scriptमटके से निकली गोटियों ने बदली राजनीतिक बिसात, कुछ दिग्गजों की जमीन खिसकी तो कुछ अपने वार्ड वापस लौटे | Due to the process of OBC reservation, there was a big change in 5 war | Patrika News

मटके से निकली गोटियों ने बदली राजनीतिक बिसात, कुछ दिग्गजों की जमीन खिसकी तो कुछ अपने वार्ड वापस लौटे

locationउज्जैनPublished: May 27, 2022 09:23:15 am

– ओबीसी आरक्षण की प्रक्रिया के कारण पांच वार्डों में आया बड़ा बदलाव

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उज्जैन । Ujjain

नगर निगम चुनाव को लेकर बुधवार को नए सीरे से हुआ ओबीसी आरक्षण कुछ चेहरों की खुशी बढ़ाने तो कुछ की छीनने वाला रहा। मटके से निकली गोटियों ने कई वार्डों के राजनीतिक समीकरण बदल दिए। पांच वार्डों पर तो इसका सीधा और बड़ा असर हुआ है।
दो वर्ष पूर्व निगम चुनाव को लेकर वार्ड आरक्षण हुआ था। इसमें वार्डों का फेरबदल होने के कारण कई दिग्गज नेताओं के चुनावी क्षेत्र प्रभावित हो गए थे। ऐसे में इन प्रभावित दावेदारों ने परजिन को चुनाव लड़वाने या पड़ोसी वार्ड से चुनाव लडऩे की तैयारी शुरू कर दी थी वहीं नए दावेदार भी उभर गए थे।
अब दो वर्ष दोबारा ओबीसी आरक्षण होने के कारण एक बार फिर कई लोगों के चुनावी समिकरण बदल गए हैं। नए विकल्प के साथ चुनावी तैयारी कर रहे कई नेताओं की जमीन खीसक गई है तो कुछ को अपने गृह या पुराने पार्षदी वार्ड में लौटने का अवसर मिल गया है। गोटी डलने से जो पाचं वार्ड सीधे प्रभावित हुए हैं, उनमें भी बड़ा फेरबदल हुआ है।

गोटी से इन वार्डों में आया सीधा बदलाव

वार्ड क्रमांक-15
यह वार्ड भाजपा वरिष्ठ पार्षद व मंत्री मोहन यादव की बहन कलावती यादव का गृह वार्ड है। वर्ष 2010 में वार्ड के अनारक्षित होने पर यादव को नए शहर में फ्रीगंज क्षेत्र से ओबीसी महिला आरक्षित वार्ड से चुनाव लडऩा पड़ा। वर्ष 2015 में वार्ड अनारक्षित महिला हुआ तो वे फिर इससे लड़ी व जीती।
वर्ष 2020 के आरक्षण में यह वार्ड ओबीसी मुक्त हो गया था। इसके चलते उनके पास यहां से लडऩे का विकल्प था लेकिन पुरुष दावेदारों की आपत्ति झेलना पड़ती। अब नए आरक्षण में यह वार्ड फिर ओबीसी महिला हो गया है। ऐसे में वे चाहे तो यहां से दावेदारी कर सकती हैं।
वार्ड क्रमांक-26
वर्ष 2010 में वार्ड क्रमांक 26 अनारक्षित महिला वार्ड था जो वर्ष 2015 में अनारक्षित मुक्त हुआ। वार्ड क्रमांक 24 निवासी भाजपा के वरिष्ठ पार्षद सत्यनारायण चौहान बाहरी प्रत्याशी के रूप में लड़े और जीते। वर्ष 2020 में यह वार्ड अनारक्षित महिला हुआ। चौहान का यहां से चुनाव लडऩा संभव नहीं था।
गोटी डलने के बाद अब यह ओबीसी महिला हो गया है। चौहान अभी भी यहां से चुनाव नहीं लड़ सकते हैं लेकिन पूर्व पार्षद गीता रामी या पड़ोसी वार्ड की पार्षद रही डॉ. योगेश्वरी राठौर के लिए विकल्प तैयार हो गया है। कांग्रेस से वार्ड 28 की पार्षद रही रेखा गेहलोत के लिए भी यह विकल्प हो सकता है।
वार्ड क्रमांक-28
वर्ष 2015 में यह महिला वार्ड था और कांग्रेस की रेखा गेहलोत चुनाव जीती थीं। वर्ष 2020 में अनारक्षित हो गया था वहीं गोटी डलने के बाद यह ओबीसी मुक्त हो गया है। ऐसे में रेखा गेहलोत स्वयं या परिवार के किसी पुरुष के लिए विकल्प खुला होगा।

भाजपा के सत्यनारायण चौहान यहां से चुनाव लड़ सकते हैं इसलिए राजनीतिक समिकरण बदलेंगे। गेहलोत वार्ड 26 से भी दावेदारी कर सकती हैं।

वार्ड क्रमांक-29
वर्ष 2015 में यह ओबीसी मुक्त था। पार्टी से टिकट नहीं मिलने पर शैलेंद्र यादव ने निर्दलीय चुनाव लड़ जीत हांसिल की थी। वर्ष 2020 में वार्ड अनारक्षित महिला हो गया जिसके चलते यादव की दावेदारी खत्म हो गई थी। गोटी डलने के बाद यह वार्ड अनारक्षित मुक्त हो गया है। यादव फिर दावेदारी कर सकते हैं। हालांकि वे इस बार चुनाव लडऩे से मना कर रहे हैं। अनारक्षित होने से भाजपा के कुछ पूर्व पार्षदों के लिए अवसर तैयार हो गया है।

वार्ड क्रमांक-51
यह कांग्रेस के पूर्व पार्षद बिनू कुशवाह का गृह वार्ड है। वर्ष 2010 में यह अनारक्षित महिला था। तब भाजपा की सुरेखा भार्गव पार्षद बनी थी वहीं

कुशवाह ने ओबीसी महिला आरक्षित हुए वार्ड क्रमांक 53 से पत्नी को चुनाव लड़वाया व जीता। वर्ष 2005 में कुशवाह भी वार्ड 53 से पार्षद रह चुके थे। वर्ष 2015 में जब वार्ड 51 अनारक्षित हुआ तो कुशवाह गृह वार्ड से चुनाव लड़े और जीते। वर्ष 2020 में यह वार्ड ओबीसी महिला आरक्षित हुआ था।

इससे कुशवाह की पत्नी व पूर्व पार्षद दीपिका कुशवाह के लिए दावेदारी का रास्ता पूरी तरह साफ हो गया था। गोटी डलने के बाद अब वार्ड अनारक्षित महिला हो गया है। ऐसे में भी दीपिका कुशवाह की दावेदारी पर कोई बुरा असर नहीं पड़ेगा लेकिन दावेदारी की प्रतिस्पर्धा बढ़ सकती है। संभव है कि बिनू कुशवाह स्वयं पार्षद चुनाव नहीं लड़ेंगे।

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