ऑनलाइन लेता था भुगतान
विक्रम विश्वविद्यालय की विकास शाखा में फेलोशिप संबंधित कार्य अनाधिकृत तौर पर करने वाले सद्दाम खान मंसूरी को लेकर शिकायतकर्ता शोधार्थियों ने कई जानकारी दस्तावेत के तौर पर विवि प्रशासन को दी है। इतना ही नहीं यह सोशल मीडिया पर भी वायरल हो रही है। इसमें शोधार्थियों और मंसूरी के बीच मोबाइल पर चर्चा की रिकार्डिंग भी है। शोधार्थियों का यह भी आरोप है कि सद्दाम खान मंसूरी को राशि का भुगतान लेने में कोई भय नहीं था। इसके लिए ऑनलाइन पेमेंट से संबंधित जानकारी भी शोधार्थियों वाट्सएेप पर शेयर कर रखी थी। बैंक के कोड भी दे रखे थे। गौरतलब है कि शोध करने वाले विद्यार्थियों को विश्वविद्यालय अनुदान आयोग की ओर से फेलोशिप के रूप में प्रतिमाह 35 हजार रुपए तक प्रदान किए जाते हैं।