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Election 2018 : उज्जैन संभाग की 29 सीटों के समीकरण अब बदल गए

locationउज्जैनPublished: Sep 25, 2018 12:48:23 pm

Submitted by:

Lalit Saxena

सत्ता की चाबी है उज्जैन संभाग की 29 सीटें, पिछली बार 28 भाजपा ने जीती थीं, अब तस्वीर जुदा है

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जितेंद्र सिंह चौहान/सचिन त्रिवेदी@उज्जैन. प्रदेश में सत्ता की चाबी मालवांचल रहा है। पिछले विधानसभा चुनाव में उज्जैन संभाग की 29 सीटों पर भाजपा ने एकतरफा 28 सीटों पर कब्जा जमाया था। वहीं कांग्रेस सिमटकर महज एक सीट पर ही रह गई। बीते साढ़े चार साल में उज्जैन संभाग की 29 सीटों के समीकरण अब बदल गए हैं।

किसानों की नाराजगी चिंता का विषय बनी

यहां करीब 16 सीटें ऐसी हैं, जिसमें सीएम चौहान, पांच सीटों पर केंद्रीय मंत्री गेहलोत, एक सीट केंद्रीय मंत्री सुषमा स्वराज तो संघ की पसंद के सात उम्मीदवार मैदान में उतरे थे। अब भाजपा में वैसी स्थिति नहीं रही है। यहां हर दूसरी विधानसभा पर टिकट के लिए खींचतान शुरू हो गई है। हालांकि पूरे संभाग में भाजपा के लिए किसानों की नाराजगी चिंता का विषय बनी हुई है और पार्टी स्तर से नए चेहरे उतारने की मांग है। इधर, कांग्रेस की हालत जस की तस है। दिग्विजसिंह, ज्योतिरादित्य सिंधिया व कमलनाथ के अगल-अलग गुट बने हुए हैं। सभी गुट से टिकट के दावेदार हैं और इसको लेकर लामबंदी भी हो रही। कांग्रेस के लिए भाजपा की खामियां ही जीत का आधार बनती दिख रही हैं।

उज्जैन-शाजापुर-आगर : विवादों में भाजपा विधायक, मंत्री पारस जैन पर रार
उज्जैन, शाजापुर और आगर विधानसभा की सभी १२ सीटों पर भाजपा काबिज है। यहां करीब सात सीटों पर सीधे मुख्यमंत्री चौहान का जुड़ाव है। उज्जैन उत्तर से पांच बार से विधायक और ऊर्जा मंत्री पारसचंद्र जैन फिर से चुनाव लडऩे की तैयारी कर रहे हैं, जबकि पिछली दफे उनके आखिरी चुनाव लडऩे की चर्चा थी। ऐसे में इस सीट को लेकर दावेदारों में आपसी खींचतान चल रही है। वहीं भाजपा शहर अध्यक्ष इकबालसिंह गांधी ने पद से इस्तीफा दिया है उनके दक्षिण विधानसभा से लडऩे की चर्चा है। घट्टिया से भाजपा विधायक सतीश मालवीय और महिदपुर विधायक बहादुरसिंह चौहान के विवादों के चलते पार्टी की छवि बिगडऩे से आला नेता चिंतित हैं। वहीं शाजापुर-देवास सांसद मनोहर ऊंटवाल एक बार फिर आगर से विधायक बनना चाह रहे हंै। वहीं केंद्रीय मंत्री थावरचंद गेहलोत के रिश्तेदार घट्टिया और आगर से चुनाव लडऩे के चलते स्थिति त्रिकोणी बन गई है। यहां उनकी पसंद से उम्मीदवार खड़े होते आए हैं। फिलहाल भाजपा विधायक अपने विकास कार्यों से ज्यादा टिकट की जुगाड़ में सीएम से लेकर संघ तक को साधने में जुटे हैं। इधर, कांग्रेस में बागियों को फिर शामिल कर लिया तो पूर्व में विधायक रह चुके कांग्रेसी टिकट मांग रहे हैं। उज्जैन उत्तर से कमलनाथ और सिंधिया गुट के दावेदार टिकट की जोर अजमाइश में लगे हुए हैं। वहीं घट्टिया व उज्जैन दक्षिण में दिग्विजयसिंह के समर्थक टिकट पक्की मानकर चल रहे हैं। शाजापुर से दिग्विजसिंह और पूर्व सांसद सज्जनसिंह वर्मा के समर्थक दावेदारी कर रहे हैं। इसके चलते कांग्रेस में आपसी खींचतान और गुटबाजी दिनों दिन बढ़ती जा रही है।

