इसके तहत अगले कुछ दिनों में जिले की 609 ग्राम पंचायत व शासकीय व निजी भवनों में 1100 से अधिक रूफ वाटर हार्वेस्टिंग सिस्टम लगाया जाएगा। खास बात यह कि ग्रामीण क्षेत्रों में रूफ वाटर हार्वेस्टिंग सिस्टम लगाने का यह अभियान जिला पंचायत और जनपदों के माध्यम से शुरू किया जा रहा है। इसमें प्राथमिकता से जनपद कार्यालय, पंचायत भवनों में रूफ वाटर हार्वेस्टिंग लगाए जाएंगे। वहीं शासकीय स्कूल, निजी भवनों में भी इन्हें लगाया जाएगा। अभियान के लिए जिला एवं जनपद पंचायत के इंजीनियरों को जिम्मेदारी सौंपी गई हैं, जो गांवों में जाकर रूफ वाटर हार्वेस्टिंग के फायदे बताएंगे और इन्हें लगाने के लिए प्रेरित करेंगे। जिला पंचायत सीइओ नीलेश पारिख ने बताया कि ग्रामीण क्षेत्रों में रूफ वाटर हार्वेस्टिंग लगाने का अभियान शुरू कर दिया गया है। जनपद व पंचायत अपने-अपने भवनों पर प्राथमिकता से यह सिस्टम लगाएंगे। कोशिश है कि बारिश तक पूरे जिले में 1100 से अधिक सिस्टम लगाया जाए।
इसलिए शुरू किया अभियान
अब तक रूफ वाटर हार्वेस्टिंग सिस्टम शहरी क्षेत्रों में लगाए जाते रहे हैं। ताकि यहां बड़े-बड़े भवनो में एकत्र होने वाले पानी को जमीन में पहुंचाकर जलस्तर में बढ़ोतरी की जाए। अब शहर ही नहीं ग्रामीण क्षेत्रों में भूजल की स्थिति चिंताजनक स्थिति में पहुंच गई है। ग्रामीण क्षेत्रों में समय से पहले ही तालाब, कुएं और बावड़ी सूख रही है। वहीं गांवों में सालभर चलने वाले नलकूप भी गर्मी से पहले ही जवाब देने लगे हैं या फिर पानी गहराई में पहुंच गया। स्थिति यह है कि बडऩगर में 17.17, उज्जैन में 16.10, घट्टिया में 15.32, महिदपुर में 14.15, खाचरौद में 15.82 तथा तराना में 14.43 मीटर नीचे तक भूजल चला गया है। ऐसे में ग्रामीण क्षेत्रों में भूजल बढ़ाने के लिए रूफ वाटर हार्वेस्टिंग लगाने की कवायद शुरू की गई है।
एक सेमी बारिश होती है तो एक हजार लीटर पानी जमीन में उतरता
रूफ वाटर हार्वेस्टिंग सिस्टम भूजल बढ़ाने का कारगार विधि है। इसमें यदि एक सेमी बारिश होती है और एक हजार वर्ग फीट की छत है तो करीब एक हजार लीटर पानी संग्रहित होता है। यदि 100 सेमी बारिश होती है तो पूरे वर्षाकाल में एक लाख लीटर जल जमीन में पहुंचता है। सिस्टम लगने के बाद आसपास के कुएं, नलकूप रिचार्ज हो जाते हैं। गर्मी में इनका जलस्तर बना रहता है।
यह सामग्री और लग जाएगा सिस्टम
रूफ वाटर हार्वेस्टिंग के लिए 200 लीटर का एक ड्रम, 110 एमएम का पाइप (छत की ऊंचाई अनुसार), 110 एमएम के तीन बैंड, ईंट-पत्थर के रोडे व 5 से 10 बोरी मोटी काली रेत।
इनका कहना
ग्रामीण क्षेत्रों में भूजल स्तर बढ़ाने के लिए पंचायत भवन सहित निजी भवनों में रूफ वाटर हार्वेस्टिंग सिस्टम लगाए जाने को कहा है। इससे बारिश का पानी जमीन में पहुंचेगा ओर ग्रामीण क्षेत्र में जलसंकट की स्थिति है उस पर काफी हद तक काबू पाया जा सकेगा।
– शशांक मिश्र, कलेक्टर