा निवासी 70 वर्षीय पुरुष व 68 वर्षीय महिला कोरोना संक्रमित पाए गए हैं। वे कुछ दिन पूर्व शादी में शामिल होने गुजरात गए थे। 29 नवंबर को लौटने के बाद से ही बीमार थे। जब 7-8 दिन में भी स्वास्थ्य सुधार नहीं हुआ तो दंपत्ति ने दूसरे के पहचान पत्र से निजी लैब में आरटीपीसीआर टेस्ट करवाया। बुधवार सुबह रिपोर्ट पॉजिटिव आने पर आरआटी प्रभारी डॉ. रौनक एलची लैब की ओर से इसकी सूचना दी गई। बताए फोन नंबर पर जब उन्होंने चर्चा की तो पुरुष ने मुंबई मार्ग पर होने की बात कही और फिर मोबाइल बंद कर दिया। अच्छी बात यह है कि टीम ने पुलिस, प्रशासन व नगर निगम के सहयोग से दोनो संक्रमितों को टे्रस कर लिया है। दोनो मरीज पूर्व से वैक्सीनेट हैं और अभी अस्पताल में उपचाररत हैं।
एसी लापरवाही ठीक नहीं
शहर ने कोरोना की दूसरी लहर में एक-एक सांस के लिए लोगों को तड़पते और परिजनों को बिलखते देखा है। इसके बावजूद कुछ लोग न शहरवासी होने की जिम्मेदारी निभा रहे और न मानवता बरत रहे हैं। यह मामला भी एेसी ही गैर जिम्मेदारी को उजागर करने वाला था। दरअसल ७० वर्षीय पुरुष का जुड़वा भाई मुंबई में रहता है। जुड़वां होने से दोनो की शक्ल काफी मिलती है इसलिए उक्त मरीज ने जब निजी लैब में टेस्ट करवाया तो अपनी स्थानीय पहचान छुपाने के लिए जुड़वा भाई का आधार कार्ड लैब में जमा करवाया। यह भी बताया कि वे मुंबई से उज्जैन महाकाल दर्शन करने आए थे। दंपत्ति अपनी पहचान सिर्फ इसलिए छुपाई कि यदि रिपोर्ट पोजिटिव आती भी है तो प्रशासन या अन्य लोगों को इसकी जानकारी न लगे और वे कोरोना प्रोटोकॉल के नियमों का पालन करने बच जाएं। अपने इस छोटे से लालच में वे यह भुल गए कि संक्रमण को शहर में फैलाने में मददगार बन रहे हैं वह भी तब जब ओमिक्रोन वेरिएंट की दस्तक का खतरा बना हुआ है।
इनके जज्बे को सलाम, ट्रेस करने के बाद दही दम लिया
सभी निजी लैब को टेस्ट करवाने वालों का पहचान पत्र रखने व रिपोर्ट की जानकारी देने के निर्देश हैं। डॉ. रौनक एलची को सुबह जब मुंबई से महाकाल दर्शन के लिए उज्जैन आए दो लोगों के संक्रमित पाए जाने की सूचना मिलते ही अमला एक्टिव हो गया। तब तक टीम को थोड़ी भी आशंका नहीं थी कि पहचान छिपाने के लिए मरीज दूसरे की आइडी का भी उपयोग कर सकता है। डॉ. रौनक को आशंका हुई कि बाहर से आया व्यक्ति किसी होटल में रुका होगा तो, उक्त होटल प्रबंधन व कर्मचारियों की स्वास्थ्य सूरक्षा के लिए जरूरी कदम उठाना होंगे। इससे शहर में संक्रमण को फैलने से भी रोका जा सकेगा। होटल की जानकारी के लिए मरीज से संपर्क करना चाहा लेकिन दूसरी बार मोबाइल बंद मिला। डॉ. एलची व उनकी टीम ने अपनी जिम्मेदारी को पूरा समझ कार्रवाई की इतीश्री नहीं की। उन्होंने टीम को विभिन्न होटलों में उक्त मरीज के नाम से पड़ताल करवाने भेजा। इसमें प्रशासन, पुलिस की टीम का भी सहयोग लिया गया। कहीं भी उक्त नाम के व्यक्ति की जानकारी नहीं मिली। टीम ने यहां भी हार नहीं मानी। किसी व्यक्ति के बाहर से आने और तबीयत बिगडऩे पर कार से ही मुंबई लौटने के पूर्व उज्जैन में जांच करवाने की कहानी पर शक हुआ। इस आशंका में कि संबंधित दंपत्ति उज्जैन के ही निवासी है, उन्होंने नाम-उपनाम के आधार पर उक्त व्यक्ति के समाज प्रमुखों से पता करवाया। इसमें नगर निगम की टीम ने भी सहयोग किया। करीब चार घंटे की मशक्कत के बाद उक्त लोगों की सही पहचान सामने आई और टीम उनके घर पर पहुंच गई। डॉ. एलची के अुनसार पूछाताछ में संक्रमित ने बताया कि कुछ दिन पूर्व गुजरात में आयोजित एक शादी से लौटे हैं जिसके बाद से उनका स्वास्थ्य खराब है।
घबराए नहीं, नि:संकोच जांच करवाए
डॉ. रौनक एलची ने जिलेवासियों से कहा कि तबीयत खराब होने पर संबंधित व्यक्ति घबराए नहीं और जांच करवाएं। यदि रिपोर्ट पॉजिटिव भी आती है तो इसके उपचार की पूरी सुविधाएं उपलब्ध हैं। उनके अनुसार पहचान छिपाकर या जांच न करवाकर मरीज अपने स्वासथ्य से तो खिलवाड़ करता ही है, परिजन व अन्य की जान भी खतरे में डालता है। उन्होंने यह भी कहा कि लोगों की मदद से ही संक्रमण को पूर्व में नियंत्रित करना संभव हुआ था और यह स्थिति बनाए रखने के लिए अभी भी सभी के सहयोग की आवश्यकता है।