देवास : सोनकच्छ और बागली भाजपा की चिंता
देवास जिले की पांचों विधानसभा सीट भाजपा के पास है। पिछले चुनाव में सोनकच्छ और बागली विधानसभा से भाजपा प्रत्याशी राजेंद्र वर्मा व चंपालाल देवड़ा बहुत कम मतों के अंतर से जीते थे। इस बार सीट को लेकर भाजपा में चिंता है। बागली से दूसरी बार जीते भाजपा विधायक देवड़ा की तबीयत खराब होने से यहां नए समीकरण बन रहे हैं। देवास में फिर राजघराने का जोर है, यहां गायत्री राजे पंवार के अलावा जयसिंह ठाकुर सक्रिय हैं। केंद्रीय मंत्री सुषमा स्वराज से जुड़े खातेगांव विधानसभा से भाजपा विधायक आशीष शर्मा को दोबारा टिकट मिलने की उम्मीद है। हाटपिपलिया से मंत्री दीपक जोशी के लिए पार्टी से कांग्रेस चुनौती बन सकती है। हालांकि इस बार कांग्रेस से कमलनाथ व दिग्विजसिंह गुट से जुड़े नेताओं में दावेदारी की होड़ है। हाटपिपलिया में कांग्रेस से मनोज चौधरी तो राजवीरसिंह जोर लगा रहे हैं। आरक्षित सीट सोनकच्छ पर सज्जनसिंह वर्मा गुट सक्रिय है।

रतलाम-मंदसौर-नीमच : अपनों से खतरा, कांग्रेस में गुटबाजी चरम पर
रतलाम, मंदसौर और नीमच तीनों ही जिलों की 12 विधानसभा में से एकमात्र मंदसौर की सुवासरा सीट पर कांग्रेस से हरदीपसिंह डंग विधायक है। वर्तमान में तीनों ही जिलों में भाजपा-कांग्रेस गुटबाजी की आग में जल रहे हैं। इन जिलों में भाजपा के वरिष्ठ नेताओं का सीधा दखल होकर वर्चस्व की लड़ाई चल रही है। रतलाम शहर विधायक चैतन्य काश्यप के रेलमंत्री पीयूष गोयल, केंद्रीय मंत्री थावरचंद गेहलोत, मंत्री नरेंद्रसिंह तोमर से सीधे संबंध है। आलोट विधायक जितेंद्रसिंह गेहलोत के पिता केंद्रीय मंत्री थावरचंद गेहलोत हैं तो जावरा विधायक डॉ. राजेंद्र पांडे पूर्व सांसद डॉ. लक्ष्मीनारायण पांडे के बेटे हैं। जावद विधायक ओमप्रकाश सखलेचा के पिता वीरेंद्रकुमार सखलेचा पूर्व मुख्यमंत्री रहे हैं। मंदसौर में विधायक यशपालसिंह सिसौदिया मुख्यमंत्री की गुड लिस्ट में बताए जाते हैं। नीमच-मंदसौर में संघ का भी सीधा दखल है। मंदसौर गोली कांड के बाद से भाजपा की मुसीबत बढ़ी हुई है। इधर, कांग्रेस में पूर्व सांसद मीनाक्षी नटराजन का खासा प्रभाव है। पिछले चुनाव में पांच सीटों पर पूर्व सांसद नटराजन से जुड़े नेता, दो सीटों पर ज्योतिरादित्य सिंधिया तथा एक सीट पर दिग्विजय ङ्क्षसह से जुड़े नेता को टिकट दिया गया था। अब हालात दूसरे हो गए हैं। तीनों ही जिलों में कांग्रेस में गुटबाजी चरम पर है। पिछली बार बागी प्रत्याशियों ने पार्टी को झटका दिया था। इस बार भी हालत कुछ ऐसे ही दिख रहे हैं।

कोठारी-काश्यप तो मंत्री जैन को लेकर तनातनी
संभाग की 29 सीटों पर दोनों पार्टियों के कद्दावर नेताओं की पकड़ तो है ही इनके बीच आपसी तनातनी के मामले सामने आते रहे हैं। रतलाम में अनेक बार वित्त आयोग अध्यक्ष हिम्मत कोठारी ने शहर विधायक चैतन्य काश्यप का विरोध किया है। कोठारी तो पिछली बार चुनाव में खड़े तक हो गए थे। उज्जैन उत्तर से पांच बार के विधायक ऊर्जा मंत्री पारसचंद्र जैन को लेकर दक्षिण विधायक मोहन यादव तो उत्तर से दावेदारी कर रहे अनिलजैन कालूहेड़ा के बीच वाकयुद्ध तक हो चुका है। मंत्री जैन से निगम अध्यक्ष सोनू गेहलोत के बीच शीतयुद्ध की चर्चा लंबे अरसे से है।

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