scriptइनके हाथों से दमकता है शहर का हर ‘तिरंगा’ | Every 'tricolor' of the city glows with their hands | Patrika News

इनके हाथों से दमकता है शहर का हर ‘तिरंगा’

locationउज्जैनPublished: Aug 13, 2019 12:21:46 am

Submitted by:

Mukesh Malavat

देश प्रेम की भावना को देखकर तीन साल पहले कलेक्टर ने भी किया था सम्मानित

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शाजापुर. वैसे तो ये शहर की नई सडक़ क्षेत्र में संचालित हो रही एक सामान्य लांड्री है। अन्य लांड्रियों की तरह यहां पर भी कपड़ों की धुलाई, ड्रायक्लिन, पे्रस आदि की जाती है, लेकिन इस दुकान के संचालक का देशभक्ति का जज्बा इसे अन्य दुकानों से अलग करती है, क्योंकि इस दुकान पर पिछले 38 साल से आज तक हजारों राष्ट्रीय ध्वजों की धुलाई से लेकर प्रेस करने तक के कार्य किए जा रहे हैं। खास बात यह है कि आज तक इस कार्य के लिए दुकान संचालक ने एक रुपए का शुल्क भी नहीं लिया है। राष्ट्र ध्वज के प्रति नि:शुल्क कर्तव्यपरायणता को देखते हुए 3 साल पहले तत्कालीन कलेक्टर ने दुकान संचालक को सम्मानित भी किया था।
हम बात कर रहे हैं नई सडक़ क्षेत्र में पिछले करीब 38 साल से संचालित हो रही राज ड्रायक्लिनर्स की। दुकान संचालक 65 वर्षीय राजेंद्र वर्मा आज भी पूरी शिद्दत के साथ राष्ट्रीय ध्वज की न सिर्फ धुलाई करते हैं, बल्कि उन पर प्रेस करके ससम्मान उन्हें संबंधितों को देते हैं। शहर के सभी शासकीय और अशासकीय प्रतिष्ठान, कार्यालय, स्कूलों आदि में प्रतिवर्ष स्वतंत्रता दिवस और गणतंत्र दिवस के उपलक्ष्य में होने वाले ध्वजारोहण के पहले राष्ट्रीय ध्वज को साफ किया जाता है। इस कार्य के लिए सभी लोग राजेंद्र वर्मा की दुकान पर पहुंचते है। यहां पर राष्ट्रीय ध्वज को देने के बाद सभी निश्ंिचत होकर चले जाते हैं, क्योंकि उन्हें पता होता है कि अब उनका तिरंगा सुरक्षित हाथों में हैं। जहां न सिर्फ उसकी धुलाई ठीक से होगी, बल्कि उस पर प्रेस होकर उसे ससम्मान लौटाया जाएगा। अपनी इस सेवा के बदले राजेंद्र वर्मा ने आज तक एक रुपया भी किसी से नहीं लिया। राष्ट्रीय ध्वज की धुलाई, ड्रायक्लिन और प्रेस करने का संपूर्ण खर्च राजेंद्र वर्मा स्वयं ही उठाते हैं।
देश सेवा का जज्बा, सेना में जाने की थी इच्छा
चर्चा के दौरान राजेंद्र वर्मा ने बताया कि बचपन से देश की सेवा करने का जज्बा मन में था। पहले परिस्थितियां इस तरह की नहीं थी कि वो देश की सेवा के लिए सेना में जा सके। इसके चलते अपने पुश्तैनी धंधे को ही आगे बढ़ाया। वर्मा ने कहा कि सन 1980 से जब वो दुकान संभालने लगे तभी से उन्होंने राष्ट्रीय ध्वज की धुलाई, ड्रायक्लिन और प्रेस करने तक का संपूर्ण कार्य नि:शुल्क करना शुरू कर दिया। जिसे आज तक वो करते आ रहे हैं। आज हालत यह है कि प्रतिवर्ष दोनों राष्ट्रीय पर्व के पहले ही सभी शासकीय और अशासकीय कार्यालयों से राष्ट्रीय ध्वज उनके पास पहुंचाए जाते हैं। जिसे वो साफ करके वो संबंधित कार्यालय को लौटा देते हैं।
प्रत्येक राष्ट्रीय पर्व पर 50 से ज्यादा पहुंचे हैं राष्ट्रीय ध्वज
वर्मा ने बताया कि जो काम देश सेवा के नाम पर किया जा रहा है उसका हिसाब आज तक नहीं रखा। इस कारण से ये नहीं बता सकता कि राष्ट्रीय ध्वज की ड्रायक्लिन से लेकर प्रेस तक में कुल कितना खर्च होता है। उन्होंने ये जरूर बताया कि 15 अगस्त हो या 26 जनवरी दोनों राष्ट्रीय पर्व पर उनके पास 50 से ज्यादा राष्ट्रीय ध्वज पहुंचते हैं। हालांकि इसकी भी गिनती उन्होंने आज तक नहीं की है। सभी विभाग वाले भी राष्ट्रीय ध्वज की सफाई के लिए यहां पर ही पहुंचते हैं।
होमगार्ड की कैप की भी नि:शुल्क सफाई
वर्मा ने बताया कि राष्ट्रीय ध्वज के अतिरिक्त वो होमगार्ड के जवानों की कैप की भी सफाई नि:शुल्क करते है। होमगार्ड के जवान भी अपनी कैप की सफाई के लिए इसी दुकान पर पहुंचते है। वर्मा ने बताया कि किसी कैप में कोई परेशानी होती है तो उसकी मरम्मत करके उसे दुरुस्त किया जाता है।

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