शुक्रवार को क्षिप्रा में बाढ़ के हालात बनने के साथ ही नदी बड़े पुल से महज चार फीट नीचे से बही थी। इसी सीजन में क्षिप्रा का यह सर्वाधिक जलस्तर था। बारिश थमने के बाद धीरे-धीरे नदी का जलस्तर भी घटना शुरू हो गया था। शनिवार सुबह तक नदी के घाटी पानी से बाहर आ चुके थे लेकिन इन पर बड़ी मात्रा में नदी से आई गाद वं गदंगी जमा हो गई। सुबह पूजन-अर्चन व स्नान के लिए आए श्रद्धालुओं को घाट पर जमे कीचड़-गंदगी के बीच से गुजरना पड़ा। किचड़ से घाट पर फीसलन की समस्या भी बढ़ गई और कई लोग इसका शिकार हुए। इधर सोमवार को बाबा महाकाल की सावन की आखिरी सवारी है। एेसे में नगर निगम अमला सुबह से ही घाटों की सफाई में लग गया। दो-तीन फायर फाइटर लगाकार घाटों की सफाई शुरू की गई। क्षेत्र के दरोगा मुकेश सारवान ने बताया, बारिश थमने के बाद घाट का अधिकांश भाग साफ कर लिया गया है। शेष भाग को भी जल्द साफ कर दिया जाएगा।
बैरिकेड्स में फंसी जलकुंभी व कचरा
सवारी व्यवस्था के चलते घाट पर बड़ी संख्या में बैरिकेड्स रखे हुए है। नदी में बाढ़ आने से यह बैरिकेड्स भी पानी में डूब गए थे। पानी के बहाव में आयी जलकुंभी व अन्य कचरा इन बेरिकेड्स में फंस गई हैं। एेसे में बैरिकेड्स भी गंदे हो गए हैं जो साधारण धुलाई में साफ नहीं होंगे। एेसे में सफाई नहीं होने पर सवारी पूर्व इनमें से कई बेरिकेड्स को बदलना पड़ सकता है।
दूसरे दिन भी छोटा पुल जलमग्न
जलस्तर बढऩे के कारण शुक्रवार सुबह ही क्षिप्रा ने रामघाट छोटे पुल को लांघ दिया था। शनिवार दोपहर में भी यह पुल पानी में डूबा रहा। इसके चलते आवाजाही में इस पुल का उपयोग नहीं हो सका और यातायात बड़े पुल पर डायवर्ट करना पड़ा।