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कंपनी की कछुआ चाल से योजना पर संकट, शहर बदहाल

सीवरेज प्रोजेक्ट : रोज 1.5 किमी लाइन डालना है, बढ़ रहे सिर्फ 600 मीटर, कहीं साइड क्लियर नहीं तो कही आपत्ति के कारण पूरी क्षमता से नहीं हो पा रहा सीवरेज का कार्य, वर्तमान कछुआ चाल से लक्ष्य पाना मुश्किल

उज्जैनNov 16, 2019 / 12:01 am

rishi jaiswal

कंपनी की कछुआ चाल से योजना पर संकट, शहर बदहाल

सीवरेज प्रोजेक्ट : रोज 1.5 किमी लाइन डालना है, बढ़ रहे सिर्फ 600 मीटर, कहीं साइड क्लियर नहीं तो कही आपत्ति के कारण पूरी क्षमता से नहीं हो पा रहा सीवरेज का कार्य, वर्तमान कछुआ चाल से लक्ष्य पाना मुश्किल

उज्जैन. बारिश समाप्त होने के बाद भी सीवरेज प्रोजेक्ट अपेक्षित गति नहीं पकड़ सका है। कहीं साइड क्लियरेंस की कमी तो कहीं सामने आ रही स्थानीय आपत्तियां, प्रोजेक्ट में रोड़ा बन रही है। स्थिति यह है कि तय लक्ष्य पाने के लिए रोज औसत डेढ़ किलोमीटर सीवर लाइन बिछाने की जरूरत है जबकि इसकी तुलना में ६०० मीटर ही पाइप डल पा रहे हैं।
पहले से ही धीमी चाल का शिकार हुआ सीवरेज प्रोजेक्ट नई डेडलाइन तक पूरा हो पाएगा, कहना मुश्किल है। नगर निगम आयुक्त प्रतिभा पाल ने ठेकेदार कंपनी टाटा प्रोजेक्ट्स प्राइवेट लिमिटेड को जून-२०२० तक प्रोजेक्ट पूरा करने का लक्ष्य दिया है। यह लक्ष्य पूरा करने के लिए कंपनी को प्रतिदिन औसत डेढ़ किलोमीटर सीवर लाइन बिछाना होगी। इसके विपरित प्रोजेक्ट में तुलनात्मक तेजी लाने के बावजूद वर्तमान में औसत ६०० मीटर सीवरेज लाइन ही बिछ पा रही है। यह स्थिति भी तब है जब कंपनी विभिन्न टीम गठित कर एक साथ ५-६ स्थानों पर सीवरेज लाइन डालने का कार्य कर रही है। कंपनी अधिकारियों के अनुसार निर्बाध चाल (क्लियर साइट) नहीं मिलने के कारण पूरी क्षमता से सीवरेज लाइन डालने का कार्य नहीं हो पा रहा है।
मार्च तक क्षिप्रा में नाले मिलने पर रोक का दावा
नगर निगम ने सीवरेज प्रोजेक्ट के बूते मार्च २०२० तक क्षिप्रा में नाले मिलने पर रोक का दावा किया है। कुछ महीने पूर्व निगम अधिकारियों ने नगरीय प्रशासन मंत्री जयवर्धनसिंह को भी यही बात कही थी। निगम अधिकारियों का तर्क है कि त्रिवेणी से मंगलनाथ के बीच करीब १५ किलोमीटर की सीवर लाइन बिछाई जाएगी। शहर के नालों को इस सीवर लाइन से जोड़ इनका गंदा पानी सुरासा में बन रहे ट्रीटमेंट प्लांट पहुंचा दिया जाएगा। वर्तमान में नदी किनारे १५ में से महज १.४ किलोमीटर पाइप लाइन ही बिछ सकी है। रेती घाट क्षेत्र में बड़ी संख्या में पौधे लगे हैं, जो सीवरेज लाइन की चपेट में आ रहे हैं। पर्यावरण प्रेमियों की आपत्ति के बाद यहां प्रोजेक्ट की गति धीमी पड़ गई है। पौधों को बचाना जरूरी है और एेसी स्थिति में या तो सीवरेज लाइन बिछाने के तय स्थान में थोड़ा परिवर्तन करना होगा या हाइटेक पद्धति अपनाना होगी। इसके अलावा सुरासा ट्रीटमेंट प्लांट का कार्य भी प्रचलित है और अभी करीब ६५ प्रतिशत हो पाया है।

400 में से कुल 84 किलोमीटर ही चले
प्रोजेक्ट के अंतर्गत शहर में कुल ४०० किलोमीटर सीवर लाइन बिछाई जाना है। दो वर्षों में अभी तक महज ८४ किलोमीटर लाइन ही बिछ सकी है। एेसे में सात महीने में लगभग ३१६ किलोमीटर लाइन बिछाना शेष है।
प्रोजेक्ट-
– पहले चरण में ४०२ करोड़ रुपए स्वीकृत
– कंपनी से अनुुबंध हुआ नवंबर २०१७ में
– प्रोजेक्ट पूरा करना था, दो वर्ष में

– अब डेड लाइन दी, जून-२०२०
– ८० हजार ३०५ घरों से होगा कनेक्शन

– ४०० किलोमीटर सीवर लाइन बिछेगी
– अभी ८४ किलोमीटर सीवर लाइन बिछी
बारिश के कारण कार्य में व्यवधान आया था। अलग-अलग क्षेत्रों में एक साथ कार्य करते हुए प्रोजेक्ट की गति बढ़ाई है। सतत चाल मिलती है तो प्रोजेक्ट की गति और बढ़ाई जा सकती है।
– शोभित मिश्रा, प्रोजेक्ट मैनेजर टाटा कंपनी

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