विभिन्न वर्गों के लिए कानीपुरा और मंछामन क्षेत्र में पीएम आवास योजना अंतर्गत बन रही मल्टियों का निर्माण लंबे समय बाद भी शुरू नहीं हो पाया है। इधर अपना आवास का सपना देख रहे आवेदकों ने जमा राशि मांगना शुरू कर दी है। पुराना ठेका निरस्त होने के बाद नगर निगम ने अधूरी पड़ी मल्टियों का निर्माण पूरा करने के लिए री-टेंडर किया था, लेकिन किसी कंपनी ने इसमें भागीदारी नहीं की है। एेसे में निगम को कुछ दिन पूर्व दोबारा टेंडर जारी करना पड़ा है। पुराना ठेका निरस्ती के बाद दूसरी बार जारीटेंडर नवंबर पहले सप्ताह में खुलेगा।
बिखरने लगा सपना, मांग रहे राशि
स्वयं के घर का सपना देखने वाले कई आवेदकों ने प्रधानमंत्री आवास योजना के अंतर्गत आवेदन किया था। इसके लिए मकान की साइज अनुरूप अग्र्रिम राशि भी जमा की थी। प्रोजेक्ट के खटाई में पडऩे के चलते करीब 8 महीने से निर्माण ठप पड़ा है और घर की आस लगाए आवेदकों का सपना बिखरने लगा है। एेसे में 30 से अधिक आवेदकों ने अपनी अग्रिम जमा राशि वापस ले ली है, वहीं 100 से अधिक आवेदक राशि वापसी की मांग कर चुके हैं।
589 लोगों ने कराया था पंजीयन
अलग-अलग आकार व योजना के मान से भवनों की राशि निर्धारित की गई है। स्लम बस्तियों के हितग्राहियों के लिए दो लाख रुपए में मकान दिए जाने हैं। पंजीयन के लिए लागत की दस प्रतिशत राशि जमा कराई गई थी। एेसे में स्लम एरिया के हितग्राहियों से प्रति पंजीयन 20 हजार रुपए जमा किए वहीं अन्य अलग-अलग योजना में ५० हजार से एक लाख रुपए पंजीयन के रूप में जमा कराए गए थे। योजना को लेकर 564 परिवार इडब्ल्यूएस फ्लैट के लिए 50 हजार रुपए व 24 परिवार एलआइजी-एमआइजी फ्लैट के लिए १ लाख रुपए निगम में देकर बुकिंग करा चुके हैं।
एेसे उलझा प्रोजेक्ट-
प्रधानमंत्री आवास योजना एएचपी घटक (भागीदारी में किफायती आवास) अंतर्गत कानीपुरा व मंछामन क्षेत्र में 1466 इडब्ल्यूएस, 360 एलआइजी, 180 एमआइजी आवासीय इकाइयों का निर्माण होना है।
– करीब 45 करोड़ रुपए की लागत के इस प्रोजेक्ट का ठेका गुजरात की एमपी ओमनी प्रोजेक्ट इंडिया लिमिटेड को दिया गया था।
– शुरुआत से ही निर्माण कार्य की चाल धीमी रही। निगम प्रशासन व ठेकेदार के बीच खींचतान के चलते कार्य की स्थिति और बिगड़ती गई।
– लेटलतीफी के चलते दिसंबर 2018 में निगम ने ठेका निरस्त कर कर 3.82 करोड़ रुपए की अमानत राशि राजसात करने के निर्देश दिए गए।
– ठेकेदार ने अपना पक्ष रखा तो निगम ने आखिरी अवसर देते हुए जनवरी 2019 में ठेका बहाल कर दिया।
– इसके बावजूद कंपनी काम में तेजी नहीं ला पाई। इसके पीछे भुगतान नहीं होने का तर्क भी दिया गया।
– इसके बाद निगम ने दोबारा ठेका निरस्त करने की कार्रवाई की लेकिन नया ठेका नहीं किया जा सका।
– बाद में एमआइसी ने भी ठेका निरस्ती की मंजूरी दे दी है।
– ठेका निरस्त करने के बाद कुछ सप्ताह पूर्व निगम ने अधूरा कार्य पूरा करने के लिए दोबारा निविदा जारी की लेकिन किसी ने भागीदारी नहीं की।
– हाल में निगम ने फिर निविदा जारी की है।