scriptशहर को पर्यटन नगरी के रूप में विकसित करने की अपार संभावना, लेकिन… | Extra possibility of developing the city as tourist town | Patrika News

शहर को पर्यटन नगरी के रूप में विकसित करने की अपार संभावना, लेकिन…

locationउज्जैनPublished: Nov 20, 2018 11:57:30 am

Submitted by:

Lalit Saxena

सिंहस्थ के बूते विकास कार्य हुए लेकिन पर्यटन को बढ़ावा देने के लिए नहीं हुए कोई नवाचार

patrika

tourism,Mahakal Temple,simhastha,Tourism Development,

उज्जैन. शहर में पर्यटन विकास की अपार संभावनाएं हैं, सिंहस्थ में हुए निजी व सार्वजनिक विकास के बाद यह संभावना और भी बढ़ी लेकिन इसके लिए विशेष प्रयास नहीं हुए। ढेरों दार्शनिक स्थल, ठहरने, घूमने, भोजन आदि के लिए कई सुविधा होने के बावजूद आज भी उज्जैन का पर्यटन सिर्फ महाकाल मंदिर तक ही सिमित है। न अन्य स्थानों तक पर्यटन की पहुंच बढ़ाने के प्रयास हुए और नहीं एेसे आयोजन की ठोस पहल हुई जो पर्यटकों को आकर्षित करे। नतीजा आज भी पर्यटक महाकाल व इक्का-दुक्का प्रमुख देव स्थलों के दर्शन कर एक-दो दिन में ही लौट जाते हैं।


वैसे तो शहर को पर्यटन नगरी के रूप में विकसित करने की मांग लंबे समय से है लेकिन चुनावी माहौल हर कोई प्रत्याशी पर्यटन को बढ़ावा देने के दावे ठोक मतदाताओं को प्रभावित करने के प्रयास कर रहा है। इसके विपरीत सिंहस्थ बाद से किसी जिम्मेदार ने पर्यटन को बढ़ाने के लिए कोई खास पहल नहीं की। स्मार्ट सिटी अंतर्गत शिप्रा महाआरती का आयोजन हुआ भी तो न उसके प्रचार-प्रसार में किसी ने भूमिका निभाई और नहीं उसे बढ़ावा देने में सक्रियता दिखाई। कुछ सप्ताह बाद यह भी निष्क्रियता और सामूहिक पहल की कमी का शिकार हो गया। एेसे में सुविधाएं और संभावनाएं होने के बावजूद आज भी शहर पर्यटकों को तीन-चार दिन के लिए रुकने पर मजबूर नहीं कर पा रहा है।

पर्यटक बढ़े, फिर भी नई पहल की कमी
सिंहस्थ में होटलों की शृंखला बढऩे, सड़कों के निर्माण, सौंदर्यीकरण, मंदिरों के विकास, यात्री परिवहन सुविधा में बढ़ोतरी आदि के कारण पूर्व की तुलना में पर्यटकों की संख्या बढ़ी है। बावजूद शहर पर्यटन के क्षेत्र में अब भी अपेक्षित स्थान नहीं बना पाया है। इसका बड़ा कारण पर्यटकों को आकर्षित करने के लिए नवाचार और नई पहल की कमी है। एेसे में पर्यटकों का कम समय के लिए ही शहर में रुकना, बड़ी कमी के रूप में अब भी खल रहा है।

परेशान होते पर्यटक
सूचना की कमी : महाकाल क्षेत्र में ही अन्य स्थानों की जानकारी के लिए पूछताछ केंद्र नहीं है। जानकारी के अभाव में बाहर से आने वाले इक्का-दुक्का प्रमुख स्थान घूमकर ही लौट जाते हैं। कई पर्यटकों तो काल भैरव, गढ़कालिका आदि स्थानों तक जाने के लिए परेशान होना पड़ता है या फिर मनमाना किराया चुकाना पड़ता है।

प्री-पेड बूथ नहीं : रेलवे स्टेशन, महाकाल सहित अन्य प्रमुख स्थानों पर पूर्व में प्री-पेड पोलिंग बूथ व्यवस्था शुरू की गई थी लेकिन अब यह ठप है। एेसे में बाहरी यात्रियों को एक स्थान से दूसरे स्थान तक ले जाने के लिए मनमाने तरीके से किराया बताया जाता है। कुछ अधिक किराया चुकाते हैं तो कुछ खर्च अधिक होने के डर से बिना दूसरे स्थान देखे ही उज्जैन से लौट जाते हैं।

