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महाकाल मंदिर में श्रद्धालु हो रहे परेशान, गर्भगृह में प्रवेश का समय ही तय नहीं

locationउज्जैनPublished: Sep 03, 2022 07:39:00 pm

Submitted by:

Hitendra Sharma

वीआईपी आने पर बदल जाते हैं नियम, 5 नंबर गेट तक आने के पहले प्रोटोकॉल टोकन रसीद लेने पहले घाटी उतरो, फिर ऊपर चढ़ो, तब जाकर मिलती है एंट्री

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Mahakal Darshan

उज्जैन. महाकाल मंदिर में दर्शनार्थियों की व्यवस्था ढुलमुल हो गई है। गर्भगृह में आम दर्शनार्थियों को प्रवेश कराने के नाम पर खुद की पीठ ठोकने वाले प्रबंधन का यह आलम है कि चाहे जब प्रवेश पर पाबंदी लगा दी जाती है। मनमर्जी का आलम यह है वीआइपी मूवमेंट होने पर नियम कुछ ओर हो जाते हैं, उनके जाते ही कुछ और। 5 नंबर गेट पर खड़े निजी सुरक्षा गार्ड भी उन्हीं को अंदर जाने देते हैं, जिन्हें वे पहचानते हैं। बाकी लोग अपना आइडी दिखाएं या प्रोटोकाल टोकन नंबर या कुछ ओर, वे सुनते ही नहीं।

सावन-भादौ की भीड़ छंटते ही विश्व प्रसिद्ध भगवान महाकाल के दरबार में व्यवस्थाएं फिर गड़बड़ा गईं। अधिकारियों की थकान नहीं उतर रही, तो कर्मचारी भी अपनी मस्ती में मस्त नजर आ रहे हैं। दर्शनार्थियों को भगवान भरोसे छोड़ रखा है। सामान्य दर्शनार्थियों की दुर्दशा यह हो रही कि उन्हें यह पता ही नहीं रहता कि लाइन कहां से शुरू हो रही है। वे हरसिद्धि चौराहे से पूछते-पूछते आते हैं और घाटी चढ़ जाते हैं। फिर पता चलता है कि बड़े गणेश के सामने से लाइन में लगना है, तो वे फिर नीचे उतरते हैं। यही स्थिति प्रोटोकॉल और 250 की रसीद वालों की भी है।

परेशान होते हैं 250 रुपए की रसीद वाले
मंदिर आने के बाद लोग यह सोचते है, चलो शीघ्र दर्शन की 250 रुपए वाली टिकट ले लें, तो जल्दी दर्शन हो जाएंगे। लेकिन उन्हें क्या पता और परेशानी बढ़ जाएगी। टिकट लेकर उन्हें नागधारी गणेश मंदिर के सामने से बैरिकेड्स में जाना होता है। यहां से वे थोड़ा अंदर जाते हैं और सामान्य दर्शनार्थियों की भीड़ में शामिल हो जाते हैं। नंदी हॉल के पीछे बैरिकेड्स से धक्के खाकर कब बाहर आ जाते हैं, उन्हें पता भी नहीं चलता।

वीआइपी के कपड़े चैंज करने नया कमरा
महाकाल मंदिर में वीआईपी के आने व उनको कपड़े आदि चैंज करने के लिए बड़े गणेश मंदिर के ठीक सामने कोटितीर्थ कुंड की तरफ जाने वाले एक छोटे गेट पर एक कैबिन बनाया गया है, जहां वीआइपी अपने कपड़े चैंज करके धोती-सोला धारण कर कुंड वाले रास्ते से सीधे सभा मंडप तक पहुंच जाया करेंगे। यह कैबिन बाहर से भले ही भद्दा लगे, लेकिन अंदर सोफा, कालीन आदि सब व्यवस्था है।प्रशासक महाकालेश्वर मंदिर गणेशकुमार धाकड़ ने कहा सावन-भादौ में व्यवस्था बदली थी, अब उसे दोबारा शुरू किया गया है। एक-दो दिन ही हुए हैं। जल्दी ही सबकुछ ठीक हो जाएगा। गार्ड यदि गलती करते हैं, उन्हें इसका परिणाम भुगतना होगा।

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