जिले में सौर ऊर्जा से २५० मेगावॉट तक बिजली उत्पादन की क्षमता, तहसीलों में प्राइवेट कंपनियों ने लगाए सौलर प्लांट, बिजली कंपनियों को बेच रहे बिजली
उज्जैन
Published: April 09, 2022 01:45:13 pm
उज्जैन। ग्रीन एनर्जी का पर्याय बन रही सौर ऊर्जा के क्षेत्र में उज्जैन एक नई पहचान बना रहा है। यहां बंजर भूमि से लेकर छतों तक बिजली की खेती की जा रही है। एक ओर भवनों की छतों पर सौलर प्लेट लग रही है तो खाली जमीनों पर सौलर प्लांट स्थापित हो रहे हैं। इसके चलते लाखों यूनिट बिजली का उत्पादन हो रहा है। एक अनुमान के मुताबिक पिछले वर्षों में एक हजार करोड़ यूनिट से ज्यादा का बिजली का उत्पादन हो चुका है। बिजली के इस उत्पादन से बिजली कंपनी का लोड भी कम हो रहा है। वर्तमान में बडऩगर, घट्टिया, महिदपुर, तराना तहसीलों में बिजली का उत्पादन हो रहा है। अकेले उज्जैन शहर में ही ८५ से अधिक सोलर सिस्टम लगाए गए हैं, इससे ३० फीसदी तक बिजली की बचत हो रही है। प्रदेश में उज्जैन ऐसा पहला शहर है जहां पर फिल्टर प्लांट सोलर एनजी से संचालित हो रहे हैं।
स्मार्ट सिटी के तहत सरकारी भवनों पर सोलर सिस्टम
शहर के स्मार्ट सिटी होने के चलते सौर ऊर्जा को लेकर पिछले दो.तीन सालों में तेजी से काम बढ़ा है। जिले में स्मार्ट सिटी के तहत करीब ७५ से अधिक सरकारी भवनों की छतों का चयन किया गया है। इसमें स्कूल, शासकीय अस्पताल, पंचायतए कलेक्टोरेट भवन सहित अन्य जगह है। इनमें से अधिकांश जगह सौलर सिस्टम लगाए जा चुके हैं अधिकारी बता रहे हैं कि सभी छतों पर सोलर सिस्टम लगते हैं तो ५०० किलो वॉट से अधिक बिजली का उत्पादन होगा। शहर में उंडासा, गउघाट व अंबोदिया फिल्टर प्लांट पर 1.4 मेगावॉट के सिस्टम लगाए गए हैं। जो सफलता पूर्वक संचालित हो रहे हैं।
निजी कंपनियोंं के प्लांट बना रहे करोड़ों युनिट बिजली
जिले में सोलर पॉवर पैक्स योजना के तहत निजी कंपनियोंं ने सौलर प्लांट लगाए हैं। यह कंपनियां उत्पादित बिजली को पॉवर परचेस एग्रीमेंट के तहत करोड़ों यूनिट बिजली को बिजली कंपनी को बेच रही है। तराना तहसील के कड़ोदिया, सिद्धपुर निपानिया तथा डेलची में पिछले वर्ष १२७.७५ करोड़ युनिट बिजली बनी थी। इसके अलावा बडऩगर, घट्टिया, महिदपुर व नजरपुर में भी बिजली बन रही है। इन क्षेत्रों में पिछले वर्ष में १०० करोड़ यूनिट से अधिक बिजली का उत्पादन हुआ। खास बात यह कि निजी कंपनियां बंजर भूमि पर प्लांट लगा कर बिजली बना रही है।
250 मेगावॉट से ज्यादा उत्पादन
जिले में सौलर व विंड पॉवर मिलाकर करीब २५० मेगावॉट बिजली का उत्पादन किया जा रहा है। इसमें कैप्टिव पावर सहित एमपीयूवीएन से २.५ मेगावॉट, नवीकरणीय ऊर्जा विभाग के सौलर पॉवर पैक्स से १२७ मेगावॉट तथा विंड पॉवर से ११० मेगावॉट बिजली उत्पादित हो रही है। इसके अलावा छतों, फिल्टर प्लांट से अतिरिक्त बिजली बनाई जा रही है।
नागदा में १ हजार बीघा पर १०० मेगावॉट का प्रोजेक्ट
जिले की नागदा तहसील में एक हजार बीघा जमीन पर १०० मेगावॉट का सोलर पार्क प्रोजेक्ट को भी मंजूरी मिली है। इस प्रोजेक्ट को लेकर जमीन के सीमाकंन का काम श्ुारू कर दिया गया है। इसको लेकर केंद्र से अधिकारियों ने निरीक्षण भी किया है। यह प्रोजेक्ट आकार लेता है तो नागदा के औद्योगिक क्षेत्र के साथ शहर में बिजली की एक बड़ी सौगात मिलेगी।
इसलिए महत्वपूर्ण है सौर ऊर्जा
- सौर ऊर्जा ग्रीन एनर्जी भी है, यानी इससे प्रदूषण नहीं होता है।
- इसके संचालन में लागत कम आती है। एकबार निवेश में लंबी अवधि तक उत्पादन होता है।
- बिजली उत्पादन के अन्य तरीकों की तुलना में सौलर प्लांट लगाना ज्यादा सुरक्षित है।
- सौर ऊर्जा से हम १२ घंटे तक बिजली उत्पादन और फिर इसे स्टोर कर सकते हैं।
- घेरलू और कृषि उपयोग में सौर ऊर्जा काफी किफायती है।
इनका कहना
जिले में सौर ऊर्जा से बड़ी मात्रा में बिजली का उत्पादन किया जा रहा है। घर, कृषि व सरकारी दफ्तरों की छतों पर सोलर सयंत्र लगाए गए हैं। निजी कंपनियोंं ने भी सोलर प्लांट लगाए है। इससे लाखों यूनिट बिजली उत्पादित हो रही है, इसे बिजली कंपनी भी खरीद रही है।
- आशीष आचार्य, अधीक्षण यंत्री, बिजली कंपनी
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