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Changemaker : प्रधानमंत्री कैसा हो, राजनीतिक दलों में गठजोड़ व स्थानीय मुद्दों को लेकर चर्चा

locationउज्जैनPublished: Mar 18, 2019 12:11:39 pm

Submitted by:

Lalit Saxena

पत्रिका चेंजमेकर व वॉलेंटियर्स की बैठक में लोकसभा चुनाव के मुद्दे, सांसद के कामकाज का लेखाजोखा व आतंकवाद पर सरकार की कार्रवाई को लेकर की चर्चा

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उज्जैन. स्वच्छ राजनीति के लिए वोट देने से पहले हर मतदाता को यह देखना चाहिए कि कौन-सी पार्टी किस तरह वादे कर रही है और उसने संसद में कैसी भूमिका निभाई है। किसी प्रत्याशी को वोट देने भर से काम नहीं चलेगा। यह देखना होगा कि उस प्रत्याशी की जनता के बीच कितनी पकड़ है। उसने अब तक सामाजिक जीवन कैसा रहा है। अगर वह जनप्रतिनिधि रहा है तो उसने कितने वादे पूरे किए हैं। वैसे पिछली सरकार में कुछ काम अच्छे हुए हंै तो कुछ खराब। जनता को बगैर किसी लालच या बहकावे में आकर वोट नहीं डालकर अपने मन के आधार पर वोट देना चाहिए।

यह बात पत्रिका के चेंजमेकर एवं वॉलेंटियर्स की बैठक में चर्चा के दौरान सामने आई। सुभाषनगर में हुई बैठक में लोकसभा चुनाव के मुद्दे, जनता की मांग, परेशानी, आतंकवाद, प्रत्याशी की छवि, समस्याएं, प्रधानमंत्री कैसा हो, राजनीतिक दलों में गठजोड़ व स्थानीय मुद्दों को लेकर चर्चा की गई। बैठक में सामने आया कि राजनीतिक दल जनता की हर मांग पूरी करे, लेकिन वे खैरात नहीं बांटे। जिस वर्ग को जो जरूरत है उसकी मदद करें। वॉलेंटियर्स का कहना था कि उज्जैन कई वर्षों से बेरोजगारी का दंश झेल रहा है।

भाजपा-कांग्रेस दोनों को सांसद के रूप में जतना ने देखा है, लेकिन बेरोजगारी समस्या के समाधान पर कुछ नहीं हुआ। युवा रोजगार की तलाश में पलायन कर रहे हैं, जबकि शहर ही नहीं ग्रामीण क्षेत्र में भी रोजगार की बड़ी संभावनाएं हैं। कृषि, दूध व फलों के उत्पादन के क्षेत्र में बहुत कुछ किया जा सकता था, लेकिन कुछ नहीं हुआ। शैक्षणिक हब के रूप में शहर को विकसित करने का वादा किया गया था लेकिन आज रोजगार मूलक तकनीकी शिक्षा ही उपलब्ध नहीं है। इंदौर, भोपाल या दूसरे राज्यों में जाकर पढ़ाई करने की मजबूरी है। सिंहस्थ के कारण शहर अवश्य संवरा है लेकिन अब उसकी देखरेख नहीं है। शिप्रा की हालत किसी से छुपी नहीं है। करोड़ों रुपए खर्च कर नर्मदा-शिप्रा लिंक योजना बनाई लेकिन इसका पानी सिर्फ नहान या आवश्यकता के समय ही मिल रहा है जबकि वादा किया गया था कि इससे शिप्रा प्रवाहमान होगी। शहर में ट्रैफिक व्यवस्था भी बेपटरी है। इसलिए जरूरत है कि ऐसे जनप्रतिनिधि की, जो जनता के बीच रहे और उनकी छोटी से लेकर बड़ी समस्या तक के लिए भोपाल से दिल्ली तक लड़ाई लड़े।

बैठक में यह बिंदु भी सामने आए
प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने स्वच्छता अभियान, आतंकवाद को लेकर अच्छा काम किया। नोटबंदी और जीएसटी के कारण हर वर्ग परेशान हुआ है।

सांसद चिंतामणि मालवीय ने बहुत सारे अच्छे काम किए। रोजगार की दिशा में कोई बड़े उद्योग नहीं ला सके।
कांग्रेस सरकार ने किसानों के कर्जमाफी का अच्छा कदम उठाया, लेकिन किसानों को टुकड़ों में कर्ज माफी देने से इसक अच्छा असर नहीं जा रहा है।
शिप्रा नदी को प्रवाहमान बनाने के लिए केंद्र सरकार को योजना बनाना चाहिए। जो भी सांसद बने उसे यह वादा कर शिप्रा को पुनर्जीवित करना चाहिए।
ग्रामीण के साथ शहरी क्षेत्रों में भूमि जल स्तर तेजी से नीचे जा रहा है। इससे खारे पानी की समस्या बढ़ती जा रही है। नर्मदा या शिप्रा का पानी सब दूर पहुंचे ऐसी कोई योजना पर काम हो ताकि भूमिजल का कम उपयोग हो।

राजनीति से अच्छे, शिक्षित, चरित्रवान लोग दूर हो रहे हैं। वोट की राजनीति अब बंद होकर सभी समाज के उत्थान के लिए काम की जरूरत है। जो भी जनप्रतिनिधि बने वह विकास के वादे के साथ काम करें। सरकारी योजनाओं को क्रियान्वयन अपनी जगह है लेकिन क्षेत्र की आवश्यकता क्या है, उसे प्राथमिकता से करने वाला जनप्रतिनिधि का चुनाव होना चाहिए।
– रविभूषण श्रीवास्तव, चेंजमेकर

पार्टियां लोकलुभावन वादे कर वोट मांग रही है। यह अच्छी परिपाटी नहीं है। जनता को सुवधिाएं या मदद देना अच्छी बात है लेकिन सरकार को चाहिए लोग खुद इन्हें पाने के लिए सक्षम बने। किसानों की कर्जमाफी करना ठीक है लेकिन यह आदत न बन जाए। लोग बिल माफ के चक्कर में बिल ही जमा नहीं करते हैं।
– गौरव शर्मा

राजनीतिक दलों में देश सेवा की जगह सिर्फ राजनीति में बना रहने के लिए ही काम कर रही है। सासंद चुने जाते हैं तो वह पहले उन लोगों व क्षेत्रों में काम करते हैं, जहां उन्हें ज्यादा वोट मिले। होना यह चाहिए कि सांसद को अपने क्षेत्र में पांच प्रमुख समस्या या मुद्दे तय करके उन्हें पूर्ण करने में लगना चाहिए। ऐसा नहीं होता है और कई समस्या जस की तस रह जाती है।
– रवि यादव

देश में लोगों का चारित्रिक पतन हो रहा है। इसका असर राजनीति ही नहीं देश के विकास पर भी दिख रहा है। लोग खुद के लाभ के लिए काम करते हैं, देश के लिए नहीं। जनता में देशप्रेम, चरित्र के प्रति ध्यान देंगे तो कई समस्याएं खत्म हो जाएगी।
– पीसी जरिया

एक सरकार बनती है तो वह लोकसभा, विधानसभा या अन्य चुनावों में लगी रहती है। इस देश सेवा पर फोकस ही नहीं रहता। चुनाव आयोग को इस दिशा में सोचना चाहिए।
– अभिषेक मिश्रा

देश ही नहीं हमारे शहर में बेरोजगारी बड़ी समस्या है। जो भी जनप्रतिनिधि बने वह देखें कि उसके क्षेत्र में रोजगार कैसे उपलब हो सकता है, कौन-सी फैक्ट्री स्थापित हो सकती है। युवा सिर्फ वोट देने भर के लिए नहीं है।
– रोहित दुबे

उज्जैन की पहचान धार्मिक नगरी के रूप में है। सिंहस्थ के दौरान विकास के काम हुए हैं लेकिन धार्मिक पर्यटन को लेकर कोई नीति नहीं बनी है। अगर हमारे सांसद धार्मिक पर्यटन पर फोकस करेंगे तो इससे रोजगार बढ़ेगा और शहर का विकास भी होगा। साथ ही शहर का सौंदर्यीकरण भी बढ़ेगा।
– चेतन अहिरवार

हम लोकसभा के लिए प्रत्याशी चुनने वाले हंै। स्थानीय मुद्दे तो हमारे सामने हैं ही लेकिन देश के मुद्दे पर भी हमें एकमत होना चाहिए। आतंकवाद, कश्मीर और नक्सल एक बड़ी समस्या है। इन्हें खत्म करने को लेकर एक नीति बनना चाहिए और तय समय में इसे दूर करने का प्रयास हो।
– राम श्रीवास्तव

रोजगार के लिए स्टील प्लांट व विक्रमपुरी उद्योगपुरी के सपने युवाओं को खूब दिखाए गए। आज तक यह दोनों सौगात नहीं मिली है। विक्रम उद्योगपुरी में कब विकसित होगा, कब फैक्ट्री आएगी किसी को पता नहीं। सरकार भी इसको लेकर क्या काम कर रही है इसके बारे में कोई जानकारी नहीं है।
– जितेंद्र श्रीवास्तव

आगर रोड, बडऩगर या देवास रोड हो, हर दिन इन मार्ग पर हादसे होकर लोग अपनी जान गंवा रहे हैं। अखबारों में रोज दुर्घटना की खबर आती है लेकिर प्रशासन तो ठीक जनप्रतिनिधि आवाज तक नहीं उठा रहे हैं, जबकि इन मार्गों को ठीक करवाने के लिए जनप्रतिनिधियों को आंदोलन, धरना देना चाहिए। अफसोस है कि हमारे वोट देने के बाद भी हमारी परेशानी और दिक्कतों से इन्हें कोई सरोकार नहीं रहता है।
– शिवम भावसार

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