प्रशासक गणेश कुमार धाकड़ ने बताया कि बहुत जल्द धोती-सोला के बिना ही गर्भगृह में प्रवेश दिए जाने पर विचार चल रहा है। यह निर्णय सभी के हित में रहेगा। साथ ही बाहर से आने वाले दर्शनार्थी भी किसी प्रकार से भ्रमित नहीं होंगे। अभी इस पर मंथन किया जा रहा है। हो सकता है सावन मास के पहले ही इस व्यवस्था को लागू कर दिया जाए।
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गर्भगृह में जाने के लिए पहनना पड़ता है धोती-सोला
वर्तमान में जो दर्शन-पूजन की व्यवस्था मंदिर में चल रही है, उसके अनुरूप अभी गर्भगृह में प्रवेश करने के लिए ड्रेसकोड यानी धोती-सोला पहनना अनिवार्य होता है। लेकिन मंदिर समिति यदि निर्णय लेती है, तो आने वाले समय में इसकी अनिवार्यता पूर्णत: खत्म हो जाएगी। सिर्फ त्रिकाल पूजा-आरती के दौरान ही दर्शनार्थियों को इसे पहनना होगा।
1500 की रसीद वाले जाते हैं अंदर
महाकाल मंदिर में प्रवेश बंद होने की स्थिति में 1500 की रसीद कटाने वाले 2 श्रद्धालुओं को गर्भगृह में जाकर अभिषेक-पूजन की अनुमति दी जाती है। इसके लिए उन्हें ड्रेसकोड यानी धोती-सोला धारण करना अनिवार्य होता है। कई लोग जो बाहर से आते हैं, उन्हें वैसे जल्दबाजी रहती है। धोती-सोला पहनने के चक्कर में वे उलझ जाते हैं और गंतव्य तक पहुंचने में लेट होते हैं।
यह होगा फायदा
● ड्रेसकोड की अनिवार्यता खत्म होने पर फूल-प्रसाद वाले किसी भी श्रद्धालु को बे-वजह धोती-सोला नहीं पहना सकेंगे।
● एक ही धोती-सोला को बार-बार अन्य श्रद्धालुओं को पहनाते रहते हैं, इससे पवित्रता भी नष्ट होती थी।
● श्रद्धालु गर्भगृह में प्रवेश करते समय सामान्य वस्त्र पहनकर पहले भी जाते रहे हैं।
उत्तम वर्षा की कामना के लिए बाबा का महारुद्राभिषेक
उज्जैन. राजाधिराज भगवान महाकाल के दरबार में उत्तम वर्षा की कामना को लेकर गुरुवार से महारुद्राभिषेक अनुष्ठान प्रारंभ हुआ। मंदिर समिति के अध्यक्ष कलेक्टर आशीष सिंह ने सपत्नीक शामिल होकर इस अनुष्ठान में शृंगी ऋषि की प्रतिमा का पूजन किया। इसके बाद नंदी हॉल में बैठकर भगवान शिव का जल व दूध से पंचामृत अभिषेक किया।
वैदिक मंत्रों की गूंज के साथ पांच दिवसीय चलने वाला महारुद्राभिषेक अनुष्ठान विधि-विधान के साथ शुरू हुआ। उत्तम बारिश की कामना को लेकर महाकाल बाबा का महारुद्राभिषेक किया जा रहा है। 23 जून से 27 जून तक पुजारी पं. घनश्याम शर्मा के आचार्यत्व में आयोजन किया जाएगा। पहले दिन कलेक्टर आशीष सिंह, प्रशासक गणेश कुमार धाकड, समिति सदस्य पुजारी प्रदीप गुरु, राजेन्द्र शर्मा (गुरु), पुजारी राम शर्मा आदि ने भगवान एवं पर्जन्य (वर्षा) श्रृंगि ऋषि का पूजन कर अनुष्ठान आरंभ किया।