प्रचार की कमी : शहर में पर्यटकों की सुविधा के लिए स्मार्ट सिटी अंतर्गत मोबाइल ऐप बनाया गया है, लेकिन इसका विशेष प्रचार प्रसार नहीं किया गया। रेलवे स्टेशन, महाकाल, बस स्टैंड या अन्य प्रमुख स्थानों पर न मोबाइल ऐप की जानकारी के लिए होर्डिंग्स-फ्लैक्स लगाए गए हैं और नहीं अन्य कोई सुविधा की जानकारी प्रदर्शित की गई है।

विशेष बाजार नहीं : पर्यटकों की सुविधा के मान से विशेष बाजार अब तक विकसित नहीं कर पाए। महाकाल क्षेत्र के आसपास ही एेसा कोई व्यवस्थित बाजार नहीं है जहां उज्जैन की विशेष सामग्रियां एक ही स्थान पर मिल सके या पर्यटकों पर छाप छोड़ सकें। पर्यटकों को विभिन्न सामग्रियों के लिए अलग-अलग बाजारों में भटकना पड़ता है।

सिंहस्थ में पर्यटकों के लिए बढ़ी सुविधा
मंदिरों में विकास सड़कें
सौंदर्यीकरण स्वच्छता
ठहरने के लिए होटल लॉज
यात्री परिवहन
यहां ठोस प्रयास नहीं
वेडिंग डेस्टिनेशन : शहर के वेडिंग डेस्टिनेशन के रूप में विकसित होने की अपार संभावनाएं हैं। इसके कुछ महीनों पहले तत्कालीन कलेक्टर द्वारा पहल भी गई थी लेकिन प्रयास अंजाम तक नहीं पहुंच सकें। यदि वेडिंग डेस्टिनेशन को बढ़ावा मिलता है तो नए रूप में पर्यटक मिलेंगे।

पंचक्रोशी मार्ग : प्राकृतिक सौंदर्य और एतिहासिक व पौराणिक धरोहर से भरे ११८ किलोमीरण का पंचक्रोशी मार्ग को हेरिटेज या टूरिस्ट पाथ के रूप में विकसित करने की पहल हुई थी। प्रशासन ने इस ओर ध्यान नहीं दिया। यदि धार्मिक यात्रा के इस मार्ग पर होटल, रिसोर्ट, कैंप फायर, बोटिंग, वॉटर गेम्स आदि सुविधाएं उपलब्ध कराई जाएं तो पर्यटक दो-तीन दिन तक यहां ठहरना पसंद करें।

शिप्रा विकास : शिप्रा नदी की स्वच्छता के लिए प्रयास हुए हैं लेकिन इसका उपयोग पर्यटन को बढ़ावा देने के दृष्टि से कभी नहीं किया गया। एेसी कोई सुविधाएं नदी या इसके तटों पर नहीं की गई जिससे पर्यटक आकर्षित हों।

जो सिस्टम होना चाहिए, उसकी कमी है
शहर को पर्यटन नगरी के रूप में विकसित करने की अपार संभावना है लेकिन इस संभावना की तुलना में कार्य बहुत कम हुए हैं। पर्यटकों को एक से दूसरे स्थान तक जाने के लिए ही खासा परेशान होना पड़ता है। होटल, परिवहन जैसी सुविधा जरूर बढ़ी है लेकिन पर्यटन नगरी के रूप में जो व्यवस्था और सिस्टम होना चाहिए, उसकी आज भी कमी है।
– राजेंद्र चेलावत, सेवानिवृत्त व समाजसेवी

मुख्य स्थानों की विजिट के साथ ही पर्यटक इवेंट भी पसंद करते हैं। उज्जैन में योजनाओं तो बनी लेकिन उन पर पूरी क्षमता से कार्य नहीं हुए। नदी की सौगात होने के बाद भी इस पर कोई अच्छे इवेंट या वॉटर स्पोर्ट्स नहीं किए जाते हैं। शिप्रा आरती या कोठी पर लाइट एंड साउंट प्रोग्राम की शुरुआत भी हुई तो उनमें नवाचार और प्रचार-प्रसार की कमी रही। कुछ नवाचार के साथ प्रयास किए जाएं तो पर्यटन क्षेत्र में काफी सफलता मिलने की संभावना है।
साहित्य सेंगर, इवेंट मैनेजर

loksabha entry point

ट्रेंडिंग वीडियो