प्रतिवर्ष वैशाख कृष्ण दशमी से अमावस्या तक ११८ किमी की लंबी पंचक्रोशी यात्रा का आयोजन किया जाता है। देशभर के श्रद्धालु पंचक्रोशी यात्रा में हिस्सा लेने के लिए उज्जैन पहुंचते हैं। हर बार अनेक श्रद्धालु समय से पूर्व ही यात्रा प्रारंभ की देते हैं। इस वर्ष तिथि अनुसार यात्रा की विधिवत शुरुआत ११ अप्रैल से होना है, लेकिन अनेक श्रद्धालुओं ने ९ अप्रैल सोमवार से ही यात्रा प्रारंभ कर दी। सुबह कई लोगों ने शिप्रा में स्नान करने के बाद पटनी बाजार स्थित भगवान नागचंद्रेश्वर में पूजा-अर्चना कर बल प्राप्त किया और निकल पड़े आस्था की यात्रा पर। देर शाम तक करीब ७ हजार यात्री पहले पड़ाव पिंगलेश्वर पर पहुंच गए थे। मंगलवार को भी बड़ी संख्या में ग्रामीणों के यात्रा में चलने की उम्मीद है।
सेवा कार्य और प्रसादी
पंचक्रोशी यात्रा के दौरान अनेक संस्थाओं-संगठनों की ओर से सेवा कार्य और भोजन प्रसादी सेवा कार्य किए जाते हैं। पंचक्रोशी यात्रियों के लिए सिन्ध यूथ फेडरेशन द्वारा दो दिनी भंडारे का आयोजन उंडासा पर किया गया है। सोमवार को भंडारे में हजारों यात्रियों ने भोजन प्रसादी ग्रहण की। भोजन सेवा में सिन्ध यूथ फेडरेशन के महेश परियानी के मार्गदर्शन में नरेश धनवानी, राजेश ऐलानी, अमित कावडिय़ा, गोपाल बलवानी, दिलीप परियानी, किशन भाटिया, रमेश समदानी, तुलसी तुलस्यानी, मेघराज आवतानी, दीपक चांदवानी, धर्मेन्द्र खूबचंदानी, रूपेश दातवानी, जय केवलानी, मुकेश रोचलानी, अशोक राजवानी, सोनू खत्री, पंकज कृष्णानी, करण आहूजा, सनी बम्बानी, गौरव केसवानी, किशोर मुलानी ने सेवा दी। भोजन सेवा मंगलवार को जारी रहेगी।
पंचांग अनुसार यात्रा 11 अप्रैल से
पंचागीय गणना के अनुसार पंचक्रोशी यात्रा वैशाख मास के कृष्ण पक्ष की दशमी से प्रारंभ मानी जाती है। इस अनुसार पंचक्रोशी यात्रा 11 अप्रैल को प्रारंभ होना चाहिए, लेकिन हर बार की तरह ग्रामीण समय पहले ही यात्रा पर चल पड़े हैं। पंचक्रोशी यात्रा समापन १६ अप्रैल को सोमवती अमावस्या पर हो रहा है। इस दिन सोमतीर्थ तथा शिप्रा स्नान के लिए रामघाट पर हजारों श्रद्घालु आएंगे।
लालसा पुण्य अर्जित करने की : पुरातन काल से ही अपने पापों के प्रायश्चित के लिए इंसान द्वारा तरह-तरह के अनुष्ठानों का आयोजन किया जाता रहा है और इसका मकसद ईश्वर के प्रति आस्था व्यक्त करने के साथ पुण्य अर्जित करना होता है। यह सिलसिला आज भी पंचक्रोशी यात्रा के रूप में जारी है। मान्यता है कि इस लम्बी यात्रा में शामिल होने से निहित स्वार्थ, दूराग्रह, पूर्वाग्रह, कटुता, वैमनस्यता तथा मोहमाया के सारे बंधन मानों पीछे छूटे जाते हैं। स्कंद पुराण में कहा गया है कि पूरे जीवन के काशीवास से ज्यादा महत्वपूर्ण तथा पुण्यकारी काम वैशाख के मास में पांच दिन का अवंतीवास है। प्रमुख ज्योतिर्लिंगों में से एक महाकालेश्वर की नगरी उज्जैन की पंचक्रोशी यात्रा को दिव्यशक्तियों के निकट ले जाने वाला माना जाता है।