उज्जैन

45 साल बाद फिर मिले दोस्त…

दीवारों को देखा और सुनाए, किस्सेकभी लगे ठहाके तो कभी नम हुईं आंखें। प्राणिनि अध्ययनशाला की एमएससी 1973-75 बैच के विद्यार्थियों के सम्मेलन में सभी पुरानी यादों में खो गए।

उज्जैनAug 16, 2019 / 11:03 pm

Shailesh Vyas

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उज्जैन. न चिंता घर की थी और न थी कोई परवाह। जब जो जी में आया सो किया, कभी अध्यापक को तंग किया तो कभी स्कूल से मारा बंक। न जाने कितनी खट्टी-मीठी यादें एक बार फिर ताजा हो गईं। उन पुरानी दीवारों के बीच जब पूर्व छात्र सम्मेलन में ४५ साल बाद फिर एक साथ नजर आए क्लासमेट। मौका था विक्रम विश्वविद्यालय के प्राणिकी एवं जैव प्राद्योगिकी अध्ययनशाला के 1973-75 बैच के पासआउट विद्यार्थियों के सम्मेलन का।
कार्यक्रम की शुरूआत पूर्व छात्र अशोक साहनी और विभागाध्यक्ष प्रो. लता भट्टाचार्य ने मां सरस्वती की प्रतिमा पर दीप प्रज्जवलन कर की। इसके बाद सभी ने क्रम से अपनी अनुभव साझा किए। इसमें प्रो. एमएस परिहार चेयरमेन मध्यप्रदेश निजी विश्वविद्यालय आयोग, प्रो. प्रदीप श्रीवास्तव बरकतउल्ला विवि भोपाल, डॉ. आभा स्वरूप पूर्व डायरेक्टर मप्र विज्ञान प्रौद्योगिकी परिषद आदि शामिल हुए।
10 प्रतिशत ही काम आता है बाहर
कार्यक्रम में संबोधित करते हुए अशोक साहनी संघचालक मध्यक्षेत्र राष्ट्रीय स्वयं सेवक संघ ने कहा कि पढ़ाई को आनंद की तरह ही लेना चािहए। पढ़ाई आवश्यक है, लेकिन तनाव नहीं। शिक्षा जगत और तकनीकी क्षेत्र को छोड़कर शेष जगह पढ़ाया गया सिलेबस 10 प्रतिशत ही काम आता है, जबकि विभाग से लिया गया अनुभव और व्यवहािरक ज्ञान हमेशा काम आता है। वर्तमान में पढ़ाई कर रहे विद्यािर्थयों पर अनावश्यक बोझ बढ़ाने की जरूरत नहीं है।
सिनेमा में पकड़ा विभागाध्यक्ष ने
विवि के प्रोफेसर एचएस राठौर विभाग के ही छात्र रहे। उन्होंने बताया कि उनके शिक्षक सभी छात्रों को माता-पिता की तरह ही रखते थे। एक किस्सा उन्होंने साझा करते हुए बताया कि एक बार वे अपने साथियों के साथ टॉकिज में फिल्म देखने गए थे और जमकर हंगामा मचा रहे थे। इंटरवल में देखा कि विभागाध्यक्ष हर्ष स्वरूप नजदीक ही अपने परिवार के साथ बैठे थे। यह देख सर को नमस्कार कह कर भाग गए। कुछ दिनों बाद जब उनका अपने सर से सामना हुआ, तो उन्होंने सीधे पूछ लिया कि फिल्म पूरी क्यों नहीं देखी थी।
पति के हौंसले से आए सबसे ज्यादा माक्र्स
बैच की पूर्व छात्रा कृष्ण विजयवर्गीय ने बताया कि एमएससी फाइनल की परीक्षा के कुछ समय पहले ही उनका विवाह हो गया। विभागाध्यक्ष ने उनके पति को बुलाया और डांटा कि अगर यह फेल हुई, तो इसके जिम्मेदार आप होंगे। इसके बाद उनके पति ने मुझ से कहा कि कुछ भी करके पास हो जाना नहीं तो सर मेरी खबर लेंगे। इसके बाद मायके आकर उन्होंने पढ़ाई शुरू की। परीक्षा में उनके सबसे ज्यादा नंबर आए।
बेटा सुखोई उड़ाता है
कार्यक्रम शिरकत करने के लिए बैंगलुरु से उज्जैन पहुंची सुनीता सुबेदार धार से लेक्चचर के पद से सेवनिवृत्त होने के बाद वायुसेना में विंग कमांडर बेटे के साथ बैंगलुरु निवासरत है। उन्होंने अपने बेटे को देश की सेवा के लिए तैयार किया है। बेटा लड़ाकू विमान सुखोई के पायलेट है।
सबसे दूर हैदराबाद से आए
पूर्व छात्रों में केवल प्रदीप निगम और अशोक सोहनी के अलावा सभी देश के अन्य प्रांतों से आए थे। कार्यक्रम के लिए बैच के २५ पूर्व विधार्थियों को आमंत्रित किया गया था। इसमें तीन पारिवारिक कारणों से कार्यक्रम में शामिल नहीं हो सके। २२ आमंत्रितों में सबसे अधिक दूरी तय कर जीएसटी सांई हैदराबाद से आए थे। नहीं आने वाले पूर्व छात्रों ने संयोजक से चर्चा कर नहीं आने की वजह जरुर बता दी। कार्यक्रम में आकांक्षा निगम, एमएस परिहार, नीलिमा सागरे, सुशीला भट्ट, नवदीप यादव, आशा यादव, चंद्रमोहन दास, मीर सक्सेना, शिरीष कुमार, जेएन पद्मजा, कांतिलाल शर्मा, हेमंत राठौर, नीलिमा भावसार, अनिल सक्सेना, प्रदीप श्रीवास्तव, आशा श्रीवास्तव मौजूद थे।

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