रविवार को स्वास्थ्य विभाग के दल ने बच्चे के घर जाकर जांच की है। साथ ही आसपास के घरों के भी करीब 20 बच्चों की जांच की गई है। इसको लेकर विभाग का दावा है कि बच्चे को मिजल्स नहीं है। बल्कि मिजल्स जैसा दिखने वाला वायरल है। एक सप्ताह पहले बच्चे को बुखार के साथ पूरे शरीर पर लाल चक्ते निकल गए थे। परिजन इसे माताजी निकलना समझ कर यह बात किसी को नहीं बताई थी, लेकिन जब मामला स्वास्थ्य विभाग के पास पहुंचा तो हड़कंप मच गया। कारण बच्चे को टीकाकरण अभियान के दौरान मिजल्स यानी खसरे का टीका लगाया गया था। इसके बाद भी बच्चे में मिजल्स के लक्षण मिलना स्वास्थ्य विभाग के लिए किसी हैरानी से कम नहीं था। सूचना मिलते ही टीम बीएमओ डॉ. संजीव कुमरावत के नेतृत्व में बच्चे के घर प्रकाश नगर पहुंची और जांच की। अब जांच करने वाले चिकित्सक डॉ. कुमरावत दावा कर रहे हैं कि बच्चे को मिजल्स नहीं है। बल्कि मिजल्स सा दिखने वाला वायरल फीवर है। उपचार कर दिया है। इसके अलावा जांच दल ने बच्चे के आसपास के घरों में रहने वाले छोटे बच्चों की भी जांच की। कई बच्चे सर्दी-जुकाम से पीडि़त मिले। उनको दवाएं दीं, लेकिन जांच के दौरान क्षेत्र में एक भी इस तरह की बीमारी से पीडि़त बच्चा नहीं मिला है।
डॉ. कुमरावत ने यह भी बताया है कि सोमवार को भी प्रकाशनगर में स्वास्थ्य विभाग की टीम घर-घर पहुंच कर 15 वर्ष तक के बच्चों की जांच करेगी। जिन बच्चों को अभी तक मिजल्स-रूबेला का टीकाकरण नहीं हुआ है। ऐसे बच्चों को टीकाकरण किया जाएगा।
लाल चक्ते दिखे तो डॉक्टर से करें संपर्क
डॉ. कुमरावत ने लोगों से अपील की है कि किसी बच्चे को तेज बुखार के साथ शरीर पर लाल चक्ते नजर आए तो माताजी निकलना समझ कर छिपाए नहीं बल्कि आंगनवाड़ी कार्यकर्ता या सरकारी अस्पताल को सूचना दें। ताकि समय रहते पीडि़त का उपचार किया जा सके। डॉ. कुमरावत ने यह भी बताया इस तरह के बुखार का सरकारी अस्पताल में नि:शुल्क उपचार किया जाता है। कोई भी दानेदार बुखार देवीय प्रकोप नहीं होता है। ऐसे 100 तरह के वायरल फीवर हैं, जिसमें बुखार के साथ बच्चों को लाल दाने निकल जाते हैं। समय पर इलाज नहीं मिलने से यह खतरनाक हो सकते हैं।