राशन दुकानों से सामान की कालाबाजारी रोकने व बीपीएल के नाम पर बेजा लाभ उठानों वालों पर अंकुश लगाने के लिए सरकार ने यह योजना बनाई है। ताकी किसी भी स्थिति में पीडीएस सामग्री का दुरुपयोग ना हो सके, वहीं जिन कार्ड पर दुकानदार व हितग्राही की साठगांठ से खेल चल रहा है, वह भी रुके। सरकार ने सभी जिलों में इस पर काम करने के लिए कलेक्टर की अध्यक्षता में समिति बनाई है, जिनमें सभी प्रशासनिक, खाद्य अधिकारी व संबंधित विभाग का अमला भी शामिल है।
यूं चलेगा अभियान, अपात्र नाम हटेंगे
– २५ सितंबर से यह अभियान प्रशासनिक स्तर पर शुरू होगा।
– प्रत्येक दल में २ सदस्य रहेंगे, जिन्हें २०० कार्ड धारकों का सत्यापन करना होगा।
– प्रत्येक २५ दलों पर एक सुपरवाइजर नियुक्त रहेगा, जो काम की मॉनिटरिंग रखेगा।
– अक्टूबर अंत तक दलों को अपनी रिपोर्ट निश्चित फॉरमेट में भरकर देना होगी।
– इसके बाद जो अपात्र पाए जाएंगे उन्हें बीपीएल सूची से हटाने की कार्रवाई होगी।
– साथ ही जिन परिवारों में संख्या से अधिक लोगों का राशन जा रहा है, वह भी कम होंगे।
– राशन कार्ड में शामिल परिवार सदस्यों का रिकॉर्ड दुरुस्तीकरण भी अभियान में होगा।
जरूरत से अधिक बीपीएलधारी, शहर में 60 हजार
पिछले कुछ सालों में बीपीएल धारकों कि संख्या आश्चर्यजनक ढंग से बढ़ी है। कहीं सिफारिश तो कहीं राजनीतिक दबाव-प्रभाव में हर किसी ने बीपीएल सर्वे सूची में अपने नाम जुड़वा लिए। इनमें सक्षम लोगों की भी लंबी फेहरिस्त है, जिनके घरों में विलासिता के संपूर्ण साधन है। उज्जैन नगर निगम सीमा क्षेत्र में ही करीब ६० हजार बीपीएल कार्डधारी में जिले में यह संख्या कुल १.२९ लाख है। जबकि इतनी संख्या में गरीब परिवार होना असंभव है। बावजूद सालों से सूची सत्यापन का काम नहीं हुआ। अब सरकार ने इस तरफ ध्यान दिया है।
फैक्ट फाइल
जिले की जनसंख्या – करीब 20 लाख
राशन कार्डधारी कुल – 2.66 लाख
राशन लाभान्वित लोग – 12 लाख
बीपीएल कार्ड धारक – 1.29 लाख
इनका कहना –
इस संबंध में शासन के निर्देश प्राप्त हुए हैं। राशन दुकानों से संबंधित पात्र लोगों के सत्यापन के लिए डोर टू डोर सर्वे किया जाएगा। सभी विकासखंडों में दल गठित करने की प्रक्रिया शुरू कर दी है। २५ से अभियान की शुरुआत होगी।
शशांक मिश्रा, कलेक्टर