scriptखाओ मन भर, झूठा न छोड़ें कणभर | Eat a heart full, do not leave a particle full | Patrika News

खाओ मन भर, झूठा न छोड़ें कणभर

locationउज्जैनPublished: Oct 16, 2019 12:34:37 am

Submitted by:

rishi jaiswal

वल्र्ड फूड डे आज : बचा खाना व्यर्थ करने के बजाय किसी की भूख मिटा दें, यही ध्येय है युवाओं का

खाओ मन भर, झूठा न छोड़ें कणभर

वल्र्ड फूड डे आज : बचा खाना व्यर्थ करने के बजाय किसी की भूख मिटा दें, यही ध्येय है युवाओं का

उज्जैन. इतना लो थाली में की, झूठा न जाए नाली में…खाओं मन भर लेकिन झूठा न छोड़े कणभर। आज वल्र्ड फूड डे के मौके पर इन पंक्तियों की प्रासंगिकता पर चर्चा लाजिमी है। ये वाक्य भले ही सुनने में सामान्य लगे लेकिन जिन लोगों के पास खाने के लिए पेटभर अन्न नहीं है उनके लिए यह अहम है। बड़े रेस्त्रां, होटल व संपन्न परिवारों में जितना खाना छोड़ दिया जाता है, उसमें हजारों लोग की भूख मिट सकती है। शहर में युवाओं की रॉबिनहुड संस्था इसी की मिसाल बनकर उभरी है। इनका बस यहीं ध्येय है कि किसी भी सहभोज में बचा खाना फिंकने या खराब होने की बजाय किसी जरूरतमंद के पेट तक पहुंच सके। संस्था अपने खर्च से इस कार्य को अंजाम देती है।
भोजन की महत्ता उसे ही पता होती है, जिसके पास इसका अभाव है या इसे पाने के लिए उसका पूरा श्रम लग जाता है। वहीं दूसरी तरफ जहां संपन्नता है वहां भोजन के अपव्यय पर शायद चर्चा तक नहीं होती। वल्र्ड फूड डे की स्थापना को विविध उद्देश्यों को लेकर और हर साल इसे किसी थीम विशेष को लेकर बनाया जाता है। लेकिन इसका मूल ध्येय यहीं है कि खाने की बर्बादी रुके और कृषि क्षेत्र को मजबूती मिले।
देश में 19 करोड़ लोग सोते हैं भूखे
यूनाइटेड नेशन की फूड एंड एग्रीकल्चर आर्गेनाइजेशन की एक पूर्व रिपोर्ट अनुसार भारत में करीब १९ करोड़ लोग रोजाना भूखे रह जाते है। उन्हें पर्याप्त भोजन नहीं मिलता या कुछ तो इससे अछूते हैं। पर्याप्त उत्पाद के बावजूद इस स्थिति का प्रमुख कारण बड़ी मात्रा में रोजाना भोजन की बर्बादी है। रिपोर्ट अनुसार देश में प्रतिदिन २४४ करोड़ रुपए का खाना बर्बाद कर दिया जाता है।
बाढ़ प्रभावित क्षेत्र में अन्न सेवा
शहर की कई संस्थाओं ने शहर की बस्तियों में जाकर बाढ़ प्रभावित लोगों की अन्न सेवा की। अपने खर्च पर भोजन तैयार करवाकर इन्होंने प्रभावितों की इस जरूरत को समझा। सामाजिक तालमेल का यह अच्छा संदेश है कि संपन्न व्यक्ति किसी अभावग्रस्त की परेशानी को समझे। शहर की युवा उज्जैन, महावीर इंटरनेशनल केंद्र, रॉबिनहुड, लायंस क्लब गोल्ड, स्वर्णिम भारत मंच सहित अन्य संस्थाओं ने पिछले दिनों बाढ़ प्रभावितों के बीच पहुंचकर भोजन वितरित किया था।
सूचना मिली और वाहन लेकर निकले सेवा पर
युवाओं की रॉबिनहुड संस्था बचे हुए अनाज व इसे भूखों तक पहुंचाने के बीच सेतु का काम करती है। जहां से भी इन्हें सूचना मिलती है वह लोडिंग वाहन लेकर वहां पहुंचते हैं। सारे बर्तन इनके पास रहते हैं, बचा हुआ खाना एकत्रित कर ये जरूरतमंदों तक ले जाते हैं। उद्देश्य यही है कि जिससे पेट भर सकता हो वह भोजन यूं ही नाली में न फिंके। संस्था में १०० से अधिक सक्रिय युवा जुड़े हैं।
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