परिजनों को यूसुफ की मौत की खबर रविवार शाम को नागदा पुलिस से मिली थी। परिजन अब सवाल उठा रहे हैं, कि यूसुफ की मौत १२ अप्रैल को ही हो गई थी, तो उसकी खबर देने में इतनी देरी कैसे हो गई। मृतक के परिजनों ने भारत सरकार से मौत की जांच एवं उसके शव को भारत लाने में मदद करने की गुहार लगाई है।
11 अप्रैल को हुई थी आखिरी बार बात- मृतक के मामा ससुर एवं जावरा निवासी मोहम्मद रईस का कहना है, कि यूसुफ दुबई जाने के बाद आखिरी बार 11 अप्रैल को मोबाइल पर बात हुई थी। मृतक ने बताया था, कि तबीयत ठीक नहीं है, और वह घर आना चाहता है। इसके बाद १२ अप्रैल को मृतक के मोबाइल से यूसुफ की पत्नी के पास फोन आया था। फोन रिसीव करने पर कोई आवाज नहीं आई और कुछ ही सेकंड बाद फोन किया तो फोन बंद आया।
विजिट वीजा पर भेजा था दुबई
मृतक के परिजनों की मानें तो यूसुफ मुंबई निवासी नासीर व इम्तियाज नामक दो ट्रेवल्र्स एजेंटों के झांसे में आकर दुबई गया था। दोनों एजेंटों ने मृतक को दुबई में अच्छे पैसे कमाने का लालच दिया था। एजेंटों ने ही 65 हजार रुपए लेकर यूसुफ का विजिट बनाया था। बाद में विजा को रिनिवल कराने के नाम पर भी एजेंटों ने 60 हजार रुपए लिए थे।
शव को भारत लाने के हो रहे हैं प्रयास
मौत की खबर के बाद यूसुफ के शव को नागदा लाने के प्रयास शुरु हो गए है। पंकज मारु का कहना है, कि उन्होंने विदेश मंत्रालय की वेबसाइट मदद डॉट जीओवी डॉट इन पर मृतक की सारी जानकारी अपलोड कर दी है। दुबई स्थित भारतीय दूतावास के अधिकारियों ने भरोसा दिलाया है, कि यूसुफ का शव सुरक्षित है और जल्द ही भारत सरकार के खर्च पर जल्द ही परिजनों के सुपूर्द कर दिया जाएगा। मारु का कहना है कि आगामी तीन चार दिन में शव परिजनों को मिल जाएगा। ऐसी संभावना विदेश मंत्रालय के अधिकारियों ने जताई है। बता दें कि मारु पूर्व में साऊदी में फंसी जुबेदा, मलेशिया में फंसे चार युवकों को भारत ला चुके हैं।
यूसुफ को ढुंढने के मांगे थे 60 हजार
परिजनों का यह भी कहना है, कि जब 12 अप्रैल के बाद यूसुफ से उनका संपर्क नहीं हो सका तो दोनों एजेंटों से मोबाइल पर संपर्क कर यूसुफ की जानकारी मांगी थी। जिस पर एजेंटों ने यूसुफ को ढुंढने के एवज में 60 हजार रुपए की मांग की थी। रुपए देने के लिए परिजनों राजी भी हो गए थे, लेकिन बाद में एजेंटों ने फोन नहीं उठाया।