विक्रम विवि प्रशासन ने सत्र २०१८-१९ में अतिथि विद्वानों की नियुक्ति प्रक्रिया उच्च शिक्षा विभाग के निर्देशों के अनुसार की। इस नियम के अनुसार अतिथि विद्वानों को आठ घंटे सेवा के साथ ३० हजार रुपए मानदेय दिया जाना था। इसी के साथ नियुक्ति सीधे तौर पर विभाग के निर्देशों के अनुसार हुई। विवि ने करीब २८ अतिथि विद्वानों की नियुक्ति की। इन लोगों से छह माह सेवा ली गई, लेकिन मानदेय को लेकर विवाद हो गया। दरअसल, विक्रम विवि में पूर्व से कार्यरत अतिथि विद्वानों को प्रतिदिन तीन कालखण्ड और अधिकतम ८५० रुपए मानेदय भुगतान का नियम है। अब पुराने कार्यरत अतिथि विद्वानों ने भी नए लोगों के हिसाब से मानदेय की मांग शुरू कर दी। साथ ही एक-दूसरे की फाइलों में रोड़ा अटकाना शुरू कर दिया।
स्वीकृत हो चुका था ३० हजार से वेतन
विवि प्रशासन ने नए अतिथि विद्वानों का वेतन ३० हजार रुपए प्रतिमाह के हिसाब से तैयार कर लिया। यह फाइल स्वीकृत होकर भी आ गई, लेकिन विवि में शिक्षक राजनीति से जुड़े एक अतिथि विद्वान ने लेखा विभाग में मौखिक आपत्ति दर्ज करवा दी। अतिथि विद्वान का कहना था कि इन लोगों के आदेश में ३० हजार मानदेय देने की बात नहीं लिखी है। इसी के साथ उच्च शिक्षा विभाग में बैठे एक अधिकारी से अपने संबंधों का प्रयोग भी कर लिया। इसके बाद स्वीकृत हो चुकी फाइल को रोक दिया गया और वेतन विवाद गहरा गया।
इनका कहना है
अभी कोर्ट से आदेश की प्रति प्राप्त नहीं हुई है। जो भी आदेश होगा, पालन किया जाएगा। साथ ही विवि में सेवा देने वालों को भुगतान अवश्य होगा।
डीके बग्गा, कुलसचिव विक्रम विवि।