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मेहनत से जिन्हें बढ़ा किया अब उन्हीं से 50 मीटर दूर नजर आ रही उनकी तबाही

locationउज्जैनPublished: Nov 10, 2019 09:53:40 pm

Submitted by:

aashish saxena

क्षिप्रा किनारे सीवरेज लाइन बिछाने से पौधों पर संकट बढ़ा, पर्यावरण प्रेमियों ने मानव शृंखला बनाकर सुरक्षा का संकल्प लिया

Death is 50 meters away from plants

क्षिप्रा किनारे सीवरेज लाइन बिछाने से पौधों पर संकट बढ़ा, पर्यावरण प्रेमियों ने मानव शृंखला बनाकर सुरक्षा का संकल्प लिया

उज्जैन. क्षिप्रा को प्रवाहमान बनाने के उद्देश्य से नदी किनारे तीन साल पूर्व लगाए गए पौधों पर क्षिप्रा शुद्धिकरण से ही जुड़े सीवरेज प्रोजेक्ट के कारण खतरा मंडरा रहा है। शहर के गंदे नालों को क्षिप्रा में मिलने से रोकने के लिए नदी किनार बिछाई जा रही पाइप लाइन, रेती घाट पर लगे पौधे से महज करीब 50 मीटर दूर ही है। एेसे में यदि समय रहते पौधों को अन्यत्र विस्थापित नहीं किया तो सीवरेज लाइन बिछाने में यह सभी नष्ट हो जाएंगे।

अगला सिंहस्था क्षिप्रा के ही पानी से हो, इस उद्देश्य से वन विभाग ने रुपांतरण सहित अन्य संगठनों को साथ लेकर वर्ष 2016 में क्षिप्रा किनारे बड़ी संख्या में पौधारोपण किया था। इसके अंतर्गत इंदौर रोडरेती घाट क्षेत्र में भी नदी किनारे से करीब 30 मीटर के दायरे में पौधे लगाए थे। इधर सीवरेज प्रोजेक्ट का कार्य प्रचलित होने से इसी दायरे में जमीन खोदकर पाइप लाइन भी बिछाई जा रही है। सीवर लाइन जब रेती घाट क्षेत्र में बिछना शुरू होगी तब, उक्त पौधे नश्ट हो जाएंगे। पौधों को बचाने के उद्देश्य से रविवार सुबह रुपांतरण व उज्जैन वाले संस्था के सदस्य रेती घाट पहुंचे। इन पर्यावरण प्रेमियोंने यहां पौधों के आसपास मानव शृंखला बनाकर पौधों को नष्ट होने से बचाने का संदेश दिया। संस्था रुपांतरण के प्रमुख राजवी पाहवा के अनुसार जल्द ही वे इस सबंध में कलेक्टर से मिलेंगे।

शिफ्टिंग का निर्णय लेकिन पालन नहीं

करीब पांच महीने पूर्व भी भैरवगढ़ क्षेत्र में एेसी ही स्थिति बनी थी। तब वहां सीवर लाइन बिछाने के चलते कई पौधे नष्ट हो गए थे। तब भी पर्यावरण प्रेमियों द्वारा इसका विरोध कर काम रुकवाया गया था। निगमायुक्त प्रतिभा पाल ने संस्था पदाधिकारी और प्रोजेक्ट अधिकारियों के साथ संबंधित क्षेत्रों का निरीक्षण कर पौधों को बचाने पर चर्चा की थी। संगठन पदाधिकारियों ने मांग की थी कि यदि उक्त क्षेत्रों से ही सीवरेज लाइन को आगे बढ़ाना जरूरी है तो पौधों को अन्यत्र शिफ्ट करने के साथ ही इनकी सुरक्षा के लिए तार फेंसिंग आदि की व्यवस्था की जाए। इस पर सहमति भी बनी थी लेकिन पांच महीने भी यह इस निर्णय पर कोई अमल नहीं हुआ और अब दोबरा वही स्थिति बन रही है।

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