उज्जैन

अखाड़ों का फैसला : शिप्रा की दशा नहीं बदली, तो सिंहस्थ 2028 में शामिल नहीं होंगे

सरकार ने मोक्षदायनी शिप्रा की दशा नहीं सुधारी और सिंहस्थ क्षेत्र से अतिक्रमण नहीं तोड़े और रोके तो साधु-संत 2028 के सिंहस्थ में शामिल नहीं होंगे।

उज्जैनJun 12, 2019 / 09:36 pm

Lalit Saxena

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उज्जैन. सरकार ने मोक्षदायनी शिप्रा की दशा नहीं सुधारी और सिंहस्थ क्षेत्र से अतिक्रमण नहीं तोड़े और रोके तो साधु-संत 2028 के सिंहस्थ में शामिल नहीं होंगे। इसलिए मध्यप्रदेश की सरकार और केंद्र सरकार अभी से इसकी कार्ययोजना बना कर 13 अखाड़ों के विश्वास दिलाएं कि योजनाओं पर क्रियान्वयन कर शिप्रा की दशा और सिंहस्थ क्षेत्र की स्थिति में सुधार होगा।

अखाड़ा परिषद के अध्यक्ष नरेंद्र गिरि महाराज ने बताया

उक्त प्रस्ताव अभा अखाड़ा परिषद की बुधवार को आयोजित बैठक में पारित किया गया। अभा अखाड़ा परिषद के अध्यक्ष नरेंद्र गिरि महाराज ने बताया कि बैठक में 13 अखाड़ों के साधु-महात्माओं की मौजूदगी में शिप्रा की खराब स्थित और सिंहस्थ क्षेत्र में अवैध निर्माण, भू माफियाओं के कब्जे को लेकर विचार-विमर्श किया गया। शिप्रा की दुर्दशा हो गई है। अखाड़ों के स्थानीय संतों-महंतों ने बताया सिंहस्थ क्षेत्र अतिक्रमण और माफियाओं के कब्जे हैं। अखाड़ा परिषद की मांग हैं कि मोक्षदायनी शिप्रा को साफ किया जाएं। सिंहस्थ क्षेत्र के अतिक्रमण को तोडऩे के साथ रोका जाए। सिंहस्थ के पहले हरिद्वार, प्रयागराज और नासिक कुंभ के दौरान सिंहस्थ 2028 का न्यौता देने आने वाले अधिकारी-जनप्रतिनिधि शिप्रा और सिंहस्थ क्षेत्र को लेकर 13 अखाड़ों और संतों-महंतों को संतुष्ट कर देंगे, तभी हम न्यौता स्वीकार करेंगे, अन्यथा हम 2028 के सिंहस्थ में शामिल नहीं होंगे। शिप्रा को साफ रखने और सिंहस्थ क्षेत्र को अतिक्रमण मुक्त रखने के संबंध में प्रदेश सरकार, केंद्र सरकार से चर्चा करेंगे। सरकारों से उनकी योजनाओं की जानकारी लेने के साथ क्रियान्वयन के लिए समय दिया जाएगा। इसके बाद भी कुछ नहीं होता है, तो अखाड़े किसी भी स्तर जाने को तैयार है। शिप्रा-सिंहस्थ क्षेत्र के लिए जो भी करना होगा, वह किया जाएगा।

डैम का निर्माण करें, गंदा पानी रोकें
अभा अखाड़ा परिषद के महामंत्री हरिगिरि महाराज ने कहा कि शिप्रा की दशा देखकर हम संतों-महंतों का ग्लानि होती है। सिंहस्थ क्षेत्र में जिस तरह से भू-माफिया कब्जे कर रहे हैं, वह चिंताजनक है। इसे ही अतिक्रमण होता रहा तो 2028 का सिंहस्थ क्या शिप्रा से दूर उज्जैन के बाहर होगा। इस पर सभी को सोचना चाहिए। धार्मिक मान्यता है कि ब्रह्माजी ने गंगाजी को शुद्ध होने के लिए जिस शिप्रा के पास भेजा था, वह शिप्रा ही आज अशुद्ध है। शिप्रा में सदैव पानी रहें, इसके लिए शिप्राजी पर बड़ा डैम बनाया जाए। गंदीे पानी को शिप्रा में मिलने से रोका जाएं। अखाड़ा परिषद द्वारा शिप्रा पर डैम बनाने की मांग का प्रस्ताव सरकार दिया जाएगा। हरिगिरि महाराज ने कहा- साबरमती नदी की शिप्रा से तुलना नहीं की जा सकती है, लेकिन साबरमती साफ हो सकती है, तो शिप्रा क्यो साफ नहीं हो सकती है ? सिंहस्थ क्षेत्र के सभी राजस्व रिकॉर्ड देखकर इसे सुरक्षित किया जाए।

अभा अखाड़ा परिषद के प्रधान कार्यालय का उद्घाटन
अभा अखाड़ा परिषद की बैठक के पहले नीलगंगा पड़ाव क्षेत्र में परिषद के प्रधान केंद्रीय कार्यालय का उद्घाटन अभा अखाड़ा परिषद के अध्यक्ष नरेंद्र गिरि महाराज, अभा अखाड़ा परिषद के महामंत्री हरिगिरि महाराज ने 13 अखाड़ों के संतों-महंतों और उनके प्रतिनिधियों की मौजूदगी में किया गया। इस अवसर पर श्रीमहंत नारायण गिरि, लाल बाबा, महंत राजेंद्रदास, दिग्विजयदास, भगवानदास उपस्थित थे। अभा अखाड़ा परिषद के महामंत्री हरिगिरि महाराज ने बताया कि अखिल भारतीय अखाड़ा परिषद का कार्यालय के भवन का निर्माण नीलगंगा पड़ाव स्थल पर किया गया है। कार्यालय बनाने के बाद परिषद से संबंधित विभिन्न गतिविधियों के संचालन की स्थायी व्यवस्था हो जाएगी। अखाड़ा परिषद साधु संतों के 13 प्रमुख आंकड़ों की प्रमुख संस्था है। विभिन्न कुंभ और सिहंस्थ की व्यवस्थाएं अखाड़ा परिषद द्वारा ही तय की जाती है। संबंधित राज्य की सरकार व प्रशासन की अखाड़ा परिषद से समन्वय कर कुंभ और सिहंस्थ की व्यवस्था और कार्ययोजना को अंतिम रूप देता है। अखाड़ा परिषद का अब तक कोई स्थायी कार्यालय नहीं था। सिहंस्थ 2016 में परिषद के कार्यालय का सुझाव आया था। इसके बाद अखाड़ा परिषद ने नीलगंगा पड़ाव स्थल के पास भवन बनाने का फैसला किया था।

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