उज्जैनPublished: Jan 16, 2019 01:11:55 am
Gopal Bajpai
अफसरों ने राष्ट्रीयकृत बैंकों को दिशा निर्देश जारी किए
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नागदा. मुख्यमंत्री फसल ऋण माफी योजना को लेकर जिला मुख्यालय के अफसरों ने राष्ट्रीयकृत बैंकों को दिशा निर्देश जारी किए है। मामले को लेकर मंगलवार को सर्किट हाउस पर एक बैठक आहुत की गई। जिसमें उपस्थितों को संबोधित करते हुए बताया गया कि 31 मार्च 2018 की स्थिति में बकाया राशि पर किसान को लाभ मिलेगा, यदि किसानों ने 31 मार्च के बाद भी ऋण की राशि जमा कराई तो उसको बैंक द्वारा कृषक सम्मान प्रमाण पत्र दिया जाएगा। यह बात की जानकारी उप संचालक कृषि उज्जैन के सीएल केवड़ा ने दी।
ऋण के लिए मिलेगी प्राथमिकता
बैठक में उपस्थित अफसरों ने कहा कि किसान ने जिस बैंक से ऋण लिया है उक्त बैंक द्वारा ऋण माफी के लिए प्राथमिकता दिया जाएगा। जिसके बाद भी यदि किसान को योजना का लाभ नहीं मिल रहा तो वह अन्य बैंक में खाता खुलवा सकता है। यदि किसानों की खेती वाली भूमि का गोल खाता है तो गोल खाते में शामिल परिवार के सदस्यों के आधार कार्ड लगेंगे। मुखिया की मृत्यु की दशा में वारिसान को आधार कार्ड लगाना होगा। जिला सहकारी केंद्रीय बैंक महाप्रबंधक एसके खरे ने कहा कि किसान ने यदि एक या एक से अधिक बैंकों से ऋण ले रखा है तो सबसे पहले जिला सहकारी बैंक का ऋण माफ होगा, इसके बाद अन्य बैंकों को प्राथमिकता मिलेगी।
सोसायटियों और बैंकों के अधिकारियों को एसडीएम आरपी वर्मा ने कहा कि 26 जनवरी को प्रत्येक पंचायत की ग्रामसभा में योजना में किन किसानों को कर्ज माफ हुआ है इसकी घोषणा भी की जाएगी। कोई किसान रह जाएगा तो वो 5 फरवरी तक निर्धारित प्रारुप में ग्राम पंचायतों में आवेदन कर योजना का लाभ ले सकेगा।
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नागदा-खाचरौद के 13 गांवों में नहीं हो रहा चने की फसल का बीमा
चने का रकबा इन गांवों में कम होने के कारण कंपनी ने नहीं किया अधिसूचित
नागदा. नागदा व खाचरौद तहसील के 13 गांव के किसानों की चने की फसल का बीमा नहीं हो पा रहा है। इसे लेकर किसान बैंकों के चक्कर लगा लगाकर पेरशान हो गए हैं, लेकिन चने की फसल का बीमा नहीं होने के पीछे का तकनीकी कारण यह है कि ऐसे गांव जहां पर चने या किसी अन्य फसल का रकबा 100 हेक्टियर से कम है, उन गांव के नाम के आगे उन फसलों को अधिसूचित नहीं किया गया है। नागदा तहसील के तीन व खाचरौद तहसील के 10 गांव ऐसे हैं जहां पर चने का रकबा बीमा के लिए अधिसूचित करने से कम होने के कारण यहां चने की फसल का बीमा नहीं हो पा रहा है।
दरअसल बीमा कंपनी हर गांव के हिसाब से फसलों को अधिसूचित करती है। इसी आधार पर जब संबंधित गांव का किसान बैंक में बीमा करवाने के लिए जाता है तो वहंा पोर्टल खोलने पर उस गांव में अधिसूचित फसलों का विवरण सामने आता है और जो फसलें उसमें अंकित होती है उनका बीमा कर दिया जाता है, लेकिन पाड़सुतिया सहित 13 गांव में चने की फसल को अधिसूचित नहीं किया गया है। इस कारण जिन किसानों ने यहां चना बोया है उनके चने की फसल का बीमा भी नहीं हो पा रहा है,जबकि एंसे कृषकों को पटवारी ने फसलों का प्रमाण-पत्र भी जारी किया है जिसके आधार पर बीमा किया जा रहा है।
ये सही है कि ऐसे गांव जहां पर चने की फसल का रकबा 100 हेक्टियर से कम है, उन गांवों में चने की फसल का बीमा नहीं हो रहा है। ऐसा इसलिए हो रहा है, क्योंकि बीमा कंपनी ने उसे अधिसूचित नहीं किया है। इस वजह से वह पोर्टल पर उसका उल्लेख नहीं होने के कारण बीमा नहीं हो पा रहा है।
आरपी वर्मा, एसडीएम, नागदा