ऐसे होती है यह खगोलीय घटना चंद्रमा पृथ्वी का उपग्रह है। यह सूर्य से रोशनी प्राप्त करता है। अपनी अंडाकार धुरी पर यह एक महीने में पृथ्?वी का एक चक्कर काट लेता है। पृथ्?वी और चंद्रमा की धुरियां एक दूसरे पर 5 डिग्री का कोण बनाती हैं और दो जगहों पर काटती है। यह स्?थान ग्रंथि कहलाते हैं। चांद और पृथ्वी परिक्रमा करते हुए सूर्य की सीधी रेखा में नहीं आते हैं, यही वजह है कि पृथ्वी की छाया चंद्रमा पर नहीं पड़ती। पूर्णिमा की रात में परिक्रमा करता हुआ चंद्रमा जब पृथ्वी की कक्षा के पास आ जाता है। पृथ्वी की अवस्था सूर्य व चंद्रमा के बीच एक सीध में होती है। इससे पृथ्वी की छाया चंद्रमा पर पडऩे लगती है। इसी को चंद्र ग्रहण कहा जाता है। सूर्य और चंद्रमा के बीच जब पृथ्वी आ जाती है और चंद्रमा पर पृथ्वी की छाया पडऩे लगती है, तो इसे चंद्र ग्रहण कहते हैं। चांद के संपूर्ण बिंब पर हसिया के समान काली छाया नजर आती है। इस अवस्था को आंशिक या खंड ग्रहण कहा जाता है। कुछ मौकों पर यह काली छाया चांद को पूरी तरह से ढंक लेती है। इसे पूर्ण चंद्र ग्रहण या खग्रास चंद्र ग्रहण कहा जाता है।