साइकोलॉजिस्ट के अनुसार लोग मॉक साइकोलॉजी का शिकार हो रहे हैं। पुलिस अधिकारियों का कहना है, लॉकडाउन के बाद से ऐसे मामलों में बढ़ोतरी हुई है। हालांकि पुलिस के पास लोगों की प्रवृत्ति पर डेटा बेस शोध नहीं है, लेकिन यह सच है कि लोग बेफिजूल की बातों पर गुस्सा हो रहे हैं। ऐसे केस में 50 फीसदी तक का इजाफा हुआ है।
एक्सपर्ट व्यू
जागरूकता की जरूरत
कोरोना के बाद लोगों में अतिसंवेदनशील व्यवहार बढ़ गया है। लोग गुस्सेल हो गए हैं। इसे मॉक सायकोलॉजी कहा जा सकता है। यह काम की परेशानियों, समाज में व्यस्तता और हीन भावना से आती है। व्यक्ति अंदर ही अंदर परेशान होता है। इसी कारण गुस्सेल हो जाता है। इसे रोकने के लिए पारिवारिक माहौल और हमेशा व्यस्त रहने वाले माहौल में रहना पड़ेगा। मॉरल एजुकेशन से भी समाज में जागरूकता की जरूरत है।
-डॉ. पराग ढोबले, मनोचिकित्सक
सहनशीलता में आई कमी
कोरोना संक्रमण के बाद लोगों की सहनशीलता निश्चित तौर पर कम हुई है। इसके लिए पुलिस भी जागरूकता अभियान पर काम कर रही है। लोगों को समझाइश दी जा रही है।
-सत्येन्द्र कुमार शुक्ल, एसएसपी
तीन घटनाक्रम में देख लीजिए गुस्से का स्तर
●3 मई की दोपहर ढांचा भवन निवासी राजेश चौहान की बाइक सवार से मिर्जा नईम बैग मार्ग पर टक्कर हो गई। दोनों में कहासुनी ने विवाद का रूप लिया। बाइक सवार युवकों ने राजेश की बाइक में आग लगा दी। पुलिस ने गिरफ्तार किया।
●10 मई को बेगमबाग कॉलोनी में सलमा पति अब्दुल के साथ उनके जमाई मोहम्मद सलीम ने मारपीट कर दी। वह पति-प%ी के विवाद में बीच-बचाव करने की पहुंची थीं।
●17 मई को माकड़ोन में दिलीप प%ी सपना से मारपीट कर रहा था, तभी दिलीप के पिता छगनलाल बहू को बचाने आगे आए तो गुस्से में दिलीप ने लट्ठ मारकर हत्या कर दी।
एक नजर
2019-20 केस प्रतिदिन 08
2020-21 केस प्रतिदिन 10
2021-22 केस प्रतिदिन 15