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उज्जैन

युवा उत्सव में 22 विधा की सांस्कृतिक झलक

22 सांस्कृतिक विधाओं में युवा का प्रतिभा प्रदर्शन, विजेता जाएंगे आगे, जिलास्तरीय युवा उत्सव 17 से, तीन मचाएंगे युवा धमाल

उज्जैनSep 15, 2018 / 07:56 pm

Lalit Saxena

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उज्जैन. उच्च शिक्षा विभाग के निर्देशानुसार सरकारी और निजी महाविद्यालय के विद्यार्थियों की जिलास्तरीय युवा उत्सव प्रतियोगिता 17 से 20 सितंबर तक विभिन्न महाविद्यालय में आयोजित होगी। इस कार्यक्रम के जिलभर के युवा कलाकार अपनी कला का प्रदर्शन करेंगे। साथ ही विजेता दल व कलाकार विश्वविद्यालय स्तरीय युवा उत्सव के लिए चयनित किया जाएगा। युवा उत्सव के आयोजन के अग्रणी कॉलेज कालिदास महाविद्यालय में पूर्व में बैठक आयोजित हो चुकी है। इसी के अनुसार कार्यक्रम होंगे।

समस्त कॉलेज के दल को आंमत्रित किया

जिलास्तरीय युवा उत्सव में 22 विधा में प्रस्तुति होगी। संयोजक मीना मोघे ने बताया कि चित्रकला, कार्टूनिंग, वाद-विवाद, वक्तता, प्रश्नमंच, क्लेमाडलिंग, कोलॉज, एकल गायन सुगम व शास्त्रीय, समूह गायन भारतीय व पाश्चत्य, एकल गायन भारतीय, एकांकी, लघु नाटिका, रंगोली, एकल नृत्य शास्त्रीय, समूह व लोक नृत्य, मूक अभिनय, मिमिक्री में समस्त कॉलेज के दल को आंमत्रित किया गया। इसके लिए अलग-अलग कॉलेज को मेजबानी सौंपी गई है।

शिल्पकला और विचारों का प्रदर्शन

माधव कॉलेज में शनिवार को कॉलेज स्तरीय युवा उत्सव के दूसरे दिन मूर्ति शिल्प, स्पॉट पेंटिंग, वाद-विवाद, वक्तता व प्रश्रमंच का आयोजन किया गया। इसमें विद्यार्थियों ने अपने विभिन्न विषयों पर विचार प्रकट करने के साथ प्रश्रमंच में ज्ञान को सामने रखा। इसी के साथ मूर्तिशिल्प में कला को प्रदर्शन किया।

राष्ट्रीय चेतना को जाग्रत करता करता है गणेशोत्सव

संस्था संवाद व संस्कृति विभाग द्वारा तीन दिवसीय मंगलमूर्ति महोत्सव का आयोजन द्वितीय दिन शनिवार को विभिन्न कार्यक्रम हुए। महोत्सव पहले सत्र में प्रो. शैलेंद्र शर्मा कुलानुशासक विक्रम विश्वविद्यालय ने गणेशोत्सव की संकल्पना और वर्तमान स्वरूप पर चर्चा की। उन्होंने कहा कि गणेश उत्सव धार्मिक, भक्ति कार्यक्रम तक सीमित नहीं है। बाल गंगाधार तिलक ने उत्सव को सार्वजनिक रूप देकर सामाजिक और राष्ट्रीय चेतना से जोड़ दिया। इसके बाद यह उत्सव आजादी के आंदोलन का हिस्सा बन गया। इस उत्सव में लोगों के कम होते आत्मविश्ववास को बढ़ाया। स्वाभिमान की कमी के चलते लोग अंग्रेजों के निगाह में उठना चाहते थे, ऐसे लोगों में राष्ट्रीय चेतना को जाग्रत किया। हालांकि आज उत्सव का विचार पीछे छूटता जा रहा है। इसके व्यापक विचार की जगह आडम्बर ने ले ली है। कार्यक्रम के द्वितीय चरण में सांस्कृतिक प्रस्तुति हुई। इसमें माधुरी कोडापे, अनन्या गौड़, अवनी शुक्ला का संयुक्त शास्त्रीय कथक नृत्य हुआ।